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जेपी आंदोलनकारियों को सम्मान दे सरकार : भगत

रांची: जेपी आंदोलनकारियों को सम्मान मिलना चाहिए. आपातकाल के दौरान देश में दहशत का वातावरण था. इस दौरान आंदोलनकारियों ने काफी यातनाएं झेली. देश के लिए कुरबानी दी. उक्त बातें सेवा भारती के राष्ट्रीय सह सचिव गुरु शरण प्रसाद ने सोमवार को विकास भारती में कही. वे आपातकाल विरोध दिवस पर आयोजित राज्य स्तरीय सम्मेलन […]

रांची: जेपी आंदोलनकारियों को सम्मान मिलना चाहिए. आपातकाल के दौरान देश में दहशत का वातावरण था. इस दौरान आंदोलनकारियों ने काफी यातनाएं झेली. देश के लिए कुरबानी दी. उक्त बातें सेवा भारती के राष्ट्रीय सह सचिव गुरु शरण प्रसाद ने सोमवार को विकास भारती में कही. वे आपातकाल विरोध दिवस पर आयोजित राज्य स्तरीय सम्मेलन सह सम्मान समारोह में बतौर मुख्य वक्ता बोल रहे थे.

कार्यक्रम में लोकनायक जयप्रकाश नारायण को नमन एक स्मारिका का भी विमोचन किया गया. मुख्य अतिथि विकास भारती के सचिव पद्मश्री अशोक भगत ने कहा कि सम्मान मांगने से नहीं, ताकत से मिलता है. जेपी आंदोलनकारियों को सम्मान मिलना चाहिए. इतिहास में आंदोलनकारियों की गाथा लिखने की जरूरत है.


श्री भगत ने आंदोलनकारियों से कहा कि वे धैर्य बनाये रखें. आपातकाल के दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जैसे संगठन पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया था. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ नहीं होता, तो देश नहीं बचता. संघ ने दो-दो आंदोलन झेले हैं. अब न्याय होना चाहिए. आपातकाल के बारे में नयी पीढ़ियों को बताना जरूरी है. आंदोलनकारी वर्तमान समय में प्रेरणा के स्रोत हैं. उन्होंने कहा कि आंदोलन के दौरान जेल में रहे लोग अंडे व पावरोटी के लिए झगड़ते थे, वही आज मुख्यमंत्री बने हैं. उन्हें आंदोलनकारियों पर ध्यान देना चाहिए. श्री भगत ने कहा कि सरकार सब कुछ नहीं कर सकती. समाज को भी आगे आना चाहिए. प्रधानमंत्री जिस बात का आह्वान करते हैं. उनकी पार्टी ही उसे नहीं मान रही है. स्वच्छता अभियान के नाम पर केवल फोटो खिंचाने के लिए झाड़ू हाथ में थामा जा रहा है. कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कृपा सिंह ने कहा कि आंदोलन भ्रष्टाचार के विरोध में शुरू हुआ था. भ्रष्टाचार और तानाशाही के विरोध में हम लोगों को हमेशा खड़ा रहना चाहिए.कार्यक्रम में जेपी आंदोलन से जुड़े राधेश्याम अग्रवाल, सूर्यमणि सिंह आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किये.
सम्मानित किया गया : इस मौके पर जेपी आंदोलन से जुड़े आंदोलनकारियों को प्रशस्ति पत्र व शॉल देकर सम्मानित किया गया. जिन आंदोलनकारियों का निधन हो चुका है, उनकी पत्नी को सम्मानित किया गया.
18 समाचार पत्रों का लाइसेंस रद्द कर दिया गया था : बलबीर दत्त
वरिष्ठ पत्रकार पद्मश्री बलबीर दत्त ने कहा कि जयप्रकाश नारायण का आंदोलन सरकार बदलने का नहीं, बल्कि व्यवस्था परिवर्तन का था. समाज की विकृतियों के खिलाफ था. आपातकाल के दौरान 253 पत्रकार गिरफ्तार हुए थे. 50 पत्रकारों की मान्यता रद्द कर दी गयी थी. 18 समाचार पत्रों का लाइसेंस रद्द कर दिया गया था. आपातकाल का आंदोलन त्याग व बलिदान के प्रतीक के रूप में माना जाता है. उन्होंने कहा कि सेंसरशिप आपातकाल का ब्रह्मास्त्र था. न्यूज को भी सेंसर किया जाने लगा था. कई समाचार पत्रों ने आपातकाल के दौरान संपादकीय पन्ने को सादा छोड़ दिया था. इंदिरा गांधी ने आपातकाल लगाया था. वह एकदम ही अक्षम्य था. जनता ने इसकी सजा उन्हें भी दी. श्री दत्त ने कहा कि यह नहीं कहा जा सकता कि आने वाले समय में लोकतंत्र पर खतरा नहीं मंडरा रहा है.

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