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सुंदर भविष्य बनाने का मिला है मौका: प्रो सुभाष
प्रो सुभाष चंद्र मिश्र पलामू : प्रजातंत्र में चुनाव की महत्ता बढ जाती है, क्योंकि चुनाव प्रजातंत्र की आत्मा है. कॉलेज में चुनाव और भी महत्वपूर्ण. क्योंकि इसमें सभी वोट देने वाले पढ़े लिखे तथा परिपक्व दिमाग के होते हैं. इस नजरिये से कॉलेज का चुनाव लोकसभा से लेकर पंचायत तक के चुनाव से अलग […]
प्रो सुभाष चंद्र मिश्र
पलामू : प्रजातंत्र में चुनाव की महत्ता बढ जाती है, क्योंकि चुनाव प्रजातंत्र की आत्मा है. कॉलेज में चुनाव और भी महत्वपूर्ण. क्योंकि इसमें सभी वोट देने वाले पढ़े लिखे तथा परिपक्व दिमाग के होते हैं.
इस नजरिये से कॉलेज का चुनाव लोकसभा से लेकर पंचायत तक के चुनाव से अलग स्थान रखता है. अन्य चुनाव में शिक्षा की अनिवार्यता नहीं रहती है, पर महाविद्यालय के चुनाव में कम से कम मैट्रिक उत्तीर्ण होना जरूरी है. अतः इस निर्णय पर पहुंचा जा सकता है कि स्वस्थ प्रजातंत्र की नींव महाविद्यालय के चुनाव से बहुत हद तक संभव है. मेरा अनुभव छात्र जीवन में छह वर्ष का तथा अध्यापक के रूप में 40 वर्षों का है. मैंने अनुभव किया है कि चुनाव में बहुत ही उतार -चढ़ाव आया है. छात्र जीवन में मैंने देखा था कि कुछ चुनाव वोट के माध्यम से होता था, तो कुछ मैरिट के आधार पर. पढ़ाई में अच्छा करने वाले छात्र यूनाइटेड नेशन स्टूडेंट एसोसिएशन का उपाध्यक्ष होता था. उपाध्यक्ष का दायित्व था कि कॉलेज में सेमिनार, वाद विवाद तथा पारंगत विद्वान को आमंत्रित कर उनके व्याख्यान से छात्रों को लाभान्वित करना था. लेकिन आज के चुनाव में यूएनएसए शब्द ही अपरिचित हो गया है. इसे पुनर्जीवित करने की आवश्यकता है. प्रत्येक वर्ग से प्रतिनिधि का चुनाव होता था. चुना हुआ विधार्थी छात्र हित में कदम उठाया करता था.
वह देखता था कि छात्रों को पुस्तकालय से पुस्तक मिली की नहीं, खेलकूद में अवसर मिला की नहीं ? आज भी वर्ग प्रतिनिधि का चुनाव होना चाहिए. वार्षिक खेलकूद प्रतियोगिता में सर्वोत्तम खिलाड़ी को एथेलेटीक्स एसोसिएशन का सचिव बनाया जाता था. उसके साथ बैठ कर खेलकूद की बेहतरी पर चर्चा होती थी. इस पद पर आज भी चुनाव की संभावना पर भी विचार किया जाना चाहिए. हमलोग के जीवन में दो छात्र ऐसे थे, जो निरंतर छात्र हित के लिए संघर्ष करते थे. एक थे वसंत पाल और दूसरे गिरजा जी दोनों सर्वमान्य छात्र नेता थे. बाद में वसंत लाल जी एमएलसी बने व गिरिजा लाल जी सफल अधिवक्ता.
आज भी ऐसे छात्र रहे हैं, जो अपने प्रतिभा के कारण जीते भी बाद में राजनीतिक के मैदान में भी सफल हुए. मैं जीएलए कॉलेज से जुड़ा कुछ उदाहरण दूंगा. क्योंकि मैंने एक शिक्षक के रूप में इस कॉलेज को जाना समझा है. यहाँ ईश्वरचंद्र पांडेय (अब स्वर्गीय) , इंदर सिंह नामधारी , सुबोधकांत सहाय, शैलेंद्र कुमार, राधाकृष्ण किशोर, केएन त्रिपाठी , श्यामनारायण दुबे , तथा अन्य बहुत से विलक्षण प्रतिभा के छात्र आज अपने क्षेत्र के चमकते सितारे सिद्ध हो रहे हैं. राजनीति के अलावा दूसरे क्ष॓त्र में भी कॉलेज के चुनाव में सक्रिय रूप से भाग लेने वाले रविशंकर पांडेय विधानसभा में अधिकारी रहे. एक सफल साहित्यकार के साथ जनसत्ता में पत्रकार रहे और अभी स्वतंत्र लेखन में राष्ट्रीय स्तर पर एक हस्ती के रूप में जाने जाते है. संक्ष॓प में कहना चाहूंगा( सफल विधार्थी की सूची बहुत लंबी है ), कॉलेज में चुनाव सुंदर भविष्य के बनाने का सुनहरा मौका है, जब नींव मजबूत रहती है, तो भवन भी मजबूत बनता है. एक आग्रह होगा की अच्छे विधार्थी को ही अपना मत देंगे.
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