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सीएनटी-एसपीटी: एक्ट में संशोधन पर सत्ता और विपक्ष में तनातनी जारी गंभीरता से पुनर्विचार कर सर्वसम्मति से हो निर्णय
सत्ता पक्ष भाजपा के आदिवासी विधायकों ने कहा है कि राज्यपाल द्वारा लौटाये गये संशोधन विधेयक पर पुनर्विचार होना चाहिए. इस पर सर्वसम्मति से निर्णय होना चाहिए. पहले ही इसको लेकर काफी किरकिरी हो चुकी है. ऐसे में सत्ता पक्ष के साथ-साथ विपक्षी दलों व उनके नेताओं से भी सुझाव लेकर आगे निर्णय हो. इस […]
सत्ता पक्ष
भाजपा के आदिवासी विधायकों ने कहा है कि राज्यपाल द्वारा लौटाये गये संशोधन विधेयक पर पुनर्विचार होना चाहिए. इस पर सर्वसम्मति से निर्णय होना चाहिए. पहले ही इसको लेकर काफी किरकिरी हो चुकी है. ऐसे में सत्ता पक्ष के साथ-साथ विपक्षी दलों व उनके नेताओं से भी सुझाव लेकर आगे निर्णय हो. इस पर भाजपा के सात आदिवासी विधायकों में से चार विधायकों ने अपनी बात रखी है.
विपक्ष
विपक्षी दलों ने सरकार द्वारा सीएनटी-एसपीटी एक्ट पर रायशुमारी किये जाने के मुद्दे पर सरकार को घेरा है़ विपक्ष का कहना है कि राज्यपाल ने जनभावना के अनुरूप फैसला किया है़ विपक्षी दलों का जोर है कि सरकार जमीन की प्रकृति बदलने का प्रस्ताव वापस ले़ जमीन का नेचर बदलने से आदिवासी जमीन की लूट होगी़ विपक्षी दलों ने सरकार से तत्काल संशोधन का प्रस्ताव वापस लेने की मांग की है़
इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार हो : कड़िया मुंडा
भाजपा के वरिष्ठ नेता और सांसद कड़िया मुंडा ने कहा है कि वह गुरुवार को होने वाली बैठक में नहीं रहेंगे. सांसद श्री मुंडा ने बताया कि दिल्ली में बैठक है़ एक ही दिन दो बैठक में नहीं जा सकता हू़ं यह पूछने पर कि सरकार को क्या सुझाव देना चाहेंगे. श्री मुंडा ने कहा कि पहले सीएनटी-एसपीटी में जो संशोधन हुए, वे जनहित में नहीं थे़ अब सरकार जनहित में फैसला ले़ गंभीरता से विचार-विमर्श के बाद ही कोई फैसला होना चाहिए़ सारे लोगाें के विचार सुने जाये़ं श्री मुंडा ने कहा कि मेरे पास अभी पहले के संशोधन का दस्तावेज नहीं है़ इसलिए इस पर कोई विशेष राय नहीं दे सकता हू़ं लेकिन समाज के लोगों को जिन पर आपत्ति थी, उस पर गहराई से विचार करना चाहिए़
संशोधन हो, पर आदिवासी हितों के लिए : अर्जुन मुंडा
पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि आदिवासी हितों को ध्यान में रखते हुए संशोधन होना चाहिए. सरकार आदिवासी जमीन की प्रकृति बदलना चाहती है, ऐसे में यह जानना जरूरी है कि जिसके लिए यह किया जा रहा है, क्या वे इसके लिए तैयार हैं? एक्ट में संशोधन करने से पहले इस पर विस्तृत चर्चा होनी चाहिए. सभी को विश्वास में लेकर सुझाव लेना चाहिए, ताकि उनमें किसी तरह की भ्रम की स्थिति नहीं हो.
सिर्फ एसटी नहीं, सबकी राय महत्वपर्ण : किशोर
भाजपा के मुख्य सचेतक राधाकृष्ण किशोर ने पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुवा को पत्र लिखा है. श्री किशोर ने गुरुवार को सीएनटी-एसपीटी एक्ट पर आदिवासी सांसद, विधायक और पदाधिकारियों की होनेवाली बैठक को लेकर सवाल उठाया. श्री किशोर ने प्रदेश अध्यक्ष से कहा है कि सीएनटी-एसपीटी एक्ट से प्रदेश में अनुसूचित जाति और पिछड़ा वर्ग के लोग भी समान रूप से प्रभावित होते है़ं ऐसे में इस मामले में पार्टी स्तर पर हाेनेवाले विचार-विमर्श के लिए एससी और पिछड़ा वर्ग के सांसद व विधायकों को भी आमंत्रित किया जाये. सीएनटी-एसपीटी एक्ट प्रदेश का संवेदनशील मुद्दा है़ यह मामला राज्य में आर्थिक-सामाजिक परिवेश को भी प्रभावित करता है़ श्री किशोर ने कहा कि पिछले शीतकालीन सत्र के दौरान संशोधन विधेयक को पेश करने और पारित किये जाने के समय सत्ता पक्ष के सभी विधायकों से विचार-विमर्श किया गया था़ उसी तरह समग्रता में संशोधन विधेयक पर पुनर्विचार के लिए सत्ता पक्ष के सभी सांसद और विधायक से राय लेना उचित होगा.
कृषि से गैर कृषि में बदलने का प्रावधान खत्म हो : बाबूलाल
झाविमो अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने कहा है कि संशोधन जनभावना के अनुरूप नहीं था़ राज्यपाल ने 194 संगठनों की आपत्ति और जनभावना को देखते हुए बिल वापस लौटाने का फैसला लिया़ अब सरकार को भी जनभावना का आदर करना चाहिए़ कृषि से गैर कृषि में जमीन की प्रकृति बदलने का प्रावधान खत्म हाेना चाहिए़ सीएनटी की धारा 49 और एसपीटी की धारा 13 में संशोधन को वापस लेना चाहिए़ यह गरीब किसानों की जमीन छीनने के लिए किया गया संशोधन है़ पहले भी सरकारी परियोजना के लिए सीएनटी-एसपीटी की जमीन ली गयी है़ डैम, खदान से लेकर स्कूल, अस्पताल, सड़क, रेलवे ट्रैक जैसी परियोजनाओं में जमीन गयी है़ इसके लिए सीएनटी में संशोधन करने का कोई मतलब नहीं है़ एसआर कोर्ट में मुआवजा का प्रावधान खत्म होना चाहिए़ इसका दुरुपयोग हुआ है़ इसमें किसी को कोई आपत्ति नहीं है़ ऐसे में मुआवजा का प्रावधान 1969 में 30 वर्षों के लिए हुआ था़ यह स्वत: समाप्त होना था़
सरकार फिर से कर रही है साजिश : सुप्रियो
रांची. झामुमो के महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा है कि सीएनटी-एसपीटी एक्ट में सरकार को मुंह की खानी पड़ी है़ राज्यपाल ने जनभावना के अनुरूप काम किया है़ भाजपा एक बार फिर साजिश कर रही है़ इस मामले में अब कोई कवायद की जरूरत नहीं है़ सीएनटी की धारा 49 और 18 में किये गये संशोधन को लेकर आपत्ति है़ जमीन की प्रकृति बदलने का फैसला तत्काल वापस होना चाहिए़ जमीन का नेचर बदल कर सीएनटी-एसपीटी की जमीन लूट का रास्ता खोला जा रहा था़ सरकार की साजिश है कि आदिवासी-मूलवासी और दूसरे समाज के बीच वैमनस्य पैदा किया जाये़ झारखंड को अस्थिर करने की साजिश चल रही है़ झामुमो सदन से लेकर सड़क तक इस लड़ाई को लड़ेगा. स्थानीयता को हम फिर से परिभाषित करने की मांग मॉनसून सत्र में करेंगे़.
संशोधन वापस ले सरकार : जनार्दन प्रसाद
रांची. माले के राज्य सचिव जनार्दन प्रसाद ने सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन संबंधी प्रस्ताव को अनुमोदन नहीं किये जाने का स्वागत किया है. उन्होंने सरकार से इसे वापस लेने की मांग की है. उन्होंने कहा है कि यह झारखंड की संघर्षशील जनता की जीत है. श्री प्रसाद ने कहा है कि सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन के खिलाफ जनसंघर्ष तेज करने की जरूरत है.
