Advertisement
कृषि व्यवस्था सुदृढ़ बनाने पर दें जोर
मेदिनीनगर : शुक्रवार को टाउन हॉल में जिलास्तरीय खरीफ फसल कार्यशाला आयोजित की गयी. जिला परिषद अध्यक्ष प्रभा देवी व जिप उपाध्यक्ष संजय कुमार सिंह ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर कार्यशाला का उदघाटन किया. जिप अध्यक्ष श्रीमती देवी ने कहा कि पलामू में किसानों की स्थिति बदतर होती जा रही है. किसान यह […]
मेदिनीनगर : शुक्रवार को टाउन हॉल में जिलास्तरीय खरीफ फसल कार्यशाला आयोजित की गयी. जिला परिषद अध्यक्ष प्रभा देवी व जिप उपाध्यक्ष संजय कुमार सिंह ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर कार्यशाला का उदघाटन किया. जिप अध्यक्ष श्रीमती देवी ने कहा कि पलामू में किसानों की स्थिति बदतर होती जा रही है. किसान यह समझ नहीं पा रहे हैं कि वह खेती कैसे करें.
संसाधन का अभाव है, ऐसी स्थिति में सरकार को चाहिए कि कृषि व्यवस्था को सुदृढ़ बनाये. साथ ही सरकार जो कृषि कार्य के लिए योजना चला रही है, उसका सीधा लाभ किसानों को मिले. इसके लिए भी सभी पदाधिकारियों को सक्रियता के साथ काम करने की जरूरत है. इन योजनाओं का लाभ तभी मिलेगा, जब किसान जागरूक होंगे. किसानों को जागरूक करने के लिए गांव स्तर पर जागरूकता अभियान चलाया जाना चाहिए.
श्री सिंह ने कहा कि कृषि व्यवस्था देश व राज्य की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है. इस व्यवस्था को मजबूत बनाये बिना देश या राज्य की अर्थव्यवस्था मजबूत नहीं हो सकती है. खेती कार्य से किसान व खेतिहर मजदूर जुड़े रहते हैं.
लेकिन उनकी स्थिति फटेहाल हो गयी है. सरकार की गलत नीतियों के कारण ही किसानों की स्थिति में सुधार नहीं हो पा रहा है. सरकार को चाहिए कि खेती को उद्योग का दर्जा दें और खेतों तक पानी पहुंचाने की व्यवस्था हो, तभी खेतों में हरियाली और किसानों के चेहरे पर खुशहाली आयेगी. क्योंकि पलामू में सिंचाई की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है, ऐसे में यहां कृषि को बढ़ावा देने के लिए विशेष कार्य योजना तैयार करने की जरूरत है.
कार्यशाला में शामिल पदाधिकारियों व वैज्ञानिकों ने खरीफ फसल का उत्पादन अधिक हो, इस विषय पर विस्तार से प्रकाश डाला. कहा कि वैज्ञानिक तरीके से खेती करने से ही अधिक उपज होगी और किसानों को अधिक लाभ मिलेगा. किसान पुरानी व्यवस्था के तहत खेती करते हैं, इससे उन्हें नुकसान उठाना पड़ता है.
आज जरूरत है परंपरागत खेती की बजाय व्यावसायिक खेती की ओर किसानों को विशेष ध्यान देने की. खेती का कार्य कैसे किया जाये, किस तरह के बीज लगाये जाये, जरूरत पड़ने पर कौन सी खाद दी जाये, इसके लिए सरकार ने किसानों को प्रशिक्षण देने की भी व्यवस्था की है. चियांकी स्थित कृषि विज्ञान केंद्र में किसानों को प्रशिक्षण दिया जाता है. कृषि वैज्ञानