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कांके जनरल हॉस्पिटल: बिना जांच के ही मरीज को चढ़ा दिया गया था खून, अस्पताल के निदेशक और झारखंड ब्लड बैंक के दो कर्मियों पर प्राथमिकी

कांके जनरल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर के निदेशक डॉ शंभु प्रसाद सिंह के अलावा झारखंड ब्लड बैंक के साझेदार शिवेंद्र मोहन व रेमी देवी के खिलाफ कांके थाना में प्राथमिकी दर्ज की गयी है. इन सभी पर बिना जांच किये ही एक मरीज को खून चढ़ाने का आरोप है. तीनों लोगों पर प्राथमिकी औषधि निरीक्षक […]

कांके जनरल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर के निदेशक डॉ शंभु प्रसाद सिंह के अलावा झारखंड ब्लड बैंक के साझेदार शिवेंद्र मोहन व रेमी देवी के खिलाफ कांके थाना में प्राथमिकी दर्ज की गयी है. इन सभी पर बिना जांच किये ही एक मरीज को खून चढ़ाने का आरोप है. तीनों लोगों पर प्राथमिकी औषधि निरीक्षक रांची-2 के उत्कल मणि ने दर्ज करायी है.
रांची: कांके जनरल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर में मरीज को बिना जांच के ही खून चढ़ाने का मामला 6 जून को प्रकाश में आया था. इसके बाद राज्य औषधि निदेशालय के निर्देश पर रांची-2 के औषधि निरीक्षक उत्कल मणि के नेतृत्व में मामले की जांच के लिए टीम गठित की गयी थी. टीम में औषधि निरीक्षक लोहरदगा के राजीव एक्का, प्रणव प्रभात भी शामिल थे.

टीम ने सात जून को कांके जनरल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर पहुंची और जांच की, जिसमें मरीज को खून चढ़ाने के दौरान हुई गड़बड़ियाें की पुष्टि हुई थी. इसी के आधार पर अस्पताल के निदेशक डॉ शंभु प्रसाद सिंह और झारखंड ब्लड बैंक के साझेदार शिवेंद्र मोहन व रेमी देवी के खिलाफ कांके थाना में प्राथमिकी दर्ज की गयी है. इसके बाद इनके खिलाफ औषधि एवं अंगराग अधिनियम 1940 नियमावली 1945 की धारा 18-सी, 27-बी का दो, 27-डी व आइपीसी की धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज करायी गयी है.
जांच में जो गड़बड़ियां मिलीं : टीम ने अपनी जांच में पाया कि कांके जनरल हॉस्पिटल के निदेशक डॉ शंभु प्रसाद सिंह ने अपने सहयोगियों के साथ अवैध रूप से ब्लड कलेक्शन एवं डोनेशन करवाया है. जांच के बगैर ही मरीज सुधीर रफायल मिंज को खून चढ़ा दिया गया है. जबकि, औषधि एवं अंगराग अधिनियम 1940 नियमावली 1945 के तहत ऑपरेशन फॉर कलेक्शन, स्टोरेज, प्रोसेसिंग एंड डिस्ट्रीब्यूशन के लिए ब्लड बैंक के संचालन के लिए अनुज्ञप्ति अनिवार्य है. यह अनुज्ञप्ति हॉस्पिटल में नहीं है. जांच के दौरान पाया गया कि अवैध रूप से ब्लड कलेक्शन एवं ब्लड ट्रांसफ्यूजन किया गया है. यूज्ड ब्लड बैग भी अस्पताल के अंदर पाया गया. इन बैगों को दो स्वतंत्र गवाहों की उपस्थिति में जब्त कर लिया गया. जांच में पाया गया कि झारखंड ब्लड बैंक के कर्मचारी कांके जनरल हॉस्पिटल में ब्लड कलेक्शन, प्रोसेसिंग अौर स्टोरेज का कार्य अवैध तरीके से करते हैं.
ऐसे सामने आया मामला
नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के एक ड्राइवर का रिश्तेदार इस अस्पताल में भरती है. मरीज के परिजनों को डाॅक्टर ने खून की व्यवस्था करने को कहा. ड्राइवर ने कॉलेज के विद्यार्थियों व लाइफ सेवर्स के अतुल गेरा ने संपर्क किया. खून की व्यवस्था होने की जानकारी जब अतुल गेरा ने ड्रावर को दी, तो उसने बताया कि डोनर आ गये हैं. खून निकाला जा रहा है. एक छात्रा खून दे रही है. बाद में पता चला कि झारखंड ब्लड बैंक का एक कर्मचारी ब्लड निकालने वहां पहुंचा है. जब छात्रों ने कर्मचारी से पूछा कि अाप जांच कैसे करेंगे, तो उसका कहना था कि जांच हो जायेगी. मरीज के खून चढ़ा दिया जायेगा.
सभी अस्पतालों की जांच के निर्देश
बिना जांच के ही मरीज को खून चढ़ाने का मामला सामने आने के बाद संयुक्त निदेशक औषधि सुरेंद्र प्रसाद ने औषधि निरीक्षकों को निर्देश दिया है कि वे सभी अस्पतालों की नियमित रूप से जांच करें. श्री प्रसाद ने कहा कि कांके जनरल हॉस्पिटल होम और झारखंड ब्लड बैंक में कई गड़बड़ियां पायी गयी हैं. इस मामले में औषधि निरीक्षकों की ओर से प्राथमिकी दर्ज करा दी गयी है.
मरीज पहले से बेहतर : डॉ शंभु
कांके जनरल हॉस्पिटल के निदेशक डॉ शंभु प्रसाद सिंह ने कहा है कि जिस मरीज के खून की जांच को लेकर विवाद उत्पन्न हुआ था, उसकी स्थिति अब काफी बेहतर है. मरीज के परिजन संतुष्ट हैं. मरीज अब भी अस्पताल में है. डॉ सिंह ने कहा है कि यह बात गलत है कि खून बिना जांच किये चढ़ाया गया. लैब में झारखंड ब्लड बैंक व अस्पताल के तकनीकीशियनों द्वारा सभी प्रकार के आवश्यक जांच, क्राॅस मैचिंग के बाद ही खून चढ़ाया गया. पिछले दिनों मरीज की स्थिति काफी गंभीर बनी हुई थी. साथ ही डोनर रांची जाकर खून में देने में असमर्थता जाहिर की. इसके बाद ही आवश्यक कार्रवाई करने के बाद खूून चढ़ाया गया था.

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