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तपोवन मंदिर: 10 एकड़ जमीन की बिक्री, हाइकोर्ट ने सीबीआइ जांच का आदेश दिया

रांची: श्रीराम जानकी तपोवन मंदिर ट्रस्ट निवारणपुर की 10 एकड़ से अधिक जमीन की अवैध बिक्री मामले की जांच सीबीआइ करेगी. झारखंड हाइकोर्ट ने ट्रस्ट की जमीन बिक्री मामले की जांच की जिम्मेवारी सीबीआइ को सौंप दी है. छह माह के अंदर सीबीआइ को जांच पूरी करने का निर्देश दिया गया है. बुधवार को उक्त […]

रांची: श्रीराम जानकी तपोवन मंदिर ट्रस्ट निवारणपुर की 10 एकड़ से अधिक जमीन की अवैध बिक्री मामले की जांच सीबीआइ करेगी. झारखंड हाइकोर्ट ने ट्रस्ट की जमीन बिक्री मामले की जांच की जिम्मेवारी सीबीआइ को सौंप दी है. छह माह के अंदर सीबीआइ को जांच पूरी करने का निर्देश दिया गया है. बुधवार को उक्त आदेश चीफ जस्टिस प्रदीप कुमार मोहंती व जस्टिस आनंद सेन की खंडपीठ ने दी.

खंडपीठ ने कहा कि जांच में जमीन हस्तांतरण गलत पाये जाने पर उसकी वापसी की कार्रवाई राज्य सरकार द्वारा की जायेगी. ट्रस्ट को जमीन वापस करायी जायेगी. वादी-प्रतिवादियों को जांच कार्य में पूरा सहयोग करने का निर्देश दिया गया. कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद 27 अप्रैल को आदेश सुरक्षित रख लिया था. खंडपीठ ने बुधवार को अपना फैसला सुनाया. प्रार्थी अतिश कुमार सिंह ने जनहित याचिका दायर कर मंदिर के ट्रस्ट पर भगवान को दी गयी जमीन बेचने का आरोप लगाया था.

निवारणपुर, छप्पन सेट, कुसई कॉलोनी, हवाई नगर, रातू रोड, मोरहाबादी आदि इलाकों में ट्रस्ट की लगभग 16.43 एकड़ से अधिक जमीन है. वर्ष 2005 के डीड में 6.43 एकड़ जमीन होने की बात कही गयी है. प्रार्थी ने आरोप लगाया कि ट्रस्ट के लोगों ने 10 एकड़ से अधिक जमीन की अवैध बिक्री कर दी है. पूरे मामले की स्वतंत्र एजेंसी से जांच करायी जाये.
क्या कहना था वादी का
प्रार्थी की अोर से अधिवक्ता राजेंद्र कृष्णा ने बताया कि वर्ष 1948 में लोगों ने जमीन भगवान को दी थी. 1948 के ट्रस्ट डीड में जमीन बेचने का कोई प्रावधान नहीं था. उस वक्त डीड में 16 एकड़ से अधिक जमीन ट्रस्ट के पास दिखायी गयी है. मंदिर ट्रस्ट की जमीन के केयर टेकर सरकार व कोर्ट हैं. इन्होंने न तो जमीन बेची है आैर न ही किसी को बेचने की अनुमति ही दी है. वर्ष 2005 में डीड में संशोधन कर जमीन कन्वर्जन पर देने का प्रावधान किया गया. निवारणपुर, रातू रोड, मोरहाबादी आदि जगहों पर ट्रस्ट की बेशकीमती जमीन की बिक्री गलत तरीके से कर दी गयी. कन्वर्जन पर दी गयी जमीन पर बनाये गये नक्शे को नगर निगम से पास करने पर रोक लगायी जाये. गलत तरीके से बेची गयी जमीन को रद्द कर वापस करायी जाये. साथ ही पूरे प्रकरण की सीबीआइ से जांच हो.
श्रीराम जानकी तपोवन मंदिर ट्रस्ट ने कहा
श्रीराम जानकी तपोवन मंदिर ट्रस्ट की अोर से वरीय अधिवक्ता राजीव रंजन ने कोर्ट में वर्ष 1948 का मूल ट्रस्ट डीड व 1987 के डीड की प्रति को प्रस्तुत किया था. बताया गया कि ट्रस्ट की जमीन की बिक्री नहीं की गयी है. ट्रस्ट के महंत राम शरण दास ने झारखंड राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड को पत्र लिख कर जमीन पर भवन निर्माण की अनुमति मांगी थी. जमीन नियमों के तहत दी गयी है. इसमें किसी प्रकार की गड़बड़ी नहीं हुई है.

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