।। अजय तिवारी ।।
कभी भरपूर बिजली देनेवाले पीटीपीएस की स्थिति दयनीय
कई इकाइयां बंद
पतरातू : पतरातू थर्मल पावर स्टेशन (पीटीपीएस) इन दिनों व्यवस्था की कमी व बोर्ड मुख्यालय (जेएसइबी) के वरीय अधिकारियों की उदासीनता का दंश झेल रहा है.
मालूम हो की 60 के दशक में यहां कुल 400 मेगावाट क्षमता की छह उत्पादन इकाईयों की स्थापना की गयी. दूसरे चरण में 80 के दशक में विस्तार योजना के तहत 110 -110 मेगावाट क्षमता की चार इकाइयों (440 मेगावाट) का निर्माण किया गया. उक्त चारों इकाइयों के उत्पादन में शामिल होने से यहां की उत्पादन क्षमता बढ़ कर 840 मेगावाट हो गयी.
हालांकि बाद में निर्धारित मापदंड के अनुरूप समय पर इकाइयों के रख-रखाव नहीं होने से यहां की उत्पादन इकाइयों की क्षमता घट कर 770 मेगावाट रह गयी है. 10 में मात्र दो यूनिट से उत्पादन : 60 के दशक में बनी कुल छह बिजली उत्पादन इकाइयां जीवन काल पूरा कर चुकी है. जेएसइबी प्रबंधन द्वारा पीटीपीएस की कुछ इकाइयों को बंद करने का निर्णय लिया जा चुका है.
फिलहाल स्थिति यह है कि यहां कुल 10 इकाइयों में से मात्र एक-दो इकाइयों से औसतन 38 मेगावाट से 108 मेगावाट बिजली का उत्पादन मिल रहा है. शेष आठ इकाइयां विभिन्न कारणों से बंद है.
नया पावर प्लांट लगाने की कवायद : पीटीपीएस परिसर में 1320 मेगावाट क्षमता के नये बिजली उत्पादन केंद्र (पावर प्लांट) लगाने की कवायद लगभग दो वर्ष से चल रही है. इसे लेकर पतरातू एनर्जी लिमिटेड का गठन किया गया है. प्लांट लगाने हेतु चिह्न्ति भूमि की स्थिति व नक्शा तैयार कर सरकार के पास भेजा जा चुका है. बोर्ड मुख्यालय में प्लांट लगाने के लिए इच्छुक कंपनियों के साथ प्रिवीट मीटिंग हो चुकी है, साथ ही ग्लोबल टेंडर की प्रक्रिया प्रारंभ है.