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ट्विटर पर सिर्फ शुभकामनाएं देती है झारखंड पुलिस, लिंक बताता है Page not Found

।। मिथिलेश झा ।। रांची : सोशल मीडिया आज वक्त की जरूरत है. तेजी से संवाद का यह सबसे सशक्त माध्यम बन गया है. हाल के दिनों में किसी बड़ी हिंसा के मामले को देख लीजिए. आप पायेंगे कि किसी न किसी रूप में हिंसा भड़काने में सोशल मीडियाकी अहम भूमिका रही है. हाल ही […]

।। मिथिलेश झा ।।

रांची : सोशल मीडिया आज वक्त की जरूरत है. तेजी से संवाद का यह सबसे सशक्त माध्यम बन गया है. हाल के दिनों में किसी बड़ी हिंसा के मामले को देख लीजिए. आप पायेंगे कि किसी न किसी रूप में हिंसा भड़काने में सोशल मीडियाकी अहम भूमिका रही है.

हाल ही में जमशेदपुर और रामगढ़ में भीड़तंत्र द्वारा कई लोगों की हत्या के मामले में भी यही तथ्य सामने आया है. लेकिन, झारखंड की पुलिस आज भी ट्विटर जैसे सशक्त सोशल मीडिया का इस्तेमाल महज शुभकामनाएं देने के लिए कर रहा है. मान लें कि यह एक सामान्य लोकाचारहै,लेकिन पुलिस का मुख्य कामसुरक्षा,अफवाहवकानून-व्यवस्था संबंधी सूचनाएं देना वजागरूकतालाना है.

यदि आप झारखंड पुलिस के ट्विटर अकाउंट को देखेंगे, तो पायेंगे कि कभी-कभार ही पुलिस ने अपने किसी कार्यक्रम की सूचना लोगों तक पहुंचाने के लिए इस मीडिया का इस्तेमाल किया है. बाकी सारे ट्वीट में या तो किसी का लिंक शेयर किया गया है या शुभकामना संदेश दिया गया है.

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यदि आप 31 दिसंबर, 2016 से आज तक पुलिस द्वारा ट्विटर पर किये गये पोस्ट को देखेंगे, तो पायेंगे कि 31 दिसंबर को पुलिस ने लोगों को नववर्ष की शुभकामनाएं दी हैं. हालांकि, पुलिस इस दिन लोगों को नशे से दूर रहने की अपील कर सकती थी. वाहन चलाने में सावधानी बरतने की भी अपील कर सकती थी.
इसके बाद झारखंड पुलिस के इस अकाउंट से 4 जनवरी, 2017 को एक पोस्ट आया, जिसमें गुरु गोविंद सिंह की 350वीं जयंती की शुभकामनाएं दी गयी हैं.

11 और 13 जनवरी के पोस्ट में क्रमश: 28वां राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा सप्ताह -2017 एवं सड़क सुरक्षा पदयात्रा (जनवरी 9 से 15) और एक स्कूल में ट्रैफिक जागरूकता कार्यक्रम की जानकारी दी गयी है. पुलिस के कार्य के अनुरूप यह अच्छी पहल है. पुलिस से ऐसी ही सूचना साझा करने की उम्मीद की जाती है, लेकिन पुलिस विभाग में ऐसी सूचनाओं को सार्वजनिककरने का अभाव दिखता है.

फिर जो भी ट्वीट हुए हैं, उसमें मकर संक्रांति, गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं दी गयी हैं. 17 फरवरी को ‘Investors in, Maoists out’ शीर्षक से एक ट्वीट आया था. यह मोमेंटम झारखंड के दौरान एक अंगरेजी अखबार द्वारा की गयी रिपोर्टिंग थी, जिसका लिंक पुलिस ने अपने ट्विटर से शेयर किया.

झारखंड पुलिस हर त्योहार पर, हर महापुरुष की जयंती और उनकी पुण्यतिथि पर शुभकामनाएं देती है, लेकिन पुलिस-नागरिक संबंधों को बढ़ाने के बारे में कभी कोई जानकारी ट्विटर पर शेयर नहीं की. वर्ष 2017 के 6 महीने (जनवरी से जून) की ही बात करें, तो झारखंड पुलिस ने सोशल मीडिया की बुराइयों या सामाजिक कुरीतियों और समाज में फैले अंधविश्वास के खिलाफ कभी कोई जागरूकता अभियान चलाने की कोशिश नहीं की.

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झारखंड में फेसबुक और व्हाट्सएप पर फैली अफवाह की वजह से भीड़तंत्र द्वारा लोगों की पीट-पीट कर हत्या की घटनाएं लगातार बढ़ती गयीं. पुलिस ने अपने सोशल मीडिया साइटकेजरिये कभी लोगों को जागरूक करने की कोशिश नहीं कि वे अफवाहों पर ध्यान न दें. गलत सूचनाओं से दूर रहें.

पुलिस के ट्विटर अकाउंट को देखने के बाद ऐसा लगता है कि वह सोशल मीडिया पर पूरी तरह सक्रिय है ही नहीं. या उसके हैंडलर को सोशल मीडिया की बुराइयों से निबटने की ट्रेनिंग ही नहीं दी गयी है. और तो और झारखंड पुलिस का ट्विटरअकाउंट वेरिफाइड भी नहीं है.

झारखंड पुलिस के ट्विटर अकाउंट से फेसबुक के कुछ लिंक शेयर किये गये हैं. यदि आप उस लिंक पर क्लिक करेंगे, तो पेज खुलेगा ही नहीं. लिखेगा, ‘Page not Found’.

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