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खतियान में कब्रिस्तान होने का प्रमाण है, तो प्रस्तुत करे

रांची : झारखंड आदिवासी सरना विकास समिति धुर्वा की बैठक सेक्टर तीन, धुर्वा में मेघा उरांव की अध्यक्षता में हुई़ मौके पर अध्यक्ष मेघा उरांव ने कहा कि मसना को कब्रिस्तान बना कर घेराबंदी कराने का मंसूबा कभी पूरा नहीं होने देंगे़ ईसाई मिशनरी आदिवासियों को ढाल बना कर शहर में तोड़फोड़ करा रहे है़ं […]

रांची : झारखंड आदिवासी सरना विकास समिति धुर्वा की बैठक सेक्टर तीन, धुर्वा में मेघा उरांव की अध्यक्षता में हुई़ मौके पर अध्यक्ष मेघा उरांव ने कहा कि मसना को कब्रिस्तान बना कर घेराबंदी कराने का मंसूबा कभी पूरा नहीं होने देंगे़ ईसाई मिशनरी आदिवासियों को ढाल बना कर शहर में तोड़फोड़ करा रहे है़ं समिति नौ जून की उस घटना की निंदा करती है, जिसमें भगवान बिरसा मुंडा व अन्य शहीदों के पोस्टर फाड़ कर अपमानित किया गया़
जो सरना समिति अपने धर्म व समाज की रक्षा नहीं कर सकती, उसके होने का कोई औचित्य नहीं है़ ग्रामीणों के अनुसार एचइसी की स्थापना से पूर्व उस क्षेत्र में एक भी ईसाई नहीं थे़ यदि ईसाई नहीं थे, तो उनके कब्रिस्तान होने का सवाल ही नहीं है़ यदि ऑल चर्चेज कमेटी के पास खतियान में कब्रिस्तान दर्ज होने का प्रमाण है, तो इसे प्रस्तुत करे़ उन्होंन कहा कि रथ मेला में समिति के कार्यकर्ता पहले की तरह सहयोग देंगे
बूटन महली ने कहा कि सामाजिक व धार्मिक सोच रखनेवाले आदिवासी युवाओं को एकजुट किया जायेगा़ लोरया उरांव ने कहा कि युवाओं को अच्छे भविष्य के लिए नशापान व अन्य बुराइयों से दूर रहना चाहिए़ बैठक में दीपक लोहरा, रूपेश बाखला, रतन उरांव, विमल उरांव, मानसाय उरांव, लुथरु उरांव, माधो उरांव आदि मौजूद थे.
रिकवरी पर ध्यान दें, और कम करें एनपीए : सुदीप्तो
रांची : बैंक का नन परफॉर्मिंग एसेट्स (एनपीए) 6,000 करोड़ रुपये से घट कर 1,500 करोड़ रुपये हुआ है. रिकवरी पर पूरी तरह से ध्यान दें. एनपीए को और कम करने की जरूरत है. इसे फील्ड और शाखा वाले ही कर सकते हैं.
यह बातें बैंक ऑफ इंडिया के महाप्रबंधक सुदीप्तो मुखर्जी (झारखंड-छत्तीसगढ़) ने रविवार को संत जेवियर्स काॅलेज सभागार में कही. वे बैंक ऑफ इंडिया एससी-एसटी-ओबीसी इंप्लाइज एसोसिएशन की झारखंड इकाई के अधिवेशन में बोल रहे थे. उन्होंने कहा कि किसी भी मुद्दे पर निर्णय जल्द लें. पांच करोड़ से कम वाले लोन पर अधिक ध्यान दें. ध्यान दें कि अक्सर बड़े लोन अधिक खराब होते हैं. छोटे-छोटे लोन खराब होने से स्टेटमेंट पर असर नहीं पड़ता है, बल्कि उसका रिस्क बंट जाता है.
केंद्र सरकार जल्दबाजी में : बैंक ऑफ इंडिया कर्मचारी संघ के महासचिव सुनील पांडेय ने कहा कि केंद्र सरकार बैंकों के निजीकरण की कोशिश में लगी हुई है. कई मामले में केंद्र सरकार जल्दबाजी में है. इस मामले में जागरूक होने की जरूरत है. अगर एनपीए की वसूली कर ली जाये, तो बैंक आर्थिक रूप से मजबूत हो जायेगा, लेकिन केंद्र सरकार इस पर कोई कदम नहीं उठाना चाहती है.
बैंक है, तो हम हैं : एजीएम अमानुल्लाह ने कहा कि हमेशा ध्यान रखें कि बैंक है, तो हम हैं. बैंककर्मी बैंक को अपना शत प्रतिशत योगदान दें. उप क्षेत्रीय प्रबंधक बीरसेन बोइपोइ ने कहा कि खर्च में कटौती करनी होगी़ हर सदस्य एक-एक रुपये की भी बचत करता है, तो बहुत परिवर्तन दिखेगा. डीजीएम विन्सेंट लकड़ा ने कहा कि संकट के समय सभी को एकजुट होने की जरूरत है. जून 2016 से बैंक लगातार घाटे में है. इसके लिए हमें एकजुट होना होगा. मौके पर सुनील लकड़ा, आलोक प्रसाद, एस. वर्मा सहित विभिन्न जिलों के कई सदस्य शामिल हुए.

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