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लालू पर सीबीआइ छापा: 94 करोड़ की जमीन का सौदा महज 64 लाख में, सीबीआइ के एफआइआर में पढ़ें पूरी कहानी

राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद के लिए नयी मुश्किल रेलवे में हुआ घोटाला है. सीबीआइ ने एक शिकायत के आधार पर इसकी प्रारंभिक जांच शुरू की थी. जानिए, आखिर क्या था पूरा मामला और लालू प्रसाद पर क्या हैं आरोप. रांची : सीबीआइ को लालू प्रसाद के मामले में शिकायत मिली थी. इसमें यह कहा गया […]

राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद के लिए नयी मुश्किल रेलवे में हुआ घोटाला है. सीबीआइ ने एक शिकायत के आधार पर इसकी प्रारंभिक जांच शुरू की थी. जानिए, आखिर क्या था पूरा मामला और लालू प्रसाद पर क्या हैं आरोप.

रांची : सीबीआइ को लालू प्रसाद के मामले में शिकायत मिली थी. इसमें यह कहा गया था कि उन्होंने रेल मंत्री के रूप में अपने पद का दुरुपयोग किया था. उन्होंने चाणक्य और सुजाता होटल के विनय कोचर और विजय कोचर, आइआरसीटी के अधिकारियों के अलावा प्रेमचंद गुप्ता की पत्नी सरला गुप्ता के साथ मिल कर गड़बड़ी की थी. सांसद प्रेमचंद गुप्ता की पत्नी सरला गुप्ता मेसर्स डिलाइट मार्केटिंग को चलाती है.

सीबीआइ को मिली शिकायत में यह कहा गया था कि तत्कालीन रेल मंत्री ने काफी कम कीमत पर 10 सेल डीड के सहारे मेसर्स डिलाइट कंपनी को दो एकड़ जमीन हस्तांतरित की. बाद में सरला गुप्ता ने वर्ष 2010-14 के बीच यह जमीन राबड़ी देवी और तेजस्वी को दे दी.

रेल मंत्री रहते निजी लाभ के लिए साजिश की जांच में यह पाया गया कि 1999 में आइआरसीटीसी के गठन के बाद 2001 में रेलवे बोर्ड ने कैटरिंग सर्विस के अलावा होटलों को आइआरसीटीसी को देने का फैसला किया. रेलवे ने रांची और पुरी के बीएनआर होटल को आइआरसीटीसी के हवाले करने के लिए चिह्नित किया. इसके बाद 19 मार्च, 2004 को आइआरसीटीसी के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर किया गया. मई, 2004 में लालू प्रसाद के रेल मंत्री बनने के बाद उन्हें इस बात की सूचना मिली. इसके बाद उन्होंने सुजाता होटल के कोचर बंधु, आइरसीटीसी के अधिकारियों और राज्यसभा सांसद प्रेमचंद गुप्ता की पत्नी सरला गुप्ता के साथ मिल कर निजी लाभ के लिए साजिश की.

कोचर बंधुओं ने 25 फरवरी, 2005 को 10 सेल डीड के सहारे तीन एकड़ जमीन मेसर्स डिलाइट मार्केटिंग को 1.47 करोड़ रुपये में दे दी. सरला गुप्ता द्वारा चलायी जानेवाली यह कंपनी लालू प्रसाद की बेनामी है. जमीन का हस्तांतरण बाजार व सर्किल रेट से काफी कम पर किया गया. हस्तांतरित जमीन व्यावसायिक होने के बावजूद उसे कृषि भूमि बता कर स्टांप ड्यूटी की चोरी की गयी. जांच में पाया गया कि कोचर बंधुओं से जमीन हस्तांतरित कराने के लिए रुपयों की व्यवस्था सरला गुप्ता की कंपनी में शेयर के रूप में प्रोमोटर विक्रमजीत सिंह अहलुवालिया के माध्यम से किया गया. कोचर बंधुओं ने जिस दिन जमीन प्रेमचंद गुप्ता की कंपनी को हस्तांतरित किया, उसी दिन रेलवे बोर्ड ने आइआरसीटीसी को बीएनआर होटल को हस्तांतरित करने की सूचना दी.