भ्रम की स्थिति है, प्रकृति बदलने का प्रावधान हटे : शिवशंकर उरांव
भाजपा विधायक शिवशंकर उरांव ने कहा कि सीएनटी की धारा 21 और एसपीटी की धारा 13, जिसमें जमीन की प्रकृति बदलने का संशोधन है, उसको लेकर भ्रम की स्थिति है. आम जनता भ्रमित है, तो इसको छूना ही नहीं चाहिए. गुरुवार को बैठक होने वाली है. इसमें यह मुद्दा उठेगा. सरकार लोक कल्याण के लिए होती है. जिससे लोगों का कल्याण हो, वही काम सरकार को करना चाहिए. मैंने शुरू से ही ऐसे प्रावधान का विरोध किया था, जो लोक कल्याणकारी नहीं था. जहां तक सीएनटी की धारा 49 का मामला है, तो पहले भी सरकार जमीन का अधिग्रहण करती रही है. सरकारी योजनाओं के लिए जमीन अधिग्रहण में कोई दिक्कत नहीं है.
हठधर्मिता छोड़े सरकार, संशोधन वापस ले : सुखदेव
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सुखदेव भगत ने कहा है कि राज्यपाल की ओर से सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन का प्रस्ताव आपत्ति के साथ लौटा दिया गया है़ संशोधन जनभावना के अनुरूप नहीं था़ सरकार की नैतिक जिम्मेवारी है कि हठधर्मिता छोड़े और सबसे पहले संशोधन वापस ले़ राज्य की साढ़े तीन करोड़ जनता सरकार के फैसले के साथ नहीं है़ सरकार कॉरपोरेट घराने के लिए सब कुछ कर रही है़ अभी भ्रम की स्थिति है़ फिलहाल प्रस्ताव को अविलंब वापस लेकर असमंजस की स्थिति खत्म करनी चाहिए़ अब संशोधन को दुबारा भेजने का प्रयास नहीं होना चाहिए़ बाद में सरकार इस मुद्दे पर सामाजिक, राजनीतिक और दूसरे संगठनों के साथ बातचीत कर सकती है़ सरकार की प्राथमिकता में अभी यह नहीं होना चाहिए़
आदिवासियों की तरक्की को ध्यान में रख कर बने सर्वसम्मति : टुडू
भाजपा विधायक लक्ष्मण टुडू ने कहा कि राज्यपाल ने सीएनटी-एसपीटी संशोधन विधेयक की 192 आपत्तियों को पुनर्विचार के लिए सरकार के पास वापस भेजा है. इस पर पुनर्विचार होना चाहिए. आदिवासियों की तरक्की कैसे हो, इस पर सर्वसम्मति बननी चाहिए. सरकार ने सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन के लिए तीन प्रस्ताव लाया था. इसमें कृषि भूमि की प्रकृति बदलने के प्रस्ताव के लेकर सबसे ज्यादा असमंजस है. अन्य दो प्रस्ताव से किसी को भी खास आपत्ति नहीं है. बैठक में हम भी इन बिंदुओं पर अपना सुझाव देंगे.
सर्वसम्मति से हो निर्णय : विमला
विधायक विमला प्रधान ने कहा कि सीएनटी-एसपीटी संशोधन विधेयक को लेकर सर्वसम्मति बना कर निर्णय होना चाहिए. इस मामले में पहले ही काफी किरकिरी हो चुकी है. पार्टी ही नहीं, विपक्षी दलों से भी सुझाव लेकर ही सरकार को कोई निर्णय लेना चाहिए. राज्यपाल की ओर से सीएनटी-एसपीटी एक्ट को पुनर्विचार के लिए भेजा गया है, ऐसे में आपत्तियों पर गहनता से विचार करने की जरूरत है. पहले ही आदिवासियों में भ्रम फैल चुका है कि एक्ट में संशोधन हुआ, तो उनकी जमीन छिन जायेगी.
