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अपनी ही जमीन पर अतिक्रमण का आरोप, नोटिस भी जारी

।। नीरज अमिताभ ।। रामगढ़ : रामगढ़ के निकटवर्ती रांची रोड, रामानगर, सांडी, मरार आदि क्षेत्र के लोग इन दिनों अपनी जमीन के मालिकाना हक को लेकर परेशान है. जमीन उनकी है. लेकिन बगैर मुआवजा मिले ही सरकारी कागजात में जमीन केंद्रीय सरकार में निहत हो चुकी है. मामला फोर लेन के लिए जमीन अधिग्रहण […]

।। नीरज अमिताभ ।।

रामगढ़ : रामगढ़ के निकटवर्ती रांची रोड, रामानगर, सांडी, मरार आदि क्षेत्र के लोग इन दिनों अपनी जमीन के मालिकाना हक को लेकर परेशान है. जमीन उनकी है. लेकिन बगैर मुआवजा मिले ही सरकारी कागजात में जमीन केंद्रीय सरकार में निहत हो चुकी है. मामला फोर लेन के लिए जमीन अधिग्रहण से संबंधित है. पूर्व में हजारीबाग-रांची फोर लेन सड़क निर्माण सांडी, रामानगर, मरार, रांची रोड, नयीसराय, रामगढ़ होते हुए होना था. लेकिन विरोध के बाद कुजू से ही बाई पास सड़क कोठार होते हुए कांकेबार तक निकाल दी गयी. लेकिन पूर्व में घोषित सड़क के अधिग्रहण की सारी प्रक्रिया पूरी कर ली गयी थी.
फोर लेन सड़क निर्माण में लिए ली जाने वाले जमीन को चिह्नित करते हुए तीन सितंबर 2009 प्रभात खबर में तथा चार सितंबर को हिंदुस्तान टाइम्स में 3ए गजट का प्रकाशन करते हुए जिनकी जमीन चिह्नित की गयी थी, उनसे 21 दिनों के भीतर आपत्तियां मांगी गयी. इसके बाद आपत्तियों को सुनने के बाद जमीन को अंतिम रूप से अधिग्रहण कर लिए जाने का गजट 22 अप्रैल 2010 को प्रभात खबर व हिंदुस्तान टाइम्स में प्रकाशित की गयी. 3डी गजट अधिग्रहण की अंतिम प्रक्रिया होती है.
इसमें स्पष्ट लिखा होता कि अब केंद्रीय सरकार उक्त अधिनियम की धारा 3डी की उपधारा (दो) के अनुशरण में यह घोषणा करती है कि अब राजपत्र (गजट) में प्रकाशित विर्निर्दिष्ट भूमि सभी विल्लंगमों से मुक्त होकर आंत्यिक रूप से केंद्रीय सरकार में निहित हो जायेगी. 3डी गजट प्रकाशन के बाद हो रहे विरोध को देखते हुए राज्य सरकार के अनुरोध पर रांची रोड-रामगढ़ शहर होकर बाई पास रोड बनाने की योजना वापस ले ली गयी तथा कुजू-कोठार-कांकेबार बाई पास सड़क बनाने का निर्णय लिया गया.
इसके बाद न ही लोगों की जमीनें ली गयी और न ही सरकारी अथवा आधिकारिक स्तर पर 3डी गजट को रद्द करने की प्रक्रिया अपनायी गयी. हालात यह है कि लोगों को मुआवजा मिला नहीं, फोर लेन बनाने की योजना वापस ले ली गयी, नये बाई पास फोर लेन को प्रारंभ हुए भी एक वर्ष से अधिक का समय बीत गया. लेकिन सरकारी कागजात में उक्त भूमि को वापस करने की प्रक्रिया नहीं अपनायी गयी. अब इसे लेकर लोगों के समक्ष परेशानियों का उत्पन्न होना प्रारंभ हो गया है.
सरकारी स्तर के साथ-साथ अब आम लोग भी इस हालात का फायदा उठाने का प्रयास करने लगे हैं. जिससे जमीन व भवन मालिकों की परेशानी प्रारंभ हो गयी है.
* मकान को सरकारी जमीन पर बना बताया : अधिग्रहण के मामले में उत्पन्न इस स्थिति का फायदा आम लोग भी उठाने की जुगत में लग गये हैं. उदाहरण के लिए रांची रोड में स्व विजय सिंह की मकान व जमीन सड़क किनारे है. इनका पूरा मकान व जमीन का अधिग्रहण फोर लेन के लिए होना था. इनके मकान के पिछवाड़े में रहने वाले इनके पड़ोसी की भी जमीन का कुछ हिस्से का अधिग्रहण होना था. इसके बाद पड़ोसी के पीछे की पूरी जमीन फोर लेन सड़क पर आ जाती.
पड़ोसी ने 3डी गजट का हवाला देते हुये स्व विजय सिंह के पुत्रों पर सरकारी जमीन पर मकान बना लेने का मामला उच्च न्यायलय में दाखिल कर दिया. मामले में लिखा गया कि मकान पूर्ण रूप से सरकारी जमीन पर बनी है. इसके बाद उच्च न्यायलय ने स्थानीय प्रशासन को इस मामले में नोटिस जारी कर दिया. नोटिस मिलने के बाद प्रशासन भी बगैर कुछ देखे-समझे स्व विजय सिंह के पुत्रों समेत उस क्षेत्र के कई लोगों को नोटिस जारी कर दिया. जबकि इन्हें मुआवजा मिला नहीं तथा राजस्व रसीद अब भी इनके नाम से कट रही है. जबकि होना यह चाहिए था कि 3डी गजट प्रकाशन के बाद अगर जमीन का मुआवजा मिला नहीं तथा सड़क बनाने की योजना वापस ले ली गयी, तो पुन: गजट प्रकाशित कर पूर्व गजट को रद्द करते हुए 3डी गजट में दिखायी गयी जमीनों का सरकारी कब्जे से मुक्त कर देना चाहिए था.
* सरकारी विभाग को भी मिला मौका : झारखंड उच्च न्यायालय के नोटिस के बाद सरकारी कर्मचारियों को भी इस मामले में लाभ उठाने का मौका मिल गया. बगैर किसी विशेष जानकारी के सबसे पहले रांची रोड समेत अन्य क्षेत्रों के इस मामले में पीड़ित कई लोगों को अतिक्रमण का नोटिस जारी कर दिया गया. लोग परेशान होकर अंचल कार्यालय दौड़ लगाने लगे. जो जानकार है वे तो इस मामले को मजबूती से विरोध के साथ अंचल अधिकारी के समक्ष रख रहे हैं.
लेकिन अधिकतर लोगों से कर्मचारियों व बाबुओं द्वारा जम कर दोहन किया जाने लगा है. लेकिन कर्मचारियों व बाबुओं के पास इस बात का जवाब नहीं है कि जिस जमीन का मुआवजा मिला नहीं, योजना वापस ले ली गयी तथा वे फोर लेन प्रस्ताव बनने के कई दशक पूर्व से अपनी जमीन पर मकान बना कर रह रहे हैं. फिर वे सरकारी जमीन का अतिक्रमणकारी कैसे हुये.
* मामला सुनने के बाद केस ड्रॉप कर दिया जायेगा : सीओ : इस संबंध में रामगढ़ के अंचल अधिकारी कुंवर सिंह पाहन से पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि नोटिस जारी हुआ है. लोगों के पक्ष रखने के बाद मामले को ड्रॉप कर दिया जायेगा. लोग अतिक्रमणकारी नहीं हैं.

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