होटल के टेंडर में गड़बड़ी

सीबीआइ को जानकारी मिली कि लालू प्रसाद ने आइआरसीटीसी के तत्कालीन एमडी पीके गोयल के साथ मिल कर टेंडर प्रक्रिया में गड़बड़ी की और सुजाता होटल प्रा‌इवेट लिमिटेड को बीएनआर होटल दिया. आइआरसीटीसी ने 19 सितंबर, 2006 को रेल रत्न होटल्स के संचालन और रखरखाव के लिए टेंडर आमंत्रित किया था. इसमें कहीं भी बीएनआर होटल का उल्लेख नहीं था. बाद में रेलवे बोर्ड ने इसी टेंडर में बीएनआर होटल शामिल करने के लिए 24 अक्तूबर को एक शुद्धि पत्र जारी किया, जबकि इसके लिए अलग से टेंडर जारी करना चाहिए था. आइआरसीटीसी ने तीन नवंबर को रेल रत्न होटलों के लिए फिर से टेंडर निकाला. बीएनआर का टेंडर पेपर बेचने की तिथि 30 नवंबर, 2006 तक बढ़ा दी गयी.

15 नवंबर को दूसरे शुद्धि पत्र में बीएनआर होटल के शर्तों को ऐसे बदला गया, ताकि वह कोचर बंधुओं के पक्ष में जाये. रांची बीएनआर के लिए 15 और पुरी बीएनआर के लिए 17 टेंडर पेपर बेचे गये थे. लेकिन, आइआरसीटीसी के पास सिर्फ सुजाता होटल और दीनानाथ होटल द्वारा जमा किये गये टेंडर पेपर ही हैं. बीएनआर पुरी के लिए सुजाता होटल प्रा‌इवेट लिमिटेड और पुरी की बिमला प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की मेसर्स केसरी होटल ने टेंडर डाला था. टेंडर पेपर की जांच के दौरान केसरी होटल को काफी कम नंबर मिले. इससे सुजाता होटल को सफल घोषित किया गया. इसी तरह रांची के होटल बीएनआर को भी सुजाता होटल प्रा लि को हस्तांतरित किया.

सरला की कंपनी में लालू के परिवार के लोग

सरला गुप्ता की कंपनी मेसर्स डिलाइट मार्केटिंग प्राइवेट लिमिटेड का नाम दो बार बदला गया. पहले इस कंपनी का नाम बदल कर मेसर्स लारा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड किया गया. दूसरी बार लारा प्रोजेक्ट्स एलएपी रखा गया. इसके बाद लालू के पारिवारिक सदस्य इसमें शामिल हो गये. वे अब इस कंपनी के ऑथराइज्ड सिगनेटरी हैं. आरोप है कि जब डिलाइट कंपनी का शेयर लारा प्रोज्ेक्टस को सौंपा गया, तो पूरी संपत्ति 64 लाख में दी गयी, जबकि तीन एकड़ जमीन का मार्केट वैल्यू 94 करोड़ और सर्किल वैल्यू 32.5 करोड़ था.

