रांची : झारखंड के चान्हो में एक और किसान ने बुधवार को आत्महत्या कर ली. चान्हो के बेतलंगी गांव का रहनेवाला किसान संजय मुंडा (25) आर्थिक संकट से गुजर रहा था. खेती में नुकसान भी हुआ था. परिजनों ने बताया कि उसने अपने घर में ही फांसी लगा कर आत्महत्या कर ली. कुछ दिन पूर्व उसने खेत में सात-आठ किलो धनिया लगाया था. लेकिन उपज नाम मात्र की हुई थी.
किसान के आत्महत्या के बाद पत्रकार सनी शरद ने अपने फेसबुक पोस्ट पर किसान ही बहन का दर्द बयां किया है. उस किसान की बहन जो मांडर कॉलेज में बीए पार्ट वन की छात्रा है. बहन ने जो बातें कही वो आपको अंदर तक हिला कर रख देगा. हम आपसे सामने पत्रकार सनी शरद को आत्महत्या करने वाले किसान की बहन की बातचीत रख रहे हैं.
सनी शरद ने अपने फेसबुक पोस्ट में किसान की बहन का दर्द उसी की जुबानी पेश किया है. शरद ने लिखा, ‘ये रितु मुंडा है. संजय मुंडा की बहन. चान्हो ब्लॉक के वही संजय मुंडा जिसने आज आत्महत्या कर ली. संजय मुंडा युवा किसान था. आधार कार्ड के अनुसार उसकी उम्र 17 साल ही थी. लेकिन पारिवारिक जिम्मेदारियों ने उसे बड़ा बना दिया था. पिता विकलांग हैं. बड़ा भाई शहर में कमाने गया है. घर में तीन छोटी बहन है. सबको पढ़ाने की जिम्मेवारी संजय पर ही थी.
संजय मुंडा के आत्महत्या के बाद जब पुलिस खून के निशान और पैर जमीन में सटे होने की दुहाई देकर आत्महत्या पर शक जता रही थी, ब्लॉक से आये अधिकारी कोई कर्ज नहीं होने की बात कहकर खुश हो रहे थे और अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ रहे थे उस वक्त ये लड़की घर के एक कोने में दुबककर रो रही थी. सिसक रही थी. मैंने पूछा इतना क्यों रो रही हो तो ये बताई कि मेरे भाई की आत्महत्या आपके लिए एक खबर हो सकती है, पुलिसवालों के लिए जांच का विषय हो सकता है, अधिकारियों के लिए कर्ज न होना एक राहत की बात हो सकती है लेकिन मेरे लिए मेरे भाई का जाना सबकुछ चला जाना है.
क्योंकि वो सिर्फ ढाई एकड़ धरती की छाती पर हल चलाकर फसल नहीं उगाता था बल्कि हम तीन बहनों के हर सपनो का ख्याल भी रखता था. इसलिए खुद पढ़ाई छोड़कर हम तीनों को पढ़ाता था.
रितु मांडर कॉलेज में बीए पार्ट वन की छात्रा है. बुधवार को इसका पोलिटिकल साइंस का परीक्षा भी था लेकिन जब यहां तक पढ़ाने वाला भाई ही साथ छोड़ देगा तो भला वो कैसे परीक्षा देने जाती. ऋतू इंटर की परीक्षा में 53.7 प्रतिशत मार्क्स से पास हुई थी. समाज शास्त्र से स्नातक करके वो नौकरी करना चाहती थी, लेकिन जब पढ़ाने वाला भाई ही मुंह फेरकर चला गया हो और घर के आंगन में पॉलिटिक्स शुरू हो गयी हो तो वो कैसे पढ़ेगी इसकी चिंता इसे सता रही है. ऋतू के साथ-साथ उसकी दोनों बहन गीता और सरिता का भी यही है. एक कस्तूरबा गांधी स्कूल में पढ़ती है तो दूसरी चान्हो के स्कूल में.