Advertisement
बापू के नाम पर हो आड्रे हाउस का नाम
चार जून 1917 को बापू यहां आये थे, 100 साल पूरा होने पर आयोजित कार्यक्रम में बोलीं राज्यपाल रांची : राज्यपाल द्रौपदी मुरमू ने कहा कि हमें गांधी के आदर्शों व विचारों को नहीं छोड़ना चाहिए. अहिंसा का मार्ग सर्वोपरि है. उन्होंने कहा कि आज हम इस मार्ग को भूल रहे हैं. छोटी-छोटी बातों पर […]
चार जून 1917 को बापू यहां आये थे, 100 साल पूरा होने पर आयोजित कार्यक्रम में बोलीं राज्यपाल
रांची : राज्यपाल द्रौपदी मुरमू ने कहा कि हमें गांधी के आदर्शों व विचारों को नहीं छोड़ना चाहिए. अहिंसा का मार्ग सर्वोपरि है. उन्होंने कहा कि आज हम इस मार्ग को भूल रहे हैं. छोटी-छोटी बातों पर हिंसा की बातें सामने आती हैं. छोटी बातों पर मारना-काटना, यह बापू का सपना नहीं था.अहिंसा का मतलब यह नहीं होता है कि हम दया की भीख मांग रहे हैं. श्रीमती मुरमू रविवार को महात्मा गांधी के पहली बार रांची आगमन के 100 वर्ष पूरा होने (चार जून 1917 को बापू आड्रे हाउस आये थे) पर आड्रे हाउस में आयोजित समारोह को संबोधित कर रही थीं. श्रीमती मुरमू ने कहा कि गांधी की तपस्या, त्याग व बलिदान है कि हम आजाद हैं. हमें टाना भगतों पर गर्व है, जिन्होंने आजादी के 70 साल बाद भी महात्मा गांधी के आदर्शों को अपने जीवन में संजोये रखा. आज जरूरत है कि हर व्यक्ति गांधी के विचारों को अपने जीवन में उतारे.
आज ऐतिहासिक दिन है. आज ही के दिन गांधी जी ने यहां आकर लोगों के दर्द की बात अंगरेजी हुकूमत से की थी. कार्यक्रम का आयोजन मंत्रिमंडल सचिवालय व निगरानी विभाग की ओर से किया गया था. राज्यपाल ने कहा कि आड्रे हाउस का नाम महात्मा गांधी के नाम पर होना चाहिए.
..और छलक आये आंसू : इस मौके पर गांधी के जीवन व आजादी को लेकर संघर्ष की कहानी नामक नाटक का मंचन किया गया. इस दौरान राज्यपाल की आंखों से आंसू छलक आये.
मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा कि बापू स्वतंत्रता आंदोलन में सामाजिक परिवर्तन व आर्थिक सुधार को साथ लेकर चलते रहे. स्वच्छता अभियान की भी नींव रखी. दलित-कमजोर को भी नहीं छोड़ा. महिला शिक्षा को भी उन्होंने इस आंदोलन से जोड़े रखा. छोटे उद्योगों पर भी समानांतर काम करते रहे. खादी-कुटीर उद्योग को लेकर बढ़ते रहे. इतनी बड़ी सोच के साथ वह काम करते रहे. गांधी की यही सोच की वजह से पूरी दुनिया उन्हें पूजने को विवश है. गांधी कहते थे कि स्वराज के साथ सुराज भी जरूरी है. गांधी के सपनों को साकार करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने इस दिशा में कार्रवाई की है. राज्य सरकार भी पंचायत सचिवालय के माध्यम से इस दिशा में काम कर रही है. ग्रामोद्योग व गांवों के विकास पर राज्य सरकार काम कर रही है. लघु उद्योग स्थापित करने में हम लगे हैं.
गांधी कहते थे कि भारत की आत्मा गांवों में बसती है. आजादी के 70 साल बाद भी उनकी ये बातें प्रासंगिक हैं. मुख्यमंत्री ने कहा कि आजादी में पुरखों ने बलिदान दिया है. अब हमें बलिदान-तपस्या करने की जरूरत नहीं है. ईमानदारी से अपना काम करेंगे और गांधी के पद चिह्नों पर चलेंगे, तो सपना साकार होगा. उन्होंने कहा कि कुछ लोग माहौल दूषित करने का प्रयास कर रहे हैं. समाज में वातावरण व सौहार्द बिगाड़ने का काम कर रहे हैं, उनसे बचना चाहिए.
