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पीएम के कार्यक्रम का करेंगे बहिष्कार

विस्थापितों ने 24 अप्रैल को एनटीपीसी के शिलान्यास को काला दिवस मनाने और जून में घेरा डालो-डेरा डालो आंदोलन का लिया निर्णय है. 25 गांव के लोगों ने जल सत्याग्रह शुरू कर दिया है. पतरातू : पीटीपीएस से विस्थापित प्रभावित 25 गांव के ग्रामीणों ने सरकार व एनटीपीसी के खिलाफ मोरचा खोल दिया है. इसकी […]

विस्थापितों ने 24 अप्रैल को एनटीपीसी के शिलान्यास को काला दिवस मनाने और जून में घेरा डालो-डेरा डालो आंदोलन का लिया निर्णय है. 25 गांव के लोगों ने जल सत्याग्रह शुरू कर दिया है.
पतरातू : पीटीपीएस से विस्थापित प्रभावित 25 गांव के ग्रामीणों ने सरकार व एनटीपीसी के खिलाफ मोरचा खोल दिया है. इसकी शुरुआत गांधीवादी तरीके से की गयी. आंदोलन की शुरुआत जल सत्याग्रह से हुई है. सोमवार को इन गांवों के करीब डेढ़ हजार महिला-पुरुष सुबह पीटीपीएस डैम के पानी में कतारबद्ध खड़े हो गये. सबों के हाथ में उनके गांव का नाम व हक-अधिकार की मांग से संबंधित तख्तियां थी. रह-रह कर ग्रामीण एकजुटता के साथ एनटीपीसी गो बैक का नारा लगा रहे थे.
ग्रामीणों के नारे का सार था कि सरकार व एनटीपीसी उनका हक दे या उनकी जमीन छोड़ कर वापस चली जाये. कड़ी धूप व लू के थपेड़े भी इनके इरादे को डिगा नहीं सके. इस दौरान रामगढ़ डीसी ए दोड्डे डैम के सर्किट हाउस पहुंचे, लेकिन विस्थापितों से वार्ता किये बगैर पीटीपीएस प्लांट चले गये.
तब जल सत्याग्रह खत्म कर ग्रामीणों ने डैम परिसर में ही सभा का आयोजन किया. सभा को संबोधित करते हुए विस्थापितों ने एक स्वर में कहा कि ये सरकार हमारी ऐसे नहीं सुनने वाली. अपनी एकजुटता बनाये रखें. जरूरत पड़ने पर जल समाधि के लिए तैयार रहें. सभा में भावी आंदोलनों की भी घोषणा की गयी.
आंदोलन स्थल पीटीपीएस डैम पर ही विस्थापित नेताओं ने स्पष्ट कर दिया कि अपने हक-अधिकार के लिए वे इस बार अंतिम व निर्णायक लड़ाई लड़ेंगे. इस कड़ी में सबसे पहले राज्य सरकार व एनटीपीसी के ज्वाइंट वेंचर पतरातू विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड के 24 अप्रैल के शिलान्यास कार्यक्रम का बहिष्कार करना शामिल है. इसके तहतग्रामीणों ने शपथ लिया कि प्रधानमंत्री के इस ऑनलाइन शिलान्यास का गवाह उक्त 25 गांव से कोई नहीं बनेगा.
इसके लिए बकायदा हर गांव में गोड़ाइत से घर-घर संदेश भिजवाया जायेगा कि कार्यक्रम के दिन शिलान्यास समारोह में कोई भी शामिल न हो. साथ ही इस दिन को काला दिवस के रूप में मनाने के लिए पीटीपीएस डैम परिसर में विस्थापित परिवार का हुजूम जुटेगा. इसके बाद एक-एक विस्थापित झारखंड सरकार की विस्थापित विरोधी नीतियों के खिलाफ हर संभव आम-अवाम को अपने पक्ष में एकजुट करेगा. जगह-जगह नुक्कड़ सभाएं की जायेगी. इसके बाद पूरी तैयारी के साथ जून माह में आर-पार की लड़ाई छेड़ दी जायेगी. इसके तहत पीटीपीएस फुटबॉल मैदान में विस्थापित 25 गांवों के लोग अलग-अलग कैंप लगा कर घेरा डालो-डेरा डाला आंदोलन शुरू कर देंगे. अपने पूरे परिवार के साथ हंड़िया-बरतन, दाना-पानी सब लेकर आंदोलन का परिणाम निकलने तक डटे रहेंगे.
