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भूमि अधिकार आंदोलन : कई राज्यों से जुटे लोग कहा, किसानों को हक नहीं मिला तो देश बर्बाद हो जायेगा

रांची : भूमि अधिकार आंदोलन को लेकर झारखंड में देश भर के कई राज्यों से लोगों का जुटान रांची के गॉस्नर कॉलेज के थियोलॉजिकल सभागार में हुआ. पहले सत्र में ही भूमि अधिकार को लेकर झारखंड का प्रस्ताव दयामणि बारला ने पेश किया. उन्होंने किसानों के हक और परती जमीन पर भी उनके अधिकारों की […]

रांची : भूमि अधिकार आंदोलन को लेकर झारखंड में देश भर के कई राज्यों से लोगों का जुटान रांची के गॉस्नर कॉलेज के थियोलॉजिकल सभागार में हुआ. पहले सत्र में ही भूमि अधिकार को लेकर झारखंड का प्रस्ताव दयामणि बारला ने पेश किया. उन्होंने किसानों के हक और परती जमीन पर भी उनके अधिकारों की बात की. खेती से लेकर महुआ जमा करने और पशु धन को लेकर आदिवासियों की चली आ रही कार्य संस्कृति को भी उन्होंने सामने रखा. इसी सत्र में राष्ट्रीय स्तर पर भी भूमि अधिकार को लेकर प्रस्ताव रखा गया.

इस आयोजन में कई राज्यो से लोग पहुंचे है केरल, उत्तर प्रदेश, गुजरात समेत कई राज्य के लोग जो मिलकर एक बड़ा आंदोलन खड़ा करना चाहते हैं इस कार्यक्रम का हिस्सा थे. झारखंड के अलग- अलग जिलों से भी लोग यहां पहुंचे. दयामणि बारला ने प्रभात खबर डॉट कॉम से कार्यक्रम के इतर कहा, हम अपने हक की लड़ाई लड़ रहे हैं. राज्य सरकार और केंद्र सरकार जिस तरह हमें अपनी जमीन से बेदखल कर देना चाहती है हम उसके खिलाफ है. हम उद्योगपतियों को अपनी जमीन का इस्तेमाल करके और पैसा नहीं कमाने देंगे.
गुजरात से इस आंदोलन का हिस्सा बनने आये अमर सिंह चौधरी पांचवी लोकसभा का हिस्सा थे उन्होने कहा, हमारे गुजरात में भी भूमि अधिग्रहण हो रहा है. हम उन लोगों के हक की आवाज उठा रहे हैं. हम उस धरती पर हैं जहां बिरसा मुंडा ने हक के लिए शहादत दी हम उनकेनक्शे कदम पर चलने को तैयार हैं.
झारखंड से राजेन्द्र सिंह मुंडा तीन बार विधायक रहे हैं और अखिल भारतीय किसान महासभा से जुड़े हैं. उन्होंने कहा, सरकार जमीनें छिन कर पूंजीपतियों को देना चाहती है. यह पांचवी अनुसूची से जुड़ा है कई अधिकार हैं लोगों के पास उसे छिना जा रहा है. पशुधन को लेकर जो नियम बनें हैं वह भी गलत है. किसान का व्यापार पशु से जुड़ा है वह अपने अनुसार फैसला नहीं लेंगे तो उन्हें दिक्कत होगी. सीएनटी – एसपीटी एक्ट समेत कई मुद्दों पर हमारा विरोध .
केरल से आये कृष्ण प्रसाद किसान सभा से जुड़े हैं. उन्होंने कहा, 2015 में मोदी सरकार ने जमीन अधिग्रहण के लिए अध्यादेश लाया इसके खिलाफ लोगों ने लड़ाई लड़ी. अब कई राज्य इसे कानून बनाने में लगे हैं. यह गलत है झारखंड समेत पूरे देश में लोगों ने अपनी जमीन के लिए लड़ाई लड़ी है.
गुजरात से आये अशोक चौधरी के परिवार वाले कई आंदोलन से जुड़े हैं उन्होंने बताया कि कैसे 1924 में गांधी जी उनके घर आये थे. उनकी तीन पीढ़ियां स्वतंत्रता संग्राम से लेकर अबतक लोगों के लिए काम कर रही है. गुजरात मॉडल पर उन्हों ने कहा कि यह विकास का मॉडल कुछ लोगों के लिए है नीचे के लोगों तक यह काम नहीं करता . स्टीफन हॉकिन्स ने कहा, 100 सालों के बाद हमें कोई और धरती ढुढ़नी होगी . सरकार का यह काम उनकी बातों की और ही इशारा करता है. प्रकृति को बचाने और उसके संरक्षण के लिए काम करना होगा.

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