बाहर रोके गये विधायक

मिथिलेश4पटना

आम तौर पर 10, सर्कुलर रोड पर सुबह आठ बजे के बाद ही चहल-पहल शुरू होती है. लेकिन, शुक्रवार की अहले सुबह ही 10, सर्कुलर रोड खास बन चुका था. सुबह की सैर के दौरान जब लालू-राबड़ी के आवास के सामने से गुजरते वक्त चार निजी गाड़ियों का अचानक रुकना आंखों को खटक-सा गया था. लेकिन, कोई बड़ी घटना होनेवाली है, इसका अंदाजा नहीं था. सर्कुलर रोड पर ही मुख्यमंत्री आवास स्थित लोक संवाद का मुख्य दरवाजा खुलता है. आम तौर पर 10, सर्कुलर रोड पर चार वीआइपी निवास करते हैं. पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद और राबड़ी देवी, उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव व स्वास्थ्य मंत्री तेज प्रताप यादव इसी आवास में रहते हैं. इस कारण इस बंगले के बाहर आम तौर पर वैसे भी सुरक्षा के तामझाम के साथ पांच-सात गाड़ियां लगी रहती हैं. उपमुख्यमंत्री तेजप्रताप यादव और स्वास्थ्य मंत्री तेजप्रताप यादव का अलग बंगला भी आवंटित है, लेकिन शुक्रवार की सुबह वे दोनों भी इसी बंगले में थे. पहले तो यहां तैनात सुरक्षा बलों ने उन्हें रोकने की कोशिश की, लेकिन उनमें से एक अधिकारी ने कुछ कहा, तो फिर सुरक्षा बल किनारे हो गये और सब के सब अंदर प्रवेश कर गये. कुछ पग आगे बढ़ने के बाद जब मन नहीं माना, तो बोलेरो के ड्राइवर से पूछा कि आप लोग कहां से आये हो, पहले तो ड्राइवर चुप हो गया. फिर बोला कि साहेब लोग आये हैं, हम तो उन्हें सुबह पांच बजे से घुमा रहे हैं. थोड़ी देर बाद घर आने के बाद पता चला कि लालू-राबड़ी आवास पर सीबीआइ की छापेमारी चल रही है. सुबह जो लोग 10, सर्कुलर रोड पर आये थे, वे सब सीबीआइ के अधिकारी थे. तब तक सात बज चुके थे. आम तौर पर लालू प्रसाद के पटना में होने की स्थिति में पूर्व सांसद शिवानंद तिवारी प्रतिदिन सुबह की सैर के बाद 10, सर्कुलर रोड पहुंचते हैं. लालू प्रसाद चारा घोटाले के एक मामले में सुनवाई के दौरान पेशी के लिए रांची में हैं, इसलिए शिवानंद तिवारी सीधे अपने आवास लौटने के मूड में थे. इसी दौरान उनकी मुलाकात राजद के प्रदेश प्रवक्ता प्रगति मेहता से हो गयी. प्रगति को तब तक छापेमारी की खबर लग चुकी थी. उन्होंने शिवानंद को छापेमारी की जानकारी दी. शिवानंद 10, सर्कुलर रोड पहुंचे भी, लेकिन अंदर नहीं जा पाये. बंगले के अंदर बैठी सीबीआइ की टीम ने किसी भी नेता, यहां तक कि विधायकों को भी अंदर नहीं आने दिया. अंदर से मिली खबरों के मुताबिक सीबीआइ की टीम ने पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी, तेजप्रताप और तेजस्वी को अलग बैठा दिया.

लालू से फोन पर बात, फिर छापेमारी

6:25 बजे : सीबीआइ की टीम लालू राबड़ी आवास पर पहुंची. इस समय आवास के मुख्य दरवाजे के गार्ड ने सीबीआइ टीम के कहने पर राबड़ी देवी को इनके आने की खबर की गयी.

7.05 बजे : राबड़ी देवी से सीबीआइ की टीम ने उन्हें सर्च करने की जानकारी दी.राबड़ी देवी ने कहा लालू प्रसाद घर पर नहीं हैं, आप उनसे बात कर लें.

7.15 बजे : सीबीआइ ने लालू प्रसाद से मोबाइल पर बात की और कहा आपके घर पर सर्च का वारंट है. लालू प्रसाद ने कहा हम पटना में नहीं हैं आते हैं तो करियेगा. सीबीआइ के अधिकारी ने कहा, मुझे आज ही सर्च करने का आदेश है. लालू प्रसाद ने कहा है तो करिये.

7.30 बजे : सीबीआइ ने राबड़ी देवी से कहा कि घर की महिला सदस्यों को बाहर बुला लें, हमें कमरे भी तलाशी लेनी हैं. राबड़ी देवी ने महिला कर्मियों को घर के बाहर बुलायीं.

8.00 से 10:00 बजे तक : सभी कमरों को खंगाला गया, इस दौरान घर के सदस्य बाहर इंतजार करते रहे.

9.00 बजे : राबड़ी देवी से सीबीआइ की महिला अधिकारियों ने पूछताछ शुरू की, तकरीबन सात घंटे तक पूछताछ चली.

11.30 : बजे सीबीआइ अधिकारियों ने चाय ब्रेक ली. कुछ इधर-उधर की बात की.

12.00 बजे : उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव से पूछताछ शुरू, करीब पांच घंटे तक पूछताछ हुई. बीच-बीच में ब्रेक लेकर.

3.00 बजे : इसके बाद सीबीआइ की टीम ने बंगले के अंदर रखे कंप्यूटर को खंगाला.

5.45 बजे : सीबीआइ की टीम लालू-राबड़ी आवास से बाहर निकल गयी.

बीएनअार मामला

2008 में ललन सिंह और शिवानंद तिवारी ने किया था खुलासा

पटना: जिस रेलवे के होटल को आइआरटीसी के सहारे निजी हाथों को बेचने का आरोप राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद पर लगा है, वह मामला वर्तमान में महागठबंधन सरकार के मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह और पूर्व सांसद शिवानंद तिवारी ने ही उजागर किया था. 12 अगस्त, 2008 में इसका दोनों नेताओं ने खुलासा किया. ललन सिंह व पार्टी के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव ने 600 पन्ने का एक दस्तावेज तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को जांच के लिए सौंपा था. लेकिन, सरकार ने जांच के लायक नहीं माना. मामला ठंडे बस्ते में चला गया. इस समय ललन सिंह जदयू के प्रदेश अध्यक्ष थे. जबकि, शिवानंद तिवारी जदयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता थे. अब केंद्र में बनी नरेंद्र मोदी की सरकार के तीन साल बाद पुन: जांच शुरू हुई है. राजद नेताओं व लालू समर्थकों काे इसी पर एतराज है. उनका दावा है कि भाजपा लालू प्रसाद को डरा रही है. लालू प्रसाद 2004 तक केंद्र में रेल मंत्री थे. 2004 में यूपीए 2 सरकार बनी. इस सरकार में लालू और उनकी पार्टी को जगह नहीं मिली. इसके बावजूद मनमोहन सरकार ने जदयू के इस आरोप को कोई तवज्जो नहीं दी.

लालू पर कई मामले, परिवार पर भी आरोप

चारा घोटाला : 900 करोड़ रुपये का चारा घोटाला 1990 के दशक में सामने आया था. उस वक्त लालू यादव बिहार के मुख्यमंत्री थे. चारा घोटाले में लालू के खिलाफ कुल पांच केस चल रहे हैं. एक मामले में उन्हें सजा भी हो चुकी है. यह घोटाला सन 1990 से लेकर सन 1997 के बीच हुआ था.

बेनामी संपत्ति : एक हजार करोड़ की बेनामी संपत्ति के मामले में 16 मई को आयकर विभाग ने लालू के 22 ठिकानों की छापेमारी की थी.

18 फ्लैट की मालकिन : आरोप है कि वह 18 फ्लैट की मालकिन हैं. इनकी आज की कीमत 20 करोड़ रुपये से ज्यादा है. राबड़ी देवी ने यह जमीन लालू यादव के रेल मंत्री और अपने सीएम रहते अपने नाम लिखवायी थी.

तीन साल आठ माह की उम्र में दी गयी जमीन : आरोप है कि सांसद रमा देवी ने लालू प्रसाद के बेटे तेज प्रताप को जमीन दान में दी थी. लगभग 13 एकड़ जमीन 1992 में तेज प्रताप यादव को दान में दी गयी. जिस वक्त यह दान दी गयी, तेज प्रताप की उम्र महज 3 साल 8 महीने थी. जमीन सेवा के नाम पर दी गयी. बाद में लालू प्रसाद ने कहा कि जमीन का निबंधन उसी साल रद्द करा दिया गया था.

मिट्टी घोटाला : आरोप है कि तेज प्रताप ने अपनी ही जमीन की मिट्टी पटना चिड़िया घर को नब्बे लाख रुपये में बेच दी.

घोटालों के पैसों से फार्म हाउस खरीदने का आरोप : मीसा और उनके पति शैलेश पर आरोप है कि रेल कंपनियों के जरिये आने वाले पैसों से उन्होंने दिल्ली में फार्म हाउस खरीदे. एक अन्य कंपनी केएचके के भी शेयर खरीदे, जिससे उनके पास एक और फार्म हाउस आ गया.

चारा से लारा घोटाले तक एक ही सीबीआइ अफसर के जिम्मे जांच

नयी िदल्ली: दो दशक पहले चारा घोटाला के समय राकेश अस्थाना ने लालू प्रसाद से पूछताछ की थी, उन्हीं की देखरेख में शुक्रवार को लालू और राबड़ी के घर पर छापा पड़ा. तब सीबीआइ एसपी राकेश अस्थाना ने तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद से छह घंटे तक पूछताछ की थी. अभी राकेश सीबीआइ के एडिशनल डायरेक्टर हैं और इन्हीं के दिशा निर्देश पर फिर से लालू व उनके परिजन के खिलाफ छापा मारा गया है. राकेश अस्थाना का जन्म रांची में 1961 में हुआ है. वह 1984 बैच के गुजरात कैडर के आइपीएस पदाधिकारी हैं. उन्होंने स्कूली पढ़ाई नेतरहाट स्कूल से पूरी की. उन्होंने जेएनयू से पढ़ाई की और कुछ दिनों के लिए रांची के सेंट जेवियर कॉलेज में अध्यापन के कार्य से भी जुड़े रहे.

किसने क्या कहा

लालू प्रसाद के आवास पर सीबीआइ छापामारी बदले की कार्रवाई है. भाजपा विपक्षी दलों को परेशान करने के लिए केंद्रीय एजेंसियों का इस्तेमाल कर रही है.

-ममता बनर्जी, तृणमूल कांग्रेस प्रमुख

लालू प्रसाद पर पहले से भ्रष्टाचार का मामला चल रहा है. एक और भ्रष्टाचार के आरोप लालू के परिवार पर लग रहे है. कानून अपना काम कर रहा है और राजनीतिक साजिश की बात गलत है. बिहार में बेनामी संपति का कानून बना हुआ है. नीतीश कुमार को इस पर तुरंत कार्रवाई करना चाहिए.

-राम विलास पासवान, लोजपा प्रमुख

आज लोकतंत्र का सबसे काला दिन है. हम इससे डरने वाले नही है और इसका मुकाबला राजनीतिक और कानूनी तौर पर करेंगे. सीबीआइ भाजपा के इशारे पर काम कर रही है.

-मनोज झा, राजद प्रवक्ता

यह मामला 2004 से चल रहा है. क्या कारण है कि पिछले 14 साल से कोई कार्रवाई नही हुई.

-रणदीप सुरजेवाला, प्रवक्ता, कांग्रेस

छापे से पता चलता है कि केंद्र सरकार विपक्ष के नेताओं से कैसा व्यवहार कर रही है. सीबीआइ की कार्रवाई पूरी होने के बाद कुछ कहना सही होगा. लेकिन, यह सही है कि विपक्षी नेता सरकार के निशाने पर है.

-केसी त्यागी, प्रवक्ता, जदयू

आप अपने को बड़ा नेता मानते है. इसका मतलब यह नही की आप कानून से ऊपर हैं.

-राजीव प्रताप रूडी, केंद्रीय मंत्री

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