अब जयंत सिन्हा को नहीं देंगे वोट : विस्थापित 25 गांव के लोगों ने जल सत्याग्रह के दौरान शपथ लिया कि उक्त गांव का कोई भी व्यक्ति आनेवाले चुनावों में स्थानीय सांसद सह केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री जयंत सिन्हा को वोट नहीं देगा. विस्थापितों का कहना था कि जनप्रतिनिधि होने के नाते श्री सिन्हा का कर्तव्य बनता था कि वे हमारे बीच आकर हमारे दुखों को समझते. लेकिन वे केंद्र व राज्य सरकार के साथ मिल कर रैयत विस्थापितों के दमन में लगे हुए हैं.
प्रभावित गांव : पीटीपीएस से कुल 25 गांव विस्थापित हुए हैं. इसमें उचरिंगा, जयनगर, बलकुदरा, गेगदा, लबगा, रसदा, कटिया, कोतो, बरतुआ, पतरातू, सांकुल, हरिहरपुर, सोलिया, पलानी, तालाटांड़, नेतुआ, मेलानी, बरघुटूवा, आरासाह, शाहीटांड़, जराद, चेतमा, हेसला, किन्नी, सौंदा बस्ती शामिल है. इन गांवों से आदित्यनारायण प्रसाद, विजय साहू, कुमेल उरांव, दुर्गाचरण प्रसाद, अमित कुमार, वारिस खान, प्रदीप साहू, अखिलेश प्रसाद, किशोर महतो, वीरेंद्र झा, गुंजरी देवी, गंगाधर महतो, राजू कुमार, देवंती देवी, दयानंद प्रसाद, अरविंद कुमार, रामेश्वर गोप, नागेश्वर ठाकुर, भुनेश्वर सिंह, सुजीत पटेल, सुरेश महतो, अरुण कुमार, मो अलीम, कौलेश्वर महतो, सहदेव सिंह, कृष्णा सिंह, मनोज ठाकुर, बसंत कुमार, राजाराम प्रसाद, छोटू करमाली, निरंजन प्रसाद, प्रेम प्रसाद, कृष्णा प्रसाद, रंजीत बेसरा, नागेंद्र सिंह, एम रहमान, लुकमान, महादेव करमाली समेत सैकड़ों लोग उपस्थित थे. सभा को पूर्व कृषि मंत्री योगेंद्र साव, आजसू नेता रोशनलाल चौधरी, जिप अध्यक्ष ब्रह्मदेव महतो, जिप उपाध्यक्ष सरिता देवी, जेवीएम नेता शिवलाल महतो आदि ने संबोधित करते हुए विस्थापितों को अपना पूर्ण समर्थन देने की घोषणा की. आंदोलन के दौरान विधि-व्यवस्था में सीओ रितेश जायसवाल के नेतृत्व में पुलिस बल डटी रही.
जायज है विस्थापितों की मांग : योगेंद्र
पूर्व कृषि मंत्री योगेंद्र साव ने जल सत्याग्रह में शिरकत करने के बाद कहा कि विस्थापितों की मांग जायज है. बड़कागांव में भी मैं ऐसे ही विस्थापितों की लड़ाई एनटीपीसी से लड़ रहा हूं. इसके खिलाफ मैंने हाइ कोर्ट में भी रिट दायर किया है. यदि यहां के विस्थापित भी चाहें, तो मैं अपने खर्च पर उनकी लड़ाई कोर्ट तक पहुंचा सकता हूं. उन्होंने विस्थापितों के आंदोलन को अपना समर्थन देने की भी घोषणा की.
