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विकास आयुक्त के संज्ञान में आया मामला, मुखिया के विरुद्ध कार्रवाई का निर्देश
रांची: राज्य में पंचायती राज व्यवस्था लागू तो हो गयी है, लेकिन पंचायत स्तर पर ही नीतियों और कार्यक्रमों को लेकर दिलचस्पी कम देखी जा रही है. अलग-अलग विभागों के पंचायत स्तरीय कर्मी कार्यों और बैठकों में रुचि नहीं ले रहे हैं. वे विभागीय नीतियों व कार्यक्रमों की समीक्षा के लिए मुखिया द्वारा आयोजित बैठकों […]
रांची: राज्य में पंचायती राज व्यवस्था लागू तो हो गयी है, लेकिन पंचायत स्तर पर ही नीतियों और कार्यक्रमों को लेकर दिलचस्पी कम देखी जा रही है. अलग-अलग विभागों के पंचायत स्तरीय कर्मी कार्यों और बैठकों में रुचि नहीं ले रहे हैं. वे विभागीय नीतियों व कार्यक्रमों की समीक्षा के लिए मुखिया द्वारा आयोजित बैठकों में भाग नहीं ले रहे हैं.
यहां तक कि पंचायत स्तरीय समीक्षा बैठक भी समय पर नहीं हो रही है. कभी-कभी बैठकें आयोजित होती भी है, तो विभिन्न विभागों के पंचायत स्तरीय कर्मचारी उसमें भाग नहीं लेते हैं. ऐसे में विभागीय निर्देश का अनुपालन व अनुश्रवण नहीं हो पा रहा है. यह भी देखा जा रहा है कि पंचायत स्तरीय कर्मियों की प्रतिनियुक्ति प्रखंड में कर दिये जाने के कारण वे न तो बैठक में भाग लेते हैं और न ही पंचायतों का काम करते हैं.
राज्य के विकास आयुक्त अमित खरे ने यह मामला पकड़ा है. मामला संज्ञान में आने के बाद तत्काल उन्होंने पूरी व्यवस्था को दुरुस्त करने का निर्देश दिया. उन्होंने कहा कि पंचायत स्तरीय समीक्षा बैठक का प्रभावशाली क्रियान्वयन नहीं होने की स्थिति में इसके लिए जिम्मेवार पदाधिकारी या मुखिया के विरुद्ध कार्रवाई की जायेगी.
विकास आयुक्त ने जो निर्देश दिये
मुखिया द्वारा पंचायत स्तर पर कार्यरत विभिन्न विभागों के साथ मासिक बैठक करने को कहा है. साथ ही विभागों द्वारा पंचायत स्तर पर किये जा रहे कार्यों की समीक्षा करने का भी निर्देश दिया है. बैठक में संबंधित पंचायत के लिए चयनित पंचायत से स्वयंसेवक भी भाग लेंगे.
बैठक में सभी विभागों के पंचायत स्तरीय कर्मियों का भाग लेना अनिवार्य होगा. मुखिया की अनुपस्थिति में उप मुखिया या पंचायत समिति सदस्य बैठक की अध्यक्षता करेंगे.
बैठक हर महीने के पहले सप्ताह में संबंधित पंचायत के पंचायत सचिवालय में होगी.
जिन विभागों में पंचायत स्तरीय कर्मी नहीं हैं, वैसे विभागों से संबंधित विषय के क्रियान्वयन की सूचना प्रखंड या उससे ऊपर के अधिकारियों को दी जायेगी.
अगर कर्मचारी बैठक में भाग नहीं ले रहे हैं, तो इसकी जानकारी संबंधित मुखिया को देंगे. बिना समुचित कारण के बैठक में उपस्थित नहीं होना व बैठकों में दिये गये निर्देश का समय से पालन नहीं करना अनुशासनहीनता व लापरवाही माना जायेगा. फिर मुखिया या सक्षम प्राधिकार द्वारा अधिकतम एक माह में कार्रवाई की जायेगी. इसमें किसी तरह की शिथिलता बरतने पर अनुशासनिक कार्रवाई की जायेगी.
उपायुक्त यह सुनिश्चित करेंगे कि पंचायत स्तरीय कर्मियों की प्रतिनियुक्ति प्रखंड या जिला स्तर पर न हो. वे पंचायत में ही रहें और पंचायत का काम ही अच्छे से करें.
सभी संबंधित विभाग आदेश का अनुपालन व अनुश्रवण करेंगे. पंचायत स्तरीय समीक्षात्मक बैठक में अनधिकृत अनुपस्थिति व निर्देशों की अवहेलना सरकारी सेवा आचार नियमावली का उल्लंघन माना जायेगा.
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