रांची : हड्डी इंप्लांट और इंट्राओक्युलर लेंस का उपयोग करनेवाले मरीजों के लिए राहत भरी खबर है. इन दोनों की कीमत तय करने की प्रक्रिया तेज हो गयी है. भारत सरकार एवं ड्रग प्राइसिंग ऑथिरिटी ने हड्डी इंप्लांट और इंट्राओक्युलर लेंस बनानेवाली कंपनियों से इनकी कीमत मांगी है. कीमतें मिलते ही सरकार इन्हें नेशनल लिस्ट ऑफ इसेंशियल मेडिसिन (एनएलइएम) में शामिल करेगी. इससे इनकी अधिकतम कीमतें निर्धारित हो जायेंगी. इसका सीधा लाभ लाभ मरीजों को मिलेगा.
फिलहाल हड्डी इंप्लांट और इंट्राओक्युलर लेंस एनपीपीए में शामिल नहीं हैं, जिसकी वजह से कंपनियां इनकी एमआरपी इनके वास्तविक मूल्य से काफी अधिक तय करती हैं. इससे कंपनी, सप्लायर अौर अस्पतालों को लाभ मिलता है. एमआरपी और वास्तविक मूल्य में अंतर होने के कारण मरीजों से अलग-अलग राशि ली जाती है. गौरतलब है कि प्रभात खबर खबर हड्डी इंप्लांट और इंट्राओक्युलर लेंस के नाम पर मरीजों से मनमाना पैसा वसूले जाने से संबंधित खबर प्रकाशित करता रहा है.
सरकार ने तय कर दी है स्टेंट की कीमत : भारत सरकार ने स्टेंट को एनएलइएम और एनपीपीए में शामिल कर अधिकतम कीमत निर्धारित कर दी है. इससे हृदय रोगियों को राहत मिली है. उम्मीद है कि आनेवाले छह माह में हड्डी इंप्लांट और इंट्राओक्युलर लेंस की कीमतें भी निर्धारित कर दी जायेगी.
स्टेंट आैर पेसमेकर खरीदने को लेकर निदेशक ने की बैठक
रांची. रिम्स निदेशक डॉ बीएल शेरवाल ने गुरुवार को कार्डियोलॉजी के विभागाध्यक्ष डॉ हेमंत कुमार रॉय के साथ बैठक की. इसमें उनसे स्टेंट, पेसमेकर और एंजियोग्राफी सीट की खरीद को लेकर उनसे सुझाव मांगा गया. निदेशक ने बताया कि हम कार्डियोलाॅजी और कार्डियेक सर्जरी के दौरान उपयोग में लाये जाने वाले सामान उपलब्ध कराना चाहते हैं, इसलिए विशेषज्ञ चिकित्सकों से राय ली गयी है. डॉ हेमंत ने से जो सुझाव दिये हैं, उसके हिसाब से सामान की खरीद की जायेगी.