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मोबाइल फोन के टॉर्च की रोशनी में बच्चे की आंख के ऊपर लगे टांके

ट्रांसफारमर बिगड़ा. शनिवार रात से ही रिम्स में बिजली का गंभीर संकट राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान (रिम्स) राज्य का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल है. इसकी ओपीडी और इमरजेंसी पर रोजाना सैकड़ों मरीजों का दबाव रहता है. यह बात अस्पताल प्रबंधन और राज्य सरकार दोनों को पता है. इसके बावजूद व्यवस्था के मामले में कई बिंदुओं पर […]

ट्रांसफारमर बिगड़ा. शनिवार रात से ही रिम्स में बिजली का गंभीर संकट
राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान (रिम्स) राज्य का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल है. इसकी ओपीडी और इमरजेंसी पर रोजाना सैकड़ों मरीजों का दबाव रहता है. यह बात अस्पताल प्रबंधन और राज्य सरकार दोनों को पता है. इसके बावजूद व्यवस्था के मामले में कई बिंदुओं पर ऐसी चूक हो जाती है, जिससे अस्पताल प्रबंधन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लगते हैं.
रविवार को यहां एक ऐसी ही घटना हुई. रविवार शाम आॅपरेशन थियेटर (माइनर ओटी) में बिजली नहीं होने की वजह से डॉक्टरों को मोबाइल फोन का टॉर्च जलाकर एक बच्चे की आंखों के ऊपर टांके लगाये और ड्रेसिंग करनी पड़ी. डॉक्टरों ने तो बच्चे की आंखों पर लगी चोट की गंभीरता को देखते हुए मुश्किल परिस्थितियों में उसका ऑपरेशन कर दिया, जो सराहनीय है, लेकिन यह घटना अस्पताल प्रबंधन की लचर व्यवस्था भी उजागर करती है.
रांची : रिम्स का ट्रांसफारमर शनिवार रात दो बजे खराब हो गया था. रविवार सुबह बिजली िवभाग के कर्मचारियों ने इसे दुरुस्त करने का काम शुरू किया. दोपहर 12 बजे ट्रांसफारमर को दुरुस्त कर लिया गया, लेकिन उसके बाद भी पूरे दिन अस्पताल में बिजली की आंख-मिचौली जारी रही.
इधर, शाम साढ़े छह बजे कांटाटोली निवासी नौ वर्षीय अदनान बख्तियार को उसके परिजन जख्मी हालत में लेकर रिम्स की इमरजेंसी में पहुंचे. अदनान अपने घर की सीढ़ियों से फिसल कर गिर गया था. हादसे में दोनों आंखों की पलकें कट गयी थीं. जब परिजन उसे लेकर इमरजेंसी में पहुंचे, तो उस समय इमरजेंसी में बिजली नहीं थी. जेनरेटर से बैकअप दिया जा रहा था, लेकिन ओटी की लाइट में बैकअप नहीं था, इसलिए मरीज के परिजनों को चिकित्सकों ने इंतजार करने के लिए कहा गया.
घंटे भर इंतजार के बाद डॉक्टरों ने लिया ऑपरेशन का फैसला : करीब एक घंटे तक इंतजार करने के बाद जूनियर डाॅक्टरों को लगा कि बच्चे के आंख का सवाल है, इसलिए ऑपरेशन करने का निर्णय लिया गया. शाम 7.45 बजे तक बिजली नहीं आने पर जूनियर डाॅक्टरों ने मोबाइल फोन का टॉर्च जला कर पलकों पर टांके लगाने और ड्रेसिंग करने का निर्णय लिया. डॉक्टरों ने बच्चे की दोनों आंखाें की पलको का छोटा आॅपरेशन किया और ड्रेसिंग के बाद उसे छुट्टी दे दी गयी. साथ ही परिजनों ओपीडी में आकर परामर्श लेने के लिए कहा गया.
इमरजेंसी में बिजली का बैकअप ज्यादा नहीं है
रिम्स के इमरजेंसी के बल्ब और पंखे में ही जेनरेटर से कनेक्शन है, लेकिन माइनर ओटी की लाइट में कनेक्शन नहीं है. ऐसे में गंभीर अवस्था में आये मरीजों का ऑपरेशन करने में परेशानी होती है. इस घटना के प्रकाश में बाद अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि ऐसी स्थिति कभी कभार ही होती है. जल्द ही इस समस्या का स्थायी समाधान किया जायेगा.
बिजली कटने की वजह से इमरजेंसी में कार्य पूरी तरह ठप नहीं हुअा था. इमरजेंसी में जेनरेटर का कनेक्शन तो है ही. आंख के ऑपरेशन में टॉर्च का उपयोग होता ही है. बिजली की समस्या है, तो पता करते हैं. जहां तक ट्रांसफारमर की क्षमता बढ़ाने की बात है, तो इस संबंध में बिजली विभाग से बैठक कर निर्णय लिया जायेगा.
डॉ एसके चौधरी, अधीक्षक रिम्स
रात दो बजे खराब हुआ था ट्रांसफारमर
रिम्स परिसर में लगा 350 केवीए का ट्रांसफारमर शनिवार रात दो बजे खराब हो गया, जिससे अस्पताल की बिजली गुल हो गयी. इससे अस्पताल की आकस्मिक व्यवस्था और अन्य सेवाएं बाधित हुईं. सूचना मिलने के बाद बिजली विभाग के कर्मचारियों ने रविवार तड़के चार बजे ट्रांसफारमर को दुरुस्त करने का काम शुरू किया. इसके बाद सुबह 10 बजे बिजली बहाल हुई, लेकिन थोड़ी देर बाद 11 केवी लाइन पर पक्षियों के बैठने से तार टूट गया, जिससे दोबारा बिजली गुल हो गयी.
इस खराबी को दूर कर दिन के 12 बजे आपूर्ति बहाल हुई. आरएमसीएच सब-स्टेशन के रिम्स फीडर से इस खराबी के कारण शनिवार रात 1.50 से 3.05, 5.40 से 6.42, 7.42 से 8.30 व दिन के 10.30 से 11.35 बजे तक बंद रही. बिजली विभाग के अधिकारी ने कहा कि लाइन में आयी खराबी को ठीक करने के कारण जब-जब लोड दिया जा रहा था.
उस उस वक्त बिजली कट जा रही थी.
ट्रांसफारमर पर बढ़ रहा है लोड : रिम्स में नये विभाग खुल रहे हैं, लेकिन ट्रांसफारमर की क्षमता जस की तस है. व्यवस्था के मुताबिक यहां 500 केबीए के ट्रांसफॉर्मर की जरूरत है, लेकिन इसके लिए रिम्स प्रबंधन की अनुमति चाहिए. लगातार लोड बढ़ने से अक्सर ऐसी समस्या देखने को मिल रही है.

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