मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ आरके झा ने बताया कि उनके विभाग में वर्तमान में पीजी विद्यार्थियों की संख्या 60 है. इसमें 45 डॉक्टर ऑफ मेडिसिन (एमडी) के हैं. वहीं 15 विद्यार्थी डिप्लोमा इन ट्रॉपिकल मेडिसिन एंड हाइजिन (डीटीएमएच) के हैं. सेमिनार हॉल इतना छोटा है कि एक साथ एमडी के विद्यार्थियों को पढ़ाना मुश्किल होता है. कई विद्यार्थी तो खड़े होकर पढ़ाई करते हैं.
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विद्यार्थी पांच से 60 हो गये, पर कमरा वही
रांची : रिम्स के कई विभागों में स्थापना के बाद आधारभूत संरचना में बदलाव नहीं हुआ है. विभाग में पीजी विद्यार्थियों को पढ़ाने के लिए सेमिनार कराया जाता है, लेकिन जो कमरा वर्ष 1960 में आवंटित किया गया था, वही आज भी है. जबकि विद्यार्थियों की संख्या उस समय से कई गुणा बढ़ गयी है. […]
रांची : रिम्स के कई विभागों में स्थापना के बाद आधारभूत संरचना में बदलाव नहीं हुआ है. विभाग में पीजी विद्यार्थियों को पढ़ाने के लिए सेमिनार कराया जाता है, लेकिन जो कमरा वर्ष 1960 में आवंटित किया गया था, वही आज भी है. जबकि विद्यार्थियों की संख्या उस समय से कई गुणा बढ़ गयी है. मेडिसिन विभाग इसका एक उदाहरण मात्र है. विभाग की शुरुअात में पांच पीजी छात्रों का नामांकन होता था, लेकिन आज वह संख्या 60 के करीब हो गयी है.
मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ आरके झा ने बताया कि उनके विभाग में वर्तमान में पीजी विद्यार्थियों की संख्या 60 है. इसमें 45 डॉक्टर ऑफ मेडिसिन (एमडी) के हैं. वहीं 15 विद्यार्थी डिप्लोमा इन ट्रॉपिकल मेडिसिन एंड हाइजिन (डीटीएमएच) के हैं. सेमिनार हॉल इतना छोटा है कि एक साथ एमडी के विद्यार्थियों को पढ़ाना मुश्किल होता है. कई विद्यार्थी तो खड़े होकर पढ़ाई करते हैं.
कार्डियोलाॅजी आइसीयू के लिए मांगी जगह, नहीं मिली
डॉ आरके झा ने बताया कि पहले जहां कार्डियाेलॉजी आइसीयू में चलता था, वह मेडिसिन विभाग का कमरा ही है. अब कार्डियोलॉजी आइसीयू सुपर स्पेशियलिटी विंग में चला गया है. रिम्स प्रबंधन से उस कमरे को सेमिनार हॉल के लिए तीन साल से मांग रहे हैं, लेकिन प्रबंधन की उदासीनता के कारण कमरा नहीं दिया जा रहा है.
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