किसने क्या कहा
विधानसभा अध्यक्ष दिनेश उरांव ने कहा कि गांधी के सपनों को हम आत्मसात करें. जीवन में उसे उतारें. ग्राम स्वराष्ट्र की परिकल्पना को सरकार कैसे उतारे, इस पर चिंता करने की जरूरत है. खाद्य आपूर्ति मंत्री सरयू ने कहा कि चंपारण आंदोलन का हल निकालने के लिए अंगरेजों ने उन्हें यहां बुलाया था. जरूरत है हमें सत्याग्रह को गांधी की आंखों से देखने की. गांधी से हमें प्रेरणा लेने की जरूरत है. नगर विकास मंत्री सीपी सिंह ने कहा कि हम साल में दो कार्यक्रम गांधी जी पर करते हैं. भाषण देते हैं, पर उस पर अनुसरण नहीं करते हैं.
हम गांधी नहीं बन सकते, पर आचरण तो वैसा कर सकते हैं. सीपी सिंह ने कहा कि पांच जून को सपूर्ण क्रांति दिवस है. 1974 में आंदोलन के दौरान हम सब बिहार में थे. जेपी के नेतृत्व में आंदोलन किया. सरकार पांच जून को भी सरकारी कार्यक्रम आयोजित करे, यह आग्रह है. मौके पर राज्य खादी बोर्ड के अध्यक्ष संजय सेठ, राज्यसभा सांसद महेश पोद्दार,पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय, पद्मश्री मुकुंद नायक, मंत्रिमंडल सचिवालय व समन्वय विभाग के सचिव सुरेंद्र सिंह मीणा, सचिव राहुल शर्मा आदि मौजूद थे. मौके पर टाना भगत भी चरखा लेकर पहुंचे थे.
नाट्य रूपांतरण ने मन मोहा : मौके पर संजय लाल द्वारा निर्देशित महात्मा गांधी की जीवनी पर नाटक का मंचन किया गया. गांधी के जीवन व उनके स्वतंत्रता संग्राम को देख लोगों ने सराहा. दक्षिण अफ्रीका में ट्रेन से सफर व उनके साथ अंगरेजों का दुर्व्यवहार, चंपारण यात्रा, सत्याग्रह आंदोलन, नमक आंदोलन से लेकर देश की आजादी तक को दर्शाया गया.
गांधी चिंतन पर पाठ्यक्रम शुरू करने का करेंगे प्रयास : वीसी
रांची : रांची विवि के कुलपति डॉ रमेश कुमार पांडेय ने कहा कि महात्मा गांधी आज भी प्रासंगिक हैं. उन्होंने कहा कि गांधी चिंतन पर पाठ्यक्रम शुरू करने का प्रयास होगा. डॉ पांडेय रविवार को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के रांची आगमन के 100 साल पूरे होने पर आड्रे हाउस में आयोजित गोष्ठी में बोल रहे थे.
डॉ पांडेय ने कहा कि आड्रे हाउस का एेतिहासिक महत्व है. हमें बापू के बताये रास्ते का अनुसरण करना चाहिये. इस मौके पर रांची विवि की प्रतिकुलपति डॉ कामिनी कुमार ने कहा कि इतिहास की जानकारी सबके लिए जरूरी है ताकि, हम स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदानों को समझ पायेंगे. महात्मा गांधी ने अपने आंदोलन के लिए सर्वप्रथम बिहार को चुना. उन्होंने नील आंदोलन को जनांदोलन का रूप दे दिया. कला संस्कृति विभाग के निदेशक डॉ रणेंद्र कुमार कहा कि गांधी जी ने किसी तकनीक का इस्तेमाल नहीं किया, बल्कि वह जीवन जीने की काेशिश करते रहे.संचालन डॉ कमल बोस ने किया. मौके पर डॉ आइके चौधरी, डॉ एके चट्टोराज, संजय सिंह, मृत्युंजय कुमार, आरती मेहता, झारखंड खादी ग्रामोद्योग बोर्ड के अध्यक्ष संजय सेठ, दीपांकर पंडा, सुमन पाठक आदि थे.
सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन : शाम को सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन हुआ. कलाकार मृणालिनी अखौरी व मधुसुदन गांगुली ने कार्यक्रम पेश किये. कार्यक्रम की शुरुआत मृणालिनी अखौरी ने ‘वंदे मातरम…’ से की. वहीं, उन्होंने ‘वैष्णव जन तो…’ व ‘पायो जी मैने राम…’ वहीं, मधुसूदन गांगुली ने ‘रघुपति राघव राजा राम…’, व ‘हे राम-हे राम…’ भजन पेश किया.
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement