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जांच में हुआ खुलासा: मरीजों से वसूल रहे थे मनमाना पैसा, राज्य औषधि निदेशालय ने की कार्रवाई, हड्डी इंप्लांट के तीन सप्लायरों का लाइसेंस निलंबित

रांची: जिन तीन सप्लायरों का लाइसेंस निलंबित किया गया है, उनमें आयुष फार्मा, मेसर्स अवनि मेडी एंड प्राइवेट लिमिटेड और मेसर्स आॅर्थो प्वाइंट एंड सर्जिकल शामिल हैं. इस कार्रवाई के लिए जांच टीम द्वारा सौंपी गयी रिपोर्ट को आधार बनाया गया है. सप्लायरों को यह निर्देश भी दिया गया है कि वे लाइसेंस निलंबित किये […]

रांची: जिन तीन सप्लायरों का लाइसेंस निलंबित किया गया है, उनमें आयुष फार्मा, मेसर्स अवनि मेडी एंड प्राइवेट लिमिटेड और मेसर्स आॅर्थो प्वाइंट एंड सर्जिकल शामिल हैं. इस कार्रवाई के लिए जांच टीम द्वारा सौंपी गयी रिपोर्ट को आधार बनाया गया है. सप्लायरों को यह निर्देश भी दिया गया है कि वे लाइसेंस निलंबित किये जाने की तिथि से ही किसी प्रकार का क्रय-विक्रय नहीं करेंगे. अगर एजेंसी द्वारा किसी प्रकार का क्रय-विक्रय करते हुए पाया गया तो, सप्लायरों का लाइसेंस स्थायी रूप से रद्द कर दिया जायेगा.
कार्रवाई में क्या कहा गया : आयुष फार्मा को बताया गया है कि उसका कार्य संतोषजनक नहीं पाया गया. अस्पतालों को लाभ पहुंचाने के लिए क्रेडिट नोट जारी किया जा रहा था. लेबल में एमआरपी 15,200 है, जबकि इसे 18,000 रुपये लिये गये. मेसर्स अवनि मेडी एंड प्राइवेट लिमिटेड को कहा गया है कि आपका कार्य असंतोषजनक है. एक ही इंप्लांट का मरीजों से अलग-अलग पैसा लिया गया है. यह ड्रग एंड कॉस्मेटिक एक्ट का उल्लंघन है. मेसर्स आॅर्थो प्वाइंट एंड सर्जिकल को कार्रवाई रिपोर्ट में कहा गया है कि मरीजों से अलग-अलग पैसा लिया गया. कुछ इंप्लांट का बिल नहीं प्रस्तुत किया गया.
मेसर्स स्पार्क सर्जिकल पर होगी कड़ी कार्रवाई : संयुक्त औषधि निदेशक सुरेंद्र प्रसाद ने बताया कि मेसर्स स्पार्क सर्जिकल पर कड़ी कार्रवाई की जायेगी. जांच रिपोर्ट के आधार पर सप्लायर पर कार्रवाई की समीक्षा की जा रही है. स्पार्क सर्जिकल के यहां की गयी जांच में पाया था कि इंप्लांट के मैन्युफैक्चरिंग लाइसेंस नंबर के स्थान पर एफडीए नंबर अंकित नहीं है. लेबल के इंसक्रिप्सन के साथ छेड़छाड़ भी की गयी है.
प्रभात खबन ने उठाया था मुद्दा : प्रभात खबर ने हड्डी इंप्लांट के नाम पर मरीजों से मनमाना पैसा वसूलेने की खबर 30 जनवरी 2017 को प्रमुखता के साथ उठाया था. खबर प्रकाशित हाेने के बाद 31 जनवरी को मामला विधानसभा में उठा था. मुख्यमंत्री ने जांच कर कार्रवाई आदेश दिया था. इस पर राज्य औषधि निदेशालय ने जांच टीम गठित की. जांच टीम ने एक मार्च को अपनी रिपोर्ट निदेशालय को सौंपी थी, जिसमें मनमाना पैसा वसूले जाने की पुष्टि हुई थी.
तीन सप्लायरों के यहां एक इंप्लांट के लिए अलग-अलग राशि मरीजों से ली गयी है. इनका लाइसेंस निलंबित किया गया है. इस दौरान क्रय-विक्रय करने पर स्थायी रूप से लाइसेंस रद्द कर दिया जायेगा.
रितु सहाय, आैषधि नियंत्रक

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