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दो पुल तैयार, पहुंच पथ के अभाव में है बेकार
मेदिनीनगर : एनएच 75 पर मेदिनीनगर-औरंगाबाद मार्ग पर दो पुल बन कर तैयार है, लेकिन पुल बनने के बाद भी उसका लाभ लोगों को नहीं मिल रहा है. कारण पुल को जोड़ने के लिए जो पहुंच पथ बनाना है, वह सरकारी भूमि नहीं है, बल्कि रैयती भूमि है, जिसका अधिग्रहण होना है. इस दायरे में […]
मेदिनीनगर : एनएच 75 पर मेदिनीनगर-औरंगाबाद मार्ग पर दो पुल बन कर तैयार है, लेकिन पुल बनने के बाद भी उसका लाभ लोगों को नहीं मिल रहा है. कारण पुल को जोड़ने के लिए जो पहुंच पथ बनाना है, वह सरकारी भूमि नहीं है, बल्कि रैयती भूमि है, जिसका अधिग्रहण होना है.
इस दायरे में कई घर भी पड़ेंगे, जिन्हें तोड़ना पड़ेगा. इस प्रक्रिया की शुरुआत हो गयी है, लेकिन प्रक्रिया में वक्त लगेगा, तब तक लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ेगा. मेदिनीनगर औरंगाबाद मार्ग पर अमानत नदी पर जो वर्तमान में पुल है, वह अंग्रेज के जमाने का बना हुआ है. 1944-45 में कुमार धुबी कंस्ट्रक्शन द्वारा पुल का निर्माण कराया गया था. यह पुल सिंगल पुल था, इसके बगल में टू लेन का पूल बना है. जो बनकर तैयार है.
लेकिन एप्रोच पथ के लिए भूमि नहीं है. जो भूमि एप्रोच पथ की परिधि में आ रही है, वह कजरी और सिंगरा के किसानों की है. बताया जाता है कि हाल में किसानों को जिला भू-अर्जन कार्यालय द्वारा नोटिस दिया गया है.
इसी तरह अमानत के आगे दुर्गावती नदी पर भी पुल है. यहां भी टू लेन पूल बन रहा है. अंग्रेज के जमाने का जो पुल बना था, उसे ध्वस्त कर नया पुल बन रहा है. इस पुल के दो पिलर का निर्माण हुआ है. लेकिन पुल के दोनों तरफ एबटमेंट के रि डिजाईनिंग के लिए सेंट्रल डिजाईन ऑर्गनाईजेशन को भेजा गया है, लेकिन अभी तक इसे फाइनल नहीं किया गया है.
जिसके कारण पुल का निर्माण कार्य बंद पड़ा है. डायवर्सन से काम चलाया जा रहा है, जो कि पहली बरसात में ही क्षतिग्रस्त हो गया था. लोगों का कहना है कि यदि तेज बारिश हुई और नदी में जल का प्रवाह बढ़ा, तो पुन: डायवर्सन क्षतिग्रस्त हो सकता है और मार्ग में आवागमन बाधित हो सकता है. इसी मार्ग में सदाबह नदी पर भी पुल बना है. तीन माह पहले पुल बनकर तैयार है. लेकिन इसका भी एप्रोच पथ नहीं बना है. लोगों का कहना है कि पूल के पहुंचपथ के निर्माण में कई घर भी टूट सकते हैं.
क्या हो रही है परेशानी
अमानत नदी पर सिंगल पुल है, एनएच-75 मेदिनीनगर-औरंगाबाद मार्ग झारखंड को बिहार व उत्तरप्रदेश से जोड़ती है. इसलिए इस मार्ग पर प्रतिदिन छोटे-बड़े वाहन मिला कर दो हजार से अधिक वाहन गुजरते हैं. सिंगल पुल होने के कारण अमानत नदी औसतन प्रतिदिन पांच से छह घंटा जाम रहता है.
इसके कारण लोगों को काफी परेशानी होती है. खासकर बरसात के दिन में, क्योंकि नदी में पानी रहने के कारण वाहन के पास पूल ही एक मात्र विकल्प है, जबकि गरमी के दिन में नदी पार करके भी वाहन से जाते थे.
उठते सवाल लोगों का कहना है कि पुल निर्माण का कार्य पूर्ण होने के बाद एप्रोच पथ के लिए भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू हुई है, जबकि विभाग को भी यह पता था कि यह एप्रोच पथ सरकारी भूमि नहीं है. जानकारों का कहना है कि भूमि का प्रकार क्या है, इसका उल्लेख योजना का डीपीआर तैयार करते समय ही किया जाता है, उसके बाद भी कार्य में विलंब होना कई सवाल खड़े कर रहा है.
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