उरीमारी : विस्थापित सह आदिवासी नेता दसई मांझी पर बुधवार की शाम हुए जानलेवा हमले के विरोध में ग्रामीणों ने सीसीएल बरका-सयाल क्षेत्र के न्यू बिरसा, बिरसा व उरीमारी कोलियरी में कामकाज को पूरी तरह ठप करा दिया था. कोलियरियों से कोयले की ट्रांसपोर्टिंग को भी रोक दी गयी थी. ग्रामीण महिलाएं भी सड़क पर उतर का मोर्चा संभाले हुई थीं.
गुरुवार की सुबह लगभग 11 बजे बड़कागांव डीएसपी अनिल सिंह, सीसीएल प्रबंधन व ग्रामीणों के बीच चेक पोस्ट के समीप बैठक के बाद ग्रामीण शांत हुए. बैठक में घटना से आक्रोशित ग्रामीण अपराधियों की गिरफ्तारी की मांग कर रहे थे. ग्रामीणों ने कहा कि पुलिस अपनी ड्यूटी में पूरी तरह फेल है.
घटनाओं के बाद पुलिस सिर्फ आश्वासन देकर चुप बैठ जाती है. ग्रामीणों ने दसई को पुलिस सुरक्षा उपलब्ध कराने की भी मांग की. बैठक में डीएसपी ने ग्रामीणों को आश्वस्त किया कि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोका जायेगा. पुलिस पेट्रोलिंग को तेज किया जायेगा. डीएसपी ने कहा कि अपराध में शामिल अपराधी जल्द सलाखों के पीछे होंगे. डीएसपी के आश्वासन के बाद ग्रामीणों ने अपना आंदोलन वापस ले लिया. लगभग 17 घंटे तक कोयला खनन व ट्रांसपोर्टिंग ठप रहने से सीसीएल को लाखों रुपये के आर्थिक क्षति का अनुमान है.
मौके पर सीसीएल के पीओ डीके रामा, बीबी मिश्रा, रामेश्वर मुंडा, श्याम सुंदर प्रसाद, ग्रामीणों की ओर से जिप सदस्य संजीव बेदिया, विंध्याचल बेदिया, राजू यादव, गहन टुडू, कौलेश्वर गंझू, सोनाराम मांझी, संजय करमाली, मोहन सोरेन, सीताराम किस्कू, महादेव बेसरा, चरका करमाली, तालो हांसदा, परमेश्वर सोरेन, मुकद्दर सोरेन, दिनेश करमाली, मन्नाराम मांझी, सुखदेव किस्कू, दीपक करमाली, सोलेन हांसदा, शनिचर मांझी, करमवीर सिंह, कार्तिक मांझी, कौलेश्वर मांझी, फूलमुनी देवी, चांदमुनी देवी, गीता देवी, लालमुनी मौजूद थे.
अस्पताल से मिली दसई को छुट्टी : जानलेवा हमले के बाद दसई मांझी के पैर में लगी गोली को ऑपरेशन कर रांची मेदांता अस्पताल में निकाला गया. गुरुवार की देर शाम उन्हें अस्पताल से छुट्टी भी दे दी गयी. दसई मांझी पर बुधवार को उस वक्त अपराधियों ने जानलेवा हमला कर दिया था, जब वे अपने कार्यालय से घर लौट रहे थे.
अपराधियों ने उनकी स्कॉर्पियो के करीब आकर चार गोलियां चलायी थी. इसमें एक गोली उनके पैर में लग गयी थी. घटना के दौरान गाड़ी के ड्राइवर ने तत्परता दिखायी और गाड़ी को उरीमारी थाना की ओर ले भागा. इसके बाद अपराधी इस गाड़ी का पीछा छोड़ कर बड़कागांव की तरफ भाग निकले थे.
बड़े व्यवसायी हैं अपराधियों के निशाने पर : बरका-सयाल क्षेत्र में बड़े कोयला व्यवसायी, ठेकेदार व कोयला ट्रांसपोर्टर अपराधियों के निशान पर बने हुए हैं. इनके पास जेल व जंगल से रंगदारी के लिए फोन आता रहता है. भय के कारण इन्हें रंगदारी या लेवी देने को विवश होना पड़ता है. यदि कोई व्यवसायी रंगदारी देने से इनकार करता है, तो उसकी जान खतरे में पड़ जाती है. रंगादारी मांगे जाने की शिकायत संबंधित लोगों द्वारा पुलिस के पास भी की जाती है.