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लीड- पहाड़ी की गोद में बसा है महामाया मंदिर

लीड- पहाड़ी की गोद में बसा है महामाया मंदिर 17आर-आई- महामाया माता की प्रतिमा. 17आर-जे- कांकेबार पहाड़ जहां माता मंदिर स्थित है.रामगढ़. रामगढ़-रांची फोरलेन मार्ग पर स्थित महामाया मंदिर पहाड़ी की गोद में बसा है. कांकेबार गांव के माया टुंगरी में स्थित यह मंदिर प्रकृति की अनुपम उपहार है. रामगढ़ शहर से पांच किमी दूर […]

लीड- पहाड़ी की गोद में बसा है महामाया मंदिर 17आर-आई- महामाया माता की प्रतिमा. 17आर-जे- कांकेबार पहाड़ जहां माता मंदिर स्थित है.रामगढ़. रामगढ़-रांची फोरलेन मार्ग पर स्थित महामाया मंदिर पहाड़ी की गोद में बसा है. कांकेबार गांव के माया टुंगरी में स्थित यह मंदिर प्रकृति की अनुपम उपहार है. रामगढ़ शहर से पांच किमी दूर मुख्य सड़क से सटा यह मंदिर 1100 फीट की ऊंचाई पर है. स्थानीय लोगों का कहना है कि 200-250 वर्ष पूर्व से यहां महामाया की पूजा की जा रही है. इसलिए इस खूबसूरत पहाड़ी का नाम माया टुंगरी पड़ा है. बताया जाता है कि इस पहाड़ी पर कांकेबार, मुरार्मकला, गोसा, बुढाखूखरा, चेटर, कोठार व कैथा का अखड़ा यहां लगता था. जिसमें सातों गांवों के लोग सामूहिक रूप से पूजा-पाठ कर खेती का पहला फसल मां के चरणों पर चढ़ाते थे. जिससे किसानों पर मां की कृपा बरसती थी. इस मंदिर में लोगों की आस्था इतनी है कि जो भी सच्ची मन से मांगा जाये, मां उसे जरूर पूरा करती है. 10 वर्ष पूर्व जहां मां का पिंड विशाल गुलाइची पेड़ के नीचे था. वर्तमान में ग्रामीणों द्वारा भव्य मंदिर का निर्माण हो रहा है. गांव के बुजुर्ग रमेश महतो का कहना है कि महामाया को माया दीदी भी पुकारा जाता है. इनकी एक बहन बोकारो जिला के लुगू पहाड़ पर है. इन दोनों का मिलन साल में दो बार नवरात्रा के समय अजगर सर्प के रूप में होता है. नवरात्रा में इस मंदिर में भी धूमधाम व परंपरा के अनुसार पूजा अर्चना की जाती है.

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