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तीन डिसमिल जमीन के लिए देने होंगे 6.38 लाख रुपये
मो क्यूम हवारी, मो कलाम हवारी व मो ह्यूम हवारी के पास घर मरम्मत के पैसे नहीं, कहां से आयेंगे लाखों रुपये. नयी दर ने बढ़ा दी है मुश्किलें मेदिनीनगर : भट्ठी मुहल्ला के मो क्यूम हवारी, मो कलाम हवारी व मो ह्यूम हवारी तीनों सगे भाई हैं. तीन डिसमिल जमीन में बने मकान में […]
मो क्यूम हवारी, मो कलाम हवारी व मो ह्यूम हवारी के पास घर मरम्मत के पैसे नहीं, कहां से आयेंगे लाखों रुपये.
नयी दर ने बढ़ा दी है मुश्किलें
मेदिनीनगर : भट्ठी मुहल्ला के मो क्यूम हवारी, मो कलाम हवारी व मो ह्यूम हवारी तीनों सगे भाई हैं. तीन डिसमिल जमीन में बने मकान में तीनों का परिवार रहता है. घर वर्षों पुराना है. मकान में जो हिस्सा कच्चा है, वह जर्जर स्थिति में आ चुका है.
मरम्मत के लिए पैसे कहां से आयेंगे, यह इस परिवार के लिए चिंता का विषय बना हुआ है. लेकिन उससे भी अधिक मुश्किल अब इस परिवार के समक्ष टाउनलीज नवीकरण को लेकर है. इसके लिए जो नयी दर निर्धारित की गयी है उसके लिए जो पैसे लगेंगे, वह आखिर कहां से आयेंगे?
बताया गया कि 15 फरवरी 1945 को इनके पिता गनी धोबी के नाम पर तीन डिसमिल लीज का पट्टा मिला था. इसका लीज 15 फरवरी 1975 को समाप्त हो गया. लीज की अवधि समाप्त होने के आठ साल के बाद इन लोगों को 8 नवंबर 1983 को एक नोटिस मिला था, जिसमें कहा गया था चालू बाजार दर पर सलामी अदा कर भूमि का नया पट्टा लेने के लिए तैयार है या नहीं, इसकी लिखित मंशा स्पष्ट करें.
इस नोटिस का जवाब 30 नवंबर 1983 तक देना था, पर उस वक्त लीज नहीं हुई. उसके बाद लगातार कई नोटिस खास महाल विभाग ने भेजा, पर उस वक्त भी दर इतना ऊंचा था कि वे लोग लीज नवीकरण कराने की स्थिति में नहीं थे. 11 जुलाई 1997 को भी नोटिस मिली थी. लेकिन हर वक्त स्थिति वही रही.
लीज नवीकरण के लिए देने होंगे 6.38 लाख
भट्ठी मुहल्ला में जहां इन लोगों का मकान है, वह इलाका उप मार्ग की परिधि में चिह्नित है. इस हिसाब से अगर देखा जाये तो इस परिवार को प्रति वर्ष 5320 रुपये प्रति डिसमिल लगान देना होगा. इस तरह तीन डिसमिल जमीन का 30 वर्ष का लगान चार लाख 78 हजार 800 रुपये होगा. साथ ही प्रति डिसमिल 53 हजार 200 रुपये सलामी देनी होगी. इस तरह तीन डिसमिल जमीन की सलामी एक लाख 59 हजार 600 रुपये हुई. गनी धोबी के पुत्रों को तीन डिसमिल जमीन का लीज नवीकरण कराने के लिए लगान व सलामी सहित 6 लाख 38 हजार 400 रुपये देने पड़ेंगे.
कई बार हुई राहत की बात
टाउनलीज नवीकरण का मामला काफी पुराना है पर जैसे-जैसे समय बीत रहा है, वैसे यह समस्या भी उलझ रही है. एकीकृत बिहार के जमाने में जब इंदर सिंह नामधारी भू-राजस्व मंत्री हुआ करते थे, तब यह मामला पूरे जोर शोर से उठा था. उन्होंने कहा था कि वह प्रयास कर रहे हैं कि सलामी प्रथा को समाप्त कर फ्री होल्ड किया जाये. लेकिन बिहार के जमाने में समस्या का निदान नहीं हुआ. जब अलग झारखंड राज्य बना, तो तत्कालीन भू-राजस्व मंत्री मधु सिंह ने नवीकरण की प्रक्रिया के लिए कैंप लगवाया था. तिथि घोषित हो गयी थी. उसमें तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा आने वाले थे. लेकिन उस वक्त तत्कालीन स्पीकर इंदर सिंह नामधारी ने सीएम को पत्र लिख कर कहा कि जनता के पक्ष में फैसले ले.
राहत नहीं दे सकते तो आहत न करें. उसके बाद वह कार्यक्रम टल गया. फ्री होल्ड की मांग उठायी गयी, लेकिन अपेक्षित परिणाम नहीं आये. मंत्री रहते केएन त्रिपाठी ने भी लीज नवीकरण के लिए शिविर लगाया था, लेकिन मूल सवाल जो राहत का था, वह लोगों को नहीं मिला. आज भी वह समस्या बरकरार है. सांसद वीडी राम के नेतृत्व में भी प्रतिनिधिमंडल वर्तमान सीएम रघुवर दास से इस समस्या को लेकर मुलाकात की थी. बात राहत की हुई थी लेकिन ऐसा नहीं हो सका. लोगों का कहना है फ्री होल्ड तो हुआ नहीं , उल्टे लगान की दर बढ़ गयी.
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