रांची: राज्य में री-प्रोडेक्टिव मेटरनल न्यू बॉर्न केयर चाइल्ड हेल्थ पल्स एडोलेशन हेल्थ (आरएमएनसीएच पल्स ए) की स्थिति का जायजा लेने के लिए एनआरएचएम की ओर से समीक्षा बैठक मंगलवार को रिम्स ऑडिटोरियम में हुई.
बैठक में 11 जिलों में चल रहे आरएमएनसीएच प्लस ए का रिव्यू किया गया. भारत सरकार के संयुक्त सचिव मनोज झलानी ने कहा कि आरएमएनसीएच पल्स ए की जमीनी हकीकत बिलकुल अलग है. टीकाकरण, जेएसएसवा एवं ममता वाहन का हाल खस्ता है. यह पाया गया है कि इन जिलों में संक्रमण की रोकथाम के लिए, बायोमेडिकल वेस्टेज के डिस्पोजल की कोई व्यवस्था नहीं है.
जननी सुरक्षा योजना के तहत मुफ्त में सुविधाएं मिलनी चाहिए, लेकिन गर्भवती महिलाओं को पैसा देना पड़ता है. डॉ हिमांशु भूषण ने कहा कि ममता वाहन का हाल तो इतना खराब है कि रेफरल सेंटर जाने के लिए भाड़े की वसूली की जाती है. पात्रों के पास कॉल सेंटर का नंबर नहीं कि फोन कर सके. सहिया का ड्रग किट वर्षो से बदला नहीं गया है. सहिया को नियमित टीकाकरण का पैसा तीन साल से नहीं मिला है. जिलों की खराब स्थिति पर परदा हटते ही संबंधित अधिकारियों एवं योजना से जुड़े लोगों के पास कोई दलील नहीं थी. हालांकि बाद में यह निर्णय लिया गया कि सभी कमियों को शीघ्र दूर करना है. बैठक में निदेशक प्रमुख डॉ सुमंत मिश्र, यूनिसेफ की मधुलिका, रिम्स निदेशक डॉ तुलसी महतो आदि मौजूद थे.
इन जिलों की हुई समीक्षा : समीक्षा बैठक में पिछड़ा क्षेत्र एवं जहां आरएमएनसीएच पल्स ए स्थिति ठीक नहीं है, उन जिलों की समीक्षा की गयी. इन जिलों में दुमका, गोड्डा, साहेबगंज, पाकुड़, गिरिडीह, लातेहार, लोहरदगा, पलामू, सरायकेला, पश्चिमी सिंहभूम एवं चतरा शामिल हैं.