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जब शिक्षक ही नहीं हैं, तो कैसे हो रहा है बच्चों का नामांकन : हाइकोर्ट

रांची: झारखंड हाइकोर्ट ने सोमवार को राज्य के प्लस-टू स्तरीय हाइस्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. राज्य सरकार को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया. जस्टिस अपरेश कुमार सिंह व जस्टिस बीबी मंगलमूर्ति की खंडपीठ ने सरकार के पूर्व के जवाब को देखते हुए पूछा कि समाजशास्त्र, राजनीतिशास्त्र, […]

रांची: झारखंड हाइकोर्ट ने सोमवार को राज्य के प्लस-टू स्तरीय हाइस्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. राज्य सरकार को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया. जस्टिस अपरेश कुमार सिंह व जस्टिस बीबी मंगलमूर्ति की खंडपीठ ने सरकार के पूर्व के जवाब को देखते हुए पूछा कि समाजशास्त्र, राजनीतिशास्त्र, दर्शनशास्त्र, मानव विज्ञान व जनजातीय भाषा के जब शिक्षक ही नहीं हैं, तो बच्चों का नामांकन कैसे हो रहा है.
हाइकोर्ट ने पूछा कि नामांकन के बाद बच्चे कैसे पढ़ते हैं और इन विषयों में शिक्षकों की नियुक्ति के विषय में सरकार क्या सोच रही है. शपथ पत्र के माध्यम से जवाब दाखिल किया जाये.

खंडपीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए तीन सप्ताह बाद की तिथि तय करने को कहा. पूर्व में राज्य सरकार की अोर से शपथ पत्र दायर कर बताया गया था कि समाजशास्त्र, राजनीतिशास्त्र, दर्शनशास्त्र आदि विषयों में शिक्षकों के पद स्वीकृत नहीं हैं. इस कारण नियुक्ति नहीं की गयी है. उक्त विषयों की पढ़ाई राज्य के प्लस-टू हाइस्कूलों में नहीं होती है. हालांकि जो बच्चे इन विषयों में नामांकन लेते हैं, तो उन्हें मना नहीं किया जाता है. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी अजय कुमार चाैधरी ने जनहित याचिका दायर कर शिक्षकों की नियुक्ति की मांग की है. प्रार्थी का कहना है कि राज्य के प्लस-टू हाइस्कूलों में समाजशास्त्र, राजनीतिशास्त्र, दर्शनशास्त्र, मानव विज्ञान व जनजातीय भाषा के शिक्षकों की नियुक्ति नहीं की गयी है, जबकि जैक प्रतिवर्ष इन विषयों में परीक्षाएं लेता है.

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