दरअसल झारखंड के लोगों के लिए तारामंडल सपना हो गया है. विभागीय प्रगति रिपोर्ट में वर्ष 2003-04 से ही लगातार यह कहा जाता रहा है कि तारामंडल का निर्माण कराया जा रहा है. तब रांची (चिरौंदी) के तारामंडल की ही बात होती थी. विधानसभा में भी यह बात लगातार कही गयी. इसके बाद इसका शिलान्यास मार्च-2007 में हुआ. इधर, देवघर का जिला विज्ञान केंद्र अब बन कर तैयार हो गया है, पर तारामंडल बनना बाकी है. इससे पहले इंजीनियरों ने विज्ञान केंद्र के प्रस्तावित गुंबद से इसे तारामंडल समझ लिया व इसी अनुसार निर्माण करवा दिया था, बाद में इसे सुधारा गया.
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अब तक दिन में तारे नहीं दिखा सकी सरकार
रांची : 10 साल से प्रस्तावित राज्य के तीन तारामंडल में से अब तक एक भी शुरू नहीं हो सका है. रांची के मोरहाबादी (चिरौंदी) में क्षेत्रीय विज्ञान केंद्र सह तारामंडल का शिलान्यास 20 मार्च 2007 को हुआ था. विज्ञान केंद्र तो नवंबर 2010 में शुरू हो गया, पर दिन में भी तारे व ग्रह […]
रांची : 10 साल से प्रस्तावित राज्य के तीन तारामंडल में से अब तक एक भी शुरू नहीं हो सका है. रांची के मोरहाबादी (चिरौंदी) में क्षेत्रीय विज्ञान केंद्र सह तारामंडल का शिलान्यास 20 मार्च 2007 को हुआ था. विज्ञान केंद्र तो नवंबर 2010 में शुरू हो गया, पर दिन में भी तारे व ग्रह दिखाने वाला तारामंडल अभी तक शुरू नहीं हो सका है. जबकि, तत्कालीन विभागीय मंत्री व सचिव की घोषणा के अनुसार इसे मार्च-2012 तक बन कर तैयार हो जाना चाहिए था.
विज्ञान केंद्र व तारामंडल सहित वैज्ञानिक रुझान बढ़ाने वाली अन्य संस्थाओं का निर्माण उच्च व तकनीकी शिक्षा विभाग (पहले विज्ञान व प्रावैधिकी) करा रहा है. रांची के अलावा दुमका व देवघर में भी विज्ञान केंद्र व तारामंडल का निर्माण किया जाना है. ये दोनों प्रस्ताव पुराने हैं. इधर, पहले का काम पूरा नहीं हुआ, पर विभाग ने दो अौर तारामंडल का प्रस्ताव बना लिया. इनमें बोकारो व धनबाद का सामुदायिक विज्ञान केंद्र सह तारामंडल शामिल है, जो करीब 11-11 करोड़ की लागत से बनना है.
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