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ग्यास, टुनटुन और सकरूल्लाह ने जमाया था सुशील का पांव

ग्यास, टुनटुन और सकरूल्लाह ने जमाया था सुशील का पांव पांडेय गिरोह ने एक-एक कर तीनों को मार डाला.पतरातू. रंगदारी के पैसे में हिस्सेदारी को लेकर भोला पांडेय से अलग होकर अपना गुट खड़ा करने वाले सुशील श्रीवास्तव को कोयलांचल में अपना पैर जमाने के लिए लंबा संघर्ष करना पड़ा. शुरुआती दौर में सुशील के […]

ग्यास, टुनटुन और सकरूल्लाह ने जमाया था सुशील का पांव पांडेय गिरोह ने एक-एक कर तीनों को मार डाला.पतरातू. रंगदारी के पैसे में हिस्सेदारी को लेकर भोला पांडेय से अलग होकर अपना गुट खड़ा करने वाले सुशील श्रीवास्तव को कोयलांचल में अपना पैर जमाने के लिए लंबा संघर्ष करना पड़ा. शुरुआती दौर में सुशील के रंगदारी मांगने की धमकी को हल्के में लिया जाने लगा. भोला पांडेय की छत्र-छाया में रहने वाले कोयलांचल क्षेत्र के रैक लोडर, ठेकेदार व बड़े व्यवसायियों ने सुशील को रंगदारी देने से साफ तौर पर मना कर दिया. इसमें ज्यादातर लोग सुशील श्रीवास्तव को जानते तक नहीं थे. इसलिए इन लोगों में उसका कोई खौफ नहीं था. अपना पैर जमाने के लिए संघर्ष कर रहे सुशील को 1995 के आसपास रिवर साइड भुरकुंडा के ग्यासुद्दीन उर्फ ग्यास खान का साथ मिला. आपराधिक दुनिया में उस वक्त तक ग्यास खान की पहचान बन चुकी थी, जब ग्यास ने सुशील को महिमामंडित करते हुए उसके नाम पर रंगदारी मांगना शुरू किया, तो भुरकुंडा व गिद्दी क्षेत्र के कुछ रैक लोडर, ठेकेदार व व्यवसायी भोला पांडेय के अलावा अपनी अवैध कमाई का एक हिस्सा उसे भी देने लगे. आसानी से पैसा आया तो सुशील का मनोबल बढ़ गया. फिर सुशील ने अपना साम्राज्य विस्तार करने के लिए सयाल के दिलेर व दबंग टुनटुन सिंह और सकरूल्लाह की जोड़ी को अपना शागिर्द बना लिया. सिरफिरे टुनटुन व सकरूल्लाह ने चंद दिनों में ही सुशील का सिक्का यहां जमा दिया. फिर पूरे बरका-सयाल क्षेत्र में सुशील की तूती बोलने लगी. सुशील के नाम पर आसानी से रंगदारी मिलनी शुरू हो गयी. सुशील का बढ़ता साम्राज्य पांडेय गिरोह को खटकने लगा. तब पांडेय गिरोह ने इस क्षेत्र से सुशील का पांव उखाड़ने का संकल्प ले लिया. इसके बाद पांडेय गिरोह ने तीनों पर कई बार जानलेवा हमला किया. लेकिन संयोग से वे बचते रहे. बाद में सुनियोजित तरीके से टुनटुन सिंह व सकरूल्लाह मार दिया गया. तब रवींद्र सिंह ने इस क्षेत्र में श्रीवास्तव गुट का कमान संभाला. यहां अपना सिक्का जमाने के लिए 2004 के आसपास उसने विनोद कुमार का साथ पकड़ा. जैसे ही विनोद ने सुशील के नाम पर पतरातू में अपनी गतिविधि शुरू की, तो पांडेय गिरोह बौखला गया. चंद दिनों के बाद ही पतरातू वीणा टॉकिज के सामने उसे मार दिया. इससे क्षेत्र में सुशील कमजोर पड़ गया. रवींद्र सिंह व ग्यास की बदौलत उसकी रंगदारी की गाड़ी किसी तरह चल रही थी. तभी पांडेय गिरोह ने रवींद्र सिंह को भी सयाल जीएम ऑफिस परिसर में गोलियों से भून डाला. इससे सहम कर उस वक्त ग्यास ने भी सुशील का साथ छोड़ दिया. कोयलांचल में फैले साम्राज्य पर संकट आया तो हजारीबाग जेल में बंद सुशील बौखला गया. साम्राज्य कायम रखने के लिए उसने अपने गुर्गों की बदौलत मिहिजाम में 2010 में पांडेय गिरोह के मुखिया भोला पांडेय को पुलिस कस्टडी में ही मार डाला. इसके बाद क्षेत्र में सुशील का सिक्का एक बार फिर से जम गया. ग्यास खान फिर से सुशील के साथ जुड़ गया, जो बाद में हजारीबाग कोर्ट परिसर में सुशील के साथ मारा गया. इसके बाद से दोनों गुटों में चल रही वर्चस्व की लड़ाई निजी रंजिश में बदल गयी. आज उसी के परिणामस्वरूप कोयलांचल रक्तरंजित हो रहा है.

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