Advertisement
बचपन व युवा बचाने के लिए हो कोर्स में बदलाव
रांची : रिनपास के सीनियर रेजीडेंट डॉ सिद्धार्थ सिन्हा का कहना है कि बचपन और युवा अवस्था को बचाने के लिए शैक्षणिक कोर्स में बदलाव करना होगा. बचपन से ही कोर्स में ड्रग से संबंधित शिक्षा, अभिभावकों के शिक्षा और फैमिली थेरेपी को भी शैक्षणिक कार्यक्रमों का हिस्सा बनाना होगा. डॉ सिन्हा रविवार को हवाईनगर […]
रांची : रिनपास के सीनियर रेजीडेंट डॉ सिद्धार्थ सिन्हा का कहना है कि बचपन और युवा अवस्था को बचाने के लिए शैक्षणिक कोर्स में बदलाव करना होगा. बचपन से ही कोर्स में ड्रग से संबंधित शिक्षा, अभिभावकों के शिक्षा और फैमिली थेरेपी को भी शैक्षणिक कार्यक्रमों का हिस्सा बनाना होगा.
डॉ सिन्हा रविवार को हवाईनगर स्थित तपोवन इन्कलेव में लेट्स टॉक कार्यक्रम में बोल रहे थे. इसका विषय युवाओं की मानसिक स्थिति रखा गया था. डॉ सिद्धार्थ ने कहा कि युवाओं की मानसिक स्थिति को संतुलित रखने के लिए स्कूल आधारित ड्रग शिक्षा को आगे बढ़ाना चाहिए. खेलकूद व अन्य रिक्रियेशन कार्यक्रमों से जोड़ा जाना चाहिए. उनके लिए मेंटरशिप तैयार करना चाहिए. पढ़ाई के साथ-साथ रोजगार और प्रशिक्षण की व्यवस्था होनी चाहिए. युवाओं की मानसिक स्थिति को ठीक रखने के लिए सामाजिक इंटरवेंशन भी होना चाहिए.
डॉ सिद्धार्थ ने कहा कि 10 से 19 साल की उम्र तक काफी बदलाव होता है. 10 से 14 साल की उम्र के बच्चे अपने परिवार से दूरी बनाने लगते हैं. 15 से 17 साल की उम्र के बच्चों को परिवार कम ज्यादा अच्छे दोस्त लगने लगते हैं. 18 से 19 साल के युवा अपनी सब बातों को ठीक मानने लगते हैं.
वह अपने हिसाब से रास्ता तय करना चाहते हैं. इस दौरान युवाओं में कई शारीरिक बदलाव भी होते हैं. यह शारीरिक और मानसिक बदलाव होता है. इसी अवस्था में युवाओं में अपने अभिभावकों के साथ टकराव भी होता है. कभी-कभी यह गंभीर हो जाता है. इसके गलत परिणाम भी आते हैं. लेड्स टॉक आयोजन में सोसाइटी के राजीव कुमार ने सहयोग किया.
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement