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जीएसटी के विरोध में कपड़ा व्यवसायियों ने निकाला मशाल जुलूस

रांची : कपड़े पर जीएसटी लगाये जाने को लेकर चरणबद्ध तरीके से आंदोलन शुरू हो गया है. शुक्रवार को झारखंड थोक वस्त्र विक्रेता संघ के बैनर तले कपड़ा व्यवसायियों ने शाम 6.30 बजे मैकी रोड स्थित कार्यालय के पास से मशाल जुलूस निकाला. इसमें झारखंड थोक वस्त्र विक्रेता संघ, खुदरा वस्त्र व्यवसायी संघ, एजेंट एसोसिएशन, […]

रांची : कपड़े पर जीएसटी लगाये जाने को लेकर चरणबद्ध तरीके से आंदोलन शुरू हो गया है. शुक्रवार को झारखंड थोक वस्त्र विक्रेता संघ के बैनर तले कपड़ा व्यवसायियों ने शाम 6.30 बजे मैकी रोड स्थित कार्यालय के पास से मशाल जुलूस निकाला. इसमें झारखंड थोक वस्त्र विक्रेता संघ, खुदरा वस्त्र व्यवसायी संघ, एजेंट एसोसिएशन, ट्रांसपोर्ट सहित कई व्यवसायी संगठन शामिल हुए.

इस दौरान व्यवसायियों ने अपनी दुकानें भी बंद कर दी. जुलूस महावीर चौक, गांधी चौक, कुंजलाल स्ट्रीट, श्रद्धानंद रोड से पुन: महावीर चौक से मैकी रोड पहुंचा. जुलूस के दौरान व्यवसायियों ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा कपड़े को जीएसटी के दायरे में लाने से व्यापार जटिल हो जायेगा. सरकार कफन जैसे कपड़े को भी जीएसटी के दायरे में ला रही है.
राजभवन मार्च आज : संघ के अध्यक्ष प्रवीण लोहिया ने कहा कि कपड़े पर जीएसटी लगाने के विरोध में शनिवार को राजभवन मार्च किया जायेगा. राजभवन मार्च मैकी रोड स्थित संघ कार्यालय से सुबह 10 बजे शुरू होगा. राजभवन पहुंच कर सभी राज्यपाल को ज्ञापन सौंपेंगे. इस दौरान व्यापारी काला बिल्ला लगा कर विरोध जतायेंगे. 15 जून तक यह विरोध चलता रहेगा. मशाल जुलूस में संघ के अध्यक्ष प्रवीण लोहिया, पंकज पोद्दार, मनोज सिंघानिया, प्रमाेद सारस्वत, अमरचंद बेगानीआदि शामिल थे.
चेंबर ने केंद्रीय वित्त मंत्री को लिखा पत्र
रांची. कुछ महत्वपूर्ण वस्तुओं को जीएसटी के दायरे में लाने पर झारखंड चेंबर ने केंद्रीय वित्त मंत्री को पत्र लिख कर इस पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया. चेंबर अध्यक्ष विनय अग्रवाल ने कहा कि जीएसटी के लागू होने में परिषद द्वारा तय रेट में कुछ भ्रांतियां प्रतीत होती हैं. जीरो फीसदी वैट वाले डीवैट शेड्यूल-1 में शामिल लगभग एक दर्जन घरेलू इस्तेमाल की चीजों को जीएसटी की टैक्स फ्री सूची में न रखते हुए पांच से 18 फीसदी तक टैक्स लगाने का फैसला किया गया है. इस पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता है.

गेहूं, चावल, दूसरे अनाज, आटा को टैक्स फ्री श्रेणी में रखा गया है. लेकिन इसके विपरीत ब्रांडेड अनाज, ब्रांडेड आटा पर पांच फीसदी जीएसटी तय किया जाना चिंतनीय है. इसी प्रकार घी, मक्खन, पनीर पर 12 फीसदी और एसएमपी दूध, पनीर, क्रीम और अन्य डेयरी उत्पादों पर क्रमश: पांच फीसदी जीएसटी तय है. वहीं आइसक्रीम पर 18 फीसदी जीएसटी तय किया गया है. इससे सभी वर्ग के लोग प्रभावित होंगे. ऐसे में इसमें तय 18 फीसदी जीएसटी को पांच फीसदी किया जाये. इसी प्रकार कपड़े पर जीएसटी लगाये जाने के फैसले पर भी पुनर्विचार करने का आग्रह किया गया है.

महासचिव रंजीत गाड़ोदिया ने कहा कि छोटे व्यवसायियों पर रिवर्स चार्ज लगाया गया है, जिससे दोहरे करारोपण को बढ़ावा मिलेगा. केरोसिन स्टोव और अगरबत्ती पर जीरो फीसदी वैट की तुलना में 12 फीसदी जीएसटी तय किया गया है. झारखंड गठन के बाद से अब तक प्रदेश में अगरबत्ती टैक्स फ्री रहा है. इस व्यापार से हजारों मजदूरों का रोजगार भी जुड़ा हुआ है. इससे हजारों लोगों का जीवनयापन बाधित होगा.

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