अब सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि कोई कदम उठाये जाने से पहले ठंडे दिमाग से इसकी गंभीरता पर सोच ले़ श्री महतो ने कहा कि सरकार सहयोगी दल, विपक्षी दल व जनसंगठनों के साथ संवाद कायम करे़ श्री महतो ने कहा कि मैं समझता हूं कि संवाद, विमर्श और बहस लोकतंत्र के मूल आधार स्तंभ है़ं किसी संवेदनशील विषय पर नीतिगत फैसले के बारे में जानने का हक जनता के साथ उनके नुमाइंदे और सामाजिक संगठनों को भी है़ इससे पहले सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन की जरूरतों और उत्पन्न परिस्थितियों के बारे में किसी पक्ष से कोई जानकारी साझा नहीं की गयी थी. अब राज्यपाल ने तमाम आपत्तियों के साथ सरकार को संशोधन विधेयक लौटा दिया है. अब तब आधिकारिक तौर पर सरकार की ओर से कोई वक्तव्य नहीं आया है़ सरकार आगे कौन सा कदम उठाना चाहती है, इसको लेकर भ्रम कायम है और टकराव बढ़ने का खतरा भी है़.
इसलिए राज्य हित में और जन भावना के मद्देनजर सबसे पहले सरकार को साफ करना चाहिए कि वह किन तरीकों से इसे देख रही है और आगे क्या करना चाहती है़ श्री महतो ने कहा कि मैंने पूर्व में भी ध्यान आकृष्ट कराया है और हमारी पार्टी विभिन्न मंचों के माध्यम से कहती रही है कि संशोधन जन आकांक्षा के विपरीत है़ इस प्रस्ताव में संवैधानिक मानकों का अनुपालन नहीं हो रहा है़ अंगरेज के जमाने में बने इन कानून से महज जमीन की सुरक्षा का सरोकार नहीं है़ इसमें अलग राज्य के गठन का मकसद भी निहित है़ इसे व्यापकता के साथ समझने की जरूरत है़ श्री महतो ने कहा कि सरकार में सहयोगी पार्टी का हिस्सा होने के नाते हम इसके प्रबल पक्षधर रहे हैं कि फैसले व विचारों को थोपा नहीं जाना चाहिए़