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नेमरा गांव में सुविधाओं का अभाव

– सुरेंद्र/सुरेश – गोला : मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन गोला प्रखंड के नेमरा गांव के हैं, लेकिन इस गांव में आज तक मूलभूत सुविधाओं का अभाव है. हेमंत के मुख्यमंत्री बनने के बाद लोगों में आस जगी है कि शायद इस गांव में तकदीर और तसवीर बदलेगी. गोला मुख्यालय से लगभग 30 किमी दूर नेमरा गांव […]

– सुरेंद्र/सुरेश

गोला : मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन गोला प्रखंड के नेमरा गांव के हैं, लेकिन इस गांव में आज तक मूलभूत सुविधाओं का अभाव है. हेमंत के मुख्यमंत्री बनने के बाद लोगों में आस जगी है कि शायद इस गांव में तकदीर और तसवीर बदलेगी.

गोला मुख्यालय से लगभग 30 किमी दूर नेमरा गांव है. यह उपरबरगा पंचायत के अंतर्गत आता है. 80 संथाली परिवार रहते है, जिसमें एक परिवार शिबू सोरेन हेमंत सोरेन का है. यहां पेयजल की घोर समस्या है.

गांव में दोतीन चापानल लगाये हैं, जो गरमी के दिनों में सूख जाते हैं. यहां के लोग चुआं खोद कर पानी पीते हैं. मनरेगा योजना के तहत यहां एक भी कूप का निर्माण नहीं कराया गया है. गांव में बिजली तो है, लेकिन दिन भर में दो से चार घंटे ही बिजली रहती है.

गांव के मात्र दोचार लोगों को ही इंदिरा आवास का लाभ मिल पाया है. गांव के कई बुजुर्गो को वृद्धा पेंशन एवं किसानों को केसीसी आदि योजनाओं का लाभ नहीं मिला है.

कई भवन हैं अधूरे : गांव में पंचायत भवन निर्माण कार्य अधूरा पड़ा हुआ है. ग्रामीणों ने बताया कि चार लाख 48 हजार रुपये की निकासी कर ली गयी है, लेकिन डीपीसी तक कार्य कर छोड़ दिया गया है. इसके अलावा यहां आंगन बाड़ी केंद्र भी अधूरा पड़ा है. गुरुजी के घर के समीप स्वास्थ्य केंद्र भवन का निर्माण कराया गया है, जो जजर्र हो गया है. जहां कभी भी चिकित्सक, नर्स नहीं रहते.

उच्च शिक्षा का अभाव : गोला मुख्यालय से 30 किमी दूर होने के कारण यहां के छात्रछात्राएं उच्च शिक्षा से वंचित हो जाते हैं. हाल यह है की इस गांव की मात्र तीन लड़की मैट्रिक पास की है. एक सरस्वती कुमारी इंटर पास है. ग्रामीण जयदेव सोरेन, अनिल बेसरा, विश्वनाथ बेसरा, जूठन सोरेन, किशोरी सोरेन आदि लोगों ने बताया कि गांव में आवागमन की सुविधा नहीं है. जिस कारण गांव के बच्चों को शिक्षा हासिल करने में काफी कठिनाई होती है. गांव में एक उत्क्रमित मध्य विद्यालय है, जबकि हाई स्कूल बरलंगा में है.

रोजगार का कोई साधन नहीं : यहां के लोग कृषि पर ही आश्रित है. रोजगार का कोई सहारा नहीं है. लोग आज भी जंगल से लकड़ियां लाते है और बाजार में बेचते है. साथ ही पत्थर तोड़ कर जीविका पाजर्न करते है. इस क्षेत्र में उद्योग धंधा लगाने का आश्वासन दिया गया था, लेकिन आजतक इस पर अमल नहीं हुआ. गांव और बरलंगा पंचायत के लोग मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से कई उम्मीद रखे हुए हैं कि इस क्षेत्र के लोगों को रोजगार, उच्च शिक्षा और विकास योजनाओं का लाभ मिलेगा.

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