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जैविक खाद की एजेंसी देने के नाम पर करोड़ों की ठगी मेदिनीनगर : पलामू में जैविक खाद की एजेंसी देने के नाम पर लगभग एक करोड़ से अधिक की उगाही कर एक कंपनी फरार हो गयी है. जिन लोगों ने पैसे दिये, जब वह कार्यालय में पता लगाने गये, तो कार्यालय भी बंद पाया. इस […]

जैविक खाद की एजेंसी देने के नाम पर करोड़ों की ठगी
मेदिनीनगर : पलामू में जैविक खाद की एजेंसी देने के नाम पर लगभग एक करोड़ से अधिक की उगाही कर एक कंपनी फरार हो गयी है. जिन लोगों ने पैसे दिये, जब वह कार्यालय में पता लगाने गये, तो कार्यालय भी बंद पाया. इस मामले की जानकारी एक भुक्तभोगी किशोर सिंह ने चैनपुर पुलिस को दी है. पुलिस मामले की छानबीन कर रही है. संजीवनी बायो प्लांटेक के नाम पर यह कंपनी यहां काम करने आयी थी. इसका मुख्य कार्यालय उत्तरप्रदेश के गोरखपुर में है.
इस कंपनी के लोग गांव जाकर जैविक खाद की एजेंसी देने के लिए पैसे की मांग कर रहे थे. कई लोगों ने चेक के माध्यम से राशि का भुगतान किया. मेदिनीनगर के ही इंडियन बैंक में खाता था, जहां से चेक क्लीयर हुआ. 15 जुलाई को मेदिनीनगर में खाता खुला था. खाता संजीवनी बायो प्लांटेक के नाम पर खुला था, इस खाता का संचालन तरुणेश पांडेय द्वारा किया जा रहा था. तरुणेश पांडेय ने खाता खुलवाने के लिए जो दस्तावेज बैंक में जमा किया है, उसके मुताबिक वह रामगढ़ के चितरपुर के छोटकी लोरी व बड़की लोरी गांव का रहने वाला है.
15 जुलाई से लेकर 15 अगस्त तक इस खाते में चेक के माध्यम से लगभग 56 लाख रुपया आया. आज की तिथि में उस खाते में जिसका नंबर 6449626536 है. उसमें मात्र 52 रुपये बचे हैं. कई भुक्तभोगी यह शिकायत लेकर बैंक में भी गये थे कि वे लोग ठगी के शिकार हुए हैं, अंतिम बार इस खाते से निकासी उत्तरप्रदेश के गोरखपुर से हुई है. उसके बाद इंडियन बैंक द्वारा गोरखपुर शाखा को भी पूरे मामले की जानकारी दी है. भुक्तभोगी किशोर सिंह चैनपुर थाना क्षेत्र के बभंडी गांव के रहने वाले हैं. उन्होंने बताया कि तीन किस्तों में वह कंपनी को तीन लाख, 28 हजार का चेक दे चुके हैं.
पैसा देने के बाद कंपनी के कुछ लोग उनके घर आये थे, एक कमरे में 500 बोरा के करीब खाद गिराकर चले गये. उनके कमरे में ताला भी लगा दिया. लेकिन वह खाद जैविक खाद नहीं है, इस पर जब उन्होंने आपत्ति जतायी तो कंपनी के लोगों ने कहा कि जल्द ही आपके समस्या का निराकरण हो जायेगा. उसके बाद जब उन्होंने इस मामले की जानकारी पुलिस को दी, तब फिर फोन आया. कहा कि पुलिस के पास जाने की जरूरत नहीं थी. कुछ विश्वास रखिये, लेकिन उसके बाद लगातार फोन बंद मिलने लगा. उनलोगों ने यह कहा था कि 17 अगस्त को प्रखंड स्तरीय जैविक खाद के एजेंसी का उदघाटन होगा. उसके बाद कंपनी का आदमी दुकान में रहकर खाद बेचने का काम करेगा.
लेकिन न तो कोई कंपनी आदमी आया और न ही दुकान का उदघाटन हुआ. फोन पर संपर्क भी नहीं हो पा रहा था, इसके बाद श्री सिंह जब कार्यालय गये तो देखा कि कार्यालय में भी ताला लटका है. किशोर सिंह के अलावा भी चैनपुर के सत्यनारायण पाठक लगभग पांच लाख, नौडीहाबाजार के भी कई लोग इसके शिकार हुए हैं. कहा जाता है कि एक करोड से अधिक की वसूली की गयी है. यदि मामले की जांच हो तो कई तथ्य उभर कर सामने आयेंगे.
इस ठगी के शिकार बिहार के लोग भी हुए हैं. चेक देने के बाद जब लोगों को लगा कि वे लोग ठगी के शिकार हो चुके हैं, संपर्क करने के बाद कंपनी के लोग नहीं मिले, तो बिहार के कई लोगों को जब पता चला कि झारखंड के मेदिनीनगर के इंडियन बैंक के शाखा से चेक क्लीयर हुआ है तो वे लोग जानकारी लेने यहां पहुंचे थे. इंडियन बैंक के शाखा प्रबंधक किशोर तिर्की ने इसकी पुष्टि की.
उन्होंने कहा कि यह सही है कि बिहार के कुछ लोग पता लगाने आये थे, जहां तक बैंक में तरुणेश पांडेय का खाता खोले जाने का सवाल है तो सभी दस्तावेजों के जांच के बाद ही खाता खोला गया. स्थानीय स्तर पर तरुणेश द्वारा एक शपथपत्र उपलब्ध कराया गया था. जो कि सुदना के विजय दुबे के साथ एकरारनामा का था. जिसके अनुसार कंपनी द्वारा कार्यालय खोले जाने के लिए उनके घर को किराये पर लिया गया था.

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