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पीओ की पहल के बाद 21 लोगों की बनी हाजिरी, काम चालू हुआ

मामला यूपीबी कंपनी द्वारा हाई पावर कमेटी के फैसले को लागू नहीं करने का घाटोटांड़ : सीसीएल झारखंड उत्खनन परियोजना में आउटसोर्सिंग के तहत काम कर रही यूपीबी कंपनी हाई पावर कमेटी के फैसले को लागू करने में आनाकानी कर रही है. यूनाइटेड कोल वर्कर्स यूनियन के तहत मजदूरों द्वारा किये जा रहे आंदोलन के […]

मामला यूपीबी कंपनी द्वारा हाई पावर कमेटी के फैसले को लागू नहीं करने का
घाटोटांड़ : सीसीएल झारखंड उत्खनन परियोजना में आउटसोर्सिंग के तहत काम कर रही यूपीबी कंपनी हाई पावर कमेटी के फैसले को लागू करने में आनाकानी कर रही है.
यूनाइटेड कोल वर्कर्स यूनियन के तहत मजदूरों द्वारा किये जा रहे आंदोलन के दबाव में आ कर यूपीबी कंपनी प्रबंधन अपने यहां काम करनेवाले आधे से अधिक मजदूरों की अनदेखी कर मात्र 21 मजदूरों को ही अपने मेनपावर रोल में बता रहा है. उन मजदूरों की हाजिरी बुधवार को झारखंड उत्खनन परियोजना पदाधिकारी आरके गुप्ता की पहल पर फॉर्म डी में बनवायी गयी.
इसके अलावा आधा से अधिक मजदूर कंपनी में वर्षों से काम करने के बाद कंपनी के मेन रोल से बाहर रह कर काम करने को विवश हैं. जानकारी के मुताबिक, परियोजना में काम कर रहे ठेका मजदूर हाई पावर द्वारा तय वेतनमान के भुगतान के अलावा इससे जुड़े विभिन्न मांगों को लेकर यूनाइटेड कोल यूनियन के बैनर तले चरणबद्ध आंदोलन चला रहे हैं.
मजदूरों की मांगों के समर्थन में हड़ताल पर जाने के कारण जब परियोजना का कोयला परिवहन सहित आउटसोर्सिंग के तहत होनेवाला कोयला उत्पादन कार्य ठप हो गया, तो सीसीएल प्रबंधन ने पहल करते हुए यूनियन नेताओं के साथ वार्ता की. चार सितंबर को समझौता हुआ, उसमें महाप्रबंधक ने तीन दिनों के अंदर सभी कार्यरत मजदूरों को परिचय पत्र दिलाने सहित वेतन, जूता, टोपी आदि दिलाने की बात कह कर आंदोलन स्थगित करवा दिया था. परंतु 10 दिन के बाद भी आउटसोर्सिंग कंपनी द्वारा परिचय पत्र नहीं दिया गया. इसके बाद मजदूरों ने प्रबंधन पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए 14 सितंबर से हड़ताल पर चले गये. हड़ताल पर जाने से कंपनी से कोयला परिवहन सहित आउटसोर्सिंग के तहत होनेवाला कोयला उत्पादन कार्य ठप हो गया.
इसके बाद सीसीएल प्रबंधन की पहल पर चरही महाप्रबंधक कार्यालय में त्रिपक्षीय वार्ता हुई. इसमें आउटसोर्सिंग कंपनी द्वारा प्रस्तुत किये गये यहां कार्यरत मजदूरों की संख्या को लेकर यूनियन व प्रबंधन के बीच गतिरोध जारी रही. मजदूरों की स्थिति को देखते हुए यूनियन ने रुख नरम करते हुए प्रबंधन द्वारा दिये गये भरोसे पर विश्वास करते हुए हड़ताल वापस ले लिया. मजदूरों को पहचान पत्र देते हुए उनकी हाजरी फार्म डी में लेने पर सहमति बनी.
21 मजदूरों को ही मिला पहचान पत्र
यूपीबी कंपनी ने मात्र 21 मजदूरों को ही पहचान पत्र दिया. जबकि यहां यूपीबी कंपनी में 40 से ज्यादा मजदूर काम करते हैं. कंपनी ने अपने पांच सुपरवाइजरों में से एक को हाजरी खाता सौंप दिया. 16 सितंबर को जब मजदूर प्रथम पाली में ड्यूटी पर गये, तो वहां फार्म डी में हाजिरी लेनेवाला कोई नहीं था.
यूनियन ने इसे गंभीरता से लेते हुए परियोजना पदाधिकारी को इसकी सूचना दी. परियोजना पदाधिकारी ने पहल करते हुए अपनी हाजिरी बही फार्म डी में 21 मजदूरों की हाजिरी बनवायी. बाकी मजदूर फार्म डी में हाजिरी बनवाये बिना काम करने लगे. कई मजदूरों ने बताया कि वे इस कंपनी में वर्षों से काम कर रहे हैं, लेकिन उन्हें कंपनी ने अभी तक पहचान पत्र नहीं दिया है. कई मजदूरों को दो -तीन माह से वेतन नहीं मिला है.
मजदूरों की मजबूरी का फायदा उठा रही है कंपनी
इस मामले पर यूनियन के क्षेत्रीय सचिव बालेश्वर महतो ने बताया कि आउटसोर्सिंग कंपनी यूपीबी यहां काम करनेवाले मजदूरों की मजबूरी का फायदा उठा रही है. यही कारण है कि कंपनी मजदूरों की संख्या छुपा कर उनसे काम ले रही है,
ताकि उन मजदूरों को हाई पावर कमेटी द्वारा तय सुविधा व वेतनमान नहीं देना पड़े. यूनियन इसको लेकर गंभीर है. पहले जिन मजदूरों की हाजिरी फार्म डी में बन रही है, उनको हाई पावर द्वारा तय वेतनमान दिलाना है.

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