कंधे से कंधा मिला कर चलूंगा : रोशनलाल
आंदोलन में शामिल होने पहुंचे आजसू के केंद्रीय महासचिव रोशनलाल चौधरी ने कहा कि शुरू से ही मैं विस्थापितों की इस लड़ाई में साथ हूं. भूख हड़ताल के दौरान भी मैंने अपना पूरा समर्थन दिया था, क्योंकि लोगों की मांग जायज है. रामगढ़ डीसी ने इनके साथ वादाखिलाफी की है. इसी कारण ग्रामीणों ने आंदोलन का रूख किया है.
हमारे साथ धोखा हुआ है : मोरचा
डैम परिसर पर मौजूद विस्थापित संघर्ष समित के लोगों ने एक स्वर में कहा कि हमारे साथ जिला प्रशासन ने जबरदस्त धोखा किया है. अपने हक-अधिकार को लेकर हम लोगों ने तीन फरवरी से बासल थाना के निकट अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू किया था. इसे डीसी ए दोड्डे ने सात फरवरी 2016 को लिखित आश्वासन के साथ खत्म कराया था. इसमें कहा गया था कि सभी प्रभावित गांवों में विलेज एडवाइजरी कमेटी बनेगी. इसके सदस्य विस्थापित, रैयत व वार्ड सदस्य होंगे. नौकरी, मुआवजा व विकास के लिए ग्रामवार लोगों की सूची तैयार होगी.
सभी विस्थापित व प्रभावित लोगों को वंशावली प्रमाण पत्र दिया जायेगा. एनटीपीसी के स्थानीय व ठेका वर्क में हमें प्राथमिकता दी जायेगी. गैरमजरुआ आम खास व रैयती जमीन की ग्रामवार सूची बनेगी. इसके अलावा पीटीपीएस द्वारा निर्गत 30 व्यक्तियों के नियोजन संबंधी सूची को उपलब्ध कराने का निर्देश एसडीओ को देने समेत मार्च में एनटीपीसी के सीएमडी से वार्ता कराने का लिखित आश्वासन मिला था. लेकिन इनमें से किसी भी मुद्दे पर आज तक प्रशासन ने पहल नहीं की और अब एनटीपीसी का शिलान्यास भी होने वाला है. यह हम लोगों के साथबहुत बड़ा धोखा है.
सत्याग्रह के लिए नाव से भी पहुंचे थे लोग
पीटीपीएस से विस्थापित कुछ गांव ऐसे भी हैं, जिनका दो-तिहाई भू-भाग जलमग्न है. ऐसे गांव के लोग सुबह जल सत्याग्रह में शामिल होने दर्जनों नाव से पहुंचे थे. इनका उत्साह देखते बनता था. कड़ी धूप व लू के थपेड़े भी आंदोलनकारियों के हौसले को डिगा नहीं सकी.
पानी टैंकर से एक घायल
आंदोलन स्थल पर मौजूद पानी टैंकर से दब कर रसदा निवासी रामेश्वर सिंह घायल हो गये. उन्हें इलाज के लिए स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया.
डीसी आये, विस्थापितों से नहीं की बात
जल सत्याग्रह आंदोलन के दौरान लगातार यह चर्चा हो रही थी कि डीसी वार्ता के लिए आनेवाले हैं. अपनी पिछले कमिटमेंट के हिसाब से उनसे बात करेंगे. करीब पौने चार बजे डीसी का काफिला डैम परिसर स्थित सर्किट हाउस भी पहुंचा. यह देख विस्थापित नेता उत्साहित हुए. लेकिन चंद पलों में डीसी काफिले के साथ पीटीपीएस रशियन हॉस्टल के लिए निकल गये. डीसी के इस बेरूखी को विस्थापित ने धोखा करार दिया.
इधर, डीसी ने रशियन हॉस्टल में पीटीपीएस व एनटीपीसी अधिकारियों के साथ 24 अप्रैल के प्रधानमंत्री के ऑनलाइन शिलान्यास कार्यक्रम पर चर्चा की. तय हुआ कि कार्यक्रम को लेकर पीटीपीएस के बाहर रोड साइड में बड़ा एलइडी टीवी लगेगा. वहीं एक एलइडी टीवी प्लांट के अंदर होगा. मौके पर एलआरडीसी लियाकत अली, सीओ रितेश जायसवाल, पीटीपीएस जीएम बच्चू नारायण, एनटीपीसी अधिकारी मौजूद थे.

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