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बेतलंगी पहुंचे हेमंत सोरेन, मृत किसान के परिजनों को दिया सहयोग का भरोसा , कहा राज्य सरकार के पास किसानों की बेहतरी के लिए योजना नहीं

चान्हो: नेता प्रतिपक्ष सह पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि झारखंड सरकार ने पूर्ण बहुमत के घमंड को अपना लिया है और पूरा राज्य त्राहिमाम कर रहा है. मुख्यमंत्री किसानों के मरने पर दो लाख रुपये देने की घोषणा करते हैं, लेकिन किसान मरे नहीं इसके लिए इनके पास कोई योजना नहीं है. राज्य […]

चान्हो: नेता प्रतिपक्ष सह पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि झारखंड सरकार ने पूर्ण बहुमत के घमंड को अपना लिया है और पूरा राज्य त्राहिमाम कर रहा है. मुख्यमंत्री किसानों के मरने पर दो लाख रुपये देने की घोषणा करते हैं, लेकिन किसान मरे नहीं इसके लिए इनके पास कोई योजना नहीं है. राज्य में किसानों के बीच कभी भी समय पर खाद-बीज का वितरण नहीं होता है और जहां होता भी है इसमें बंदरबांट होती है.

हेमंत सोरेन शुक्रवार को बेतलंगी गांव में बोल रहे थे. वे यहां आत्महत्या करने वाले किसान संजय मुंडा के परिजनों से मिलने पहुंचे थे. उन्होंने मृतक के पिता चंदुल मुंडा से घटना की जानकारी ली. उनके परिवार के प्रति सहयोग के लिए हमेशा साथ खड़े रहने का भरोसा दिलाते हुए प्रशासन के स्थानीय अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे खेती में चंदुल मुंडा का सहयोग करें. हेमंत ने घोषणा के बाद भी अब तक मृतक किसान के परिजनों को मुआवजा राशि नहीं दिये जाने पर सरकार को आड़े हाथ लिया. कहा कि सरकार को इसे प्राथमिकता के आधार पर लेना चाहिए था. लेकिन इस सरकार के पास किसान व मजदूरों के लिए कोई सोच ही नहीं है.

बड़ा भाई केरल से अब तक नहीं आया
मृत किसान संजय मुंडा का बड़ा भाई राजू मुंडा शुक्रवार को भी घर नहीं आ पाया था. पिता चंदुल मुंडा ने बताया कि केरल में मजदूरी करने गये राजू मुंडा को भाई के आत्महतया कर लिये जाने की सूचना दे दी गयी थी. जिसके बाद वह घर आने के लिए वहां से निकल चुका है. परिवार के लोग बेसब्री से उसका इंतजार कर रहे हैं.
कई किसानों की मौत के बाद भी सरकार संवेदन शून्य : सुखदेव भगत
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सह लोहरदगा विधायक सुखदेव भगत भी शुक्रवार को बेतलंगी गांव पहुंचे. उन्होंने संजय मुंडा के परिजनों से मिल कर संवेदना प्रकट की. कहा कि राज्य सरकार किसानों की मौत के बाद भी संवेदन शून्य बनी हुई है. किसान की मौत के बाद भी सरकार का कोई मंत्री चान्हो नहीं पहुंचा है, जिससे यह साबित हो गया है यह सरकार किसान व गरीब विरोधी है. सरकार सिर्फ कॉरपोरेट घरानों के लिए काम कर रही है. किसान आत्महत्या कर रहे हैं और सरकार मादी फेस्ट के नाम पर जश्न मना रही है. सरकार को चाहिए था कि इस तरह की घटना पर रोक लगाने के लिए उच्चस्तरीय बैठक कर कोई कार्य योजना तैयार करती, लेकिन इसके लिए कोई पहल नहीं की गयी है. भगत ने किसानों की आत्महत्या मामले पर विधानसभा के मॉनसून सत्र में सरकार को घेरने की बात भी कही.

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