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संघ का संस्कारों के प्रति श्रद्धा भाव : चक्रधर

रांची : राष्ट्र संवर्धन समिति, झारखंड द्वारा बुधवार को रांचीविश्वविद्यालय केंद्रीय सभागार में राष्ट्र की एकता और अखंडता में संघ का योगदान विषय पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में मुख्य अतिथि बिरसा कृषि विश्वविद्यालय रांची के कुलपति परविंदर कौशल तथा मुख्य वक्ता के तौर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के उत्तर-पूर्व क्षेत्र के […]

रांची : राष्ट्र संवर्धन समिति, झारखंड द्वारा बुधवार को रांचीविश्वविद्यालय केंद्रीय सभागार में राष्ट्र की एकता और अखंडता में संघ का योगदान विषय पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया.
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि बिरसा कृषि विश्वविद्यालय रांची के कुलपति परविंदर कौशल तथा मुख्य वक्ता के तौर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के उत्तर-पूर्व क्षेत्र के क्षेत्र प्रचारक रामदत्त चक्रधर ने संबोधित किया.
डॉ परमिंदर कौशल ने कहा कि समय के साथ कदम से कदम मिला कर यदि कोई चला, तो वह संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ(आरएसएस) है. यह संगठन हिंदू समाज को संगठित करना अपना मुख्य लक्ष्य मानता है. संघ समरस समाज के लिए सतत कार्यशील है. वसुधैव कुटुंबकम इसकी पहचान है.संघ मानता है कि हिंदुत्व एक जीवन पद्धति है.
दुष्प्रचार का शिकार होता रहा है संघ : क्षेत्र प्रचारक रामदत्त चक्रधर ने कहा कि संघ अपने स्थापना काल से ही कई दुष्प्रचारों का शिकार हुआ है. 1948 में पूज्य गांधी जी की हत्या का मिथ्या आरोप संघ पर लगा. 1975 में आपातकाल झेला. पहले नो आरएसएस लेकिन अब नो (जाने) आरएसएस के लिए लोग उत्सुक हैं. 1920 में नागपुर में डॉ हेडगेवार ने कांग्रेस के अधिवेशन में पूर्ण आजादी की मांग रखी .1930 में पूर्ण स्वराज की मांग पर संघ की सभी शाखाओं पर संकल्प दिवस मना.
1947 में विभाजन की त्रासदी में हिंदुओं की रक्षा करते हुए कितने स्वयंसेवकों की मौत हो गयी. घायल लुटे-पिटे हिंदुओं के पुनर्वास में जो कार्य संघ के लोगों ने किया, वह सराहनीय है. जम्मू-कश्मीर का प्रश्न यदि आज भयावह है, तो इसके जिम्मेवार नेहरूजी ही हैं. श्री चक्रधर ने जम्मू-कश्मीर से लेकर सिलवासा और गोवा तक में संघ के योगदान का जिक्र किया. भारत-चीन युद्ध का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि 1962 में भारत में साम्यवादी खुलेआम चीन के समर्थन में खड़ा था. ऐसे में संघ का उस समय किया गया कार्य इतिहास में सुनहरे अक्षरों से दर्ज है, तभी तो 1963 में नेहरूजी जो संघ को फूटी आंखों नहीं देखना चाहते थे.
असम, गुजरात, हैदराबाद और पंजाब में संघ के कार्यकर्ताओं ने देश की एकता और अखंडता के लिए सकारात्मक प्रयास किया. उन्होंने कहा कि राष्ट्र की एकता और अखंडता के लिए संघ अपने स्थापना काल से ही निरंतर कार्य कर रहा है. संघ का मानना है कि यदि व्यक्ति राष्ट्र के प्रति सकारात्मक सोच से अभिभूत हो और अपने संस्कार और संस्कृति के प्रति अटूट श्रद्धा का भाव रखता है, तो वह राष्ट्र सदैव समृद्धि के सोपान पर आरूढ़ होगा. संघ उसी व्यक्ति निर्माण की प्रक्रिया के लिए कटिबद्ध है. विषय प्रवेश कृषि विश्वविद्यालय के पंकज वत्सल ने किया.

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