जनभावना को समझें सीएम : केडी सिंह
भाकपा के राज्य सचिव केडी सिंह ने कहा कि राजभवन ने जन भावना का सम्मान किया है. अब मुख्यमंत्री को भी सीएनटी-एसपीटी जैसे संवेदनशील मुद्दे पर जन भावना का कद्र करना चाहिए. इस पर संसदीय बहस होनी चाहिए. एसएआर कोर्ट समाप्त करने संबंधी प्रस्ताव का स्वागत है. सरकार को आदिवासियों की जमीन का नेचर बदलने का प्रयास नहीं करना चाहिए.
हठधर्मिता छोड़े सरकार : प्रकाश विप्लव
माकपा राज्य परिषद के सदस्य प्रकाश विप्लव ने बताया कि उनसे जुड़े 34 संगठनों ने राजभवन के समक्ष सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन पर आपत्ति जतायी थी. हम लोग शुरू से ही इस बिल को वापस लेने की मांग कर रहे हैं. जमीन का नेचर बदलना आदिवासियों के लिए तय पांचवीं अनुसूची की भावना के खिलाफ है. सरकार ने फिर बिना संशोधन किये इसे विधानसभा में पेश करने की कोशिश की, तो इसका सड़क से लेकर सदन तक विरोध होगा.
संशाेधन बिल निरस्त हो, नहीं तो आंदोलन : कुणाल षाड़ंगी
झामुमाे विधायक दल के सचेतक सह बहरागाेड़ा के विधायक कुणाल षाड़ंगी ने कहा कि सीएनटी-एसपीटी एक्ट संशाेधन बिल काे राज्यपाल ने वापस कर साफ कर दिया है कि झारखंड में इसे स्वीकार नहीं किया जायेगा. अब दाेबारा यदि बिल काे किसी भी रूप में पेश करने की काेशिश हुई, ताे झारखंड जलेगा. रघुवर दास अपनी हठधर्मिता से पूरे झारखंड काे आग में झाेंकना चाहते हैं. झामुमाे सदन में मांग करेगा कि राज्यपाल द्वारा वापस किये गये संशाेधन बिल निरस्त किया जाये.
सर्वसम्मति बना कर ही लिया जाये कोई भी फैसला : गंगोत्री
भाजपा विधायक गंगोत्री कुजूर ने कहा कि राज्यपाल ने सीएनटी-एसपीटी संशोधन विधेयक लौटाया है, तो इस पर गंभीरता से विचार होना चाहिए. यह पूरे राज्य के आदिवासी समुदाय व रैयतों से जुड़ा मामला है. ऐसे में इसके हर बिंदुओं पर सर्वसम्मति बना कर निर्णय लेना चाहिए, ताकि किसी के मन में कोई शंका नहीं रहे. राज्य के सभी दलों से भी सुझाव लेना चाहिए. कृषि भूमि की प्रकृति बदलने पर भी कई लोगों ने आपत्ति जतायी है. इस मुद्दे पर भी लोगों का सुझाव लेना जरूरी है.
आदिवासी-मूलवासी के हितों को ध्यान में रख होगा निर्णय : मेनका
विधायक मेनका सरदार ने कहा कि आदिवासी-मूलवासी के हितों को ध्यान में रखते हुए निर्णय लिया जायेगा. इसको लेकर बैठक में सुझाव दिया जायेगा. राज्यपाल ने सीएनटी-एसपीटी संशोधन विधेयक को पुनर्विचार के लिए भेजा है. ऐसे में आपत्तियों को गंभीरता से देखते हुए निर्णय लिया जायेगा.
सरकार इस मुद्दे पर विचार करे : अजय तिर्की
केंद्रीय सरना समिति (अजय तिर्की गुट) की बैठक कचहरी आरआइटी भवन स्थित कार्यालय में हुई. अध्यक्ष अजय तिर्की ने कहा कि राज्यपाल ने सीएनटी-एसपीटी एक्ट संशोधन बिल को वापस कर अपने संवैधानिक दायित्व का निर्वाह किया है. यह संवेदनशील मुद्दा है अौर आदिवासियों के हित के खिलाफ है. सरकार इस मुद्दे पर पुन: विचार करे बिल को रद्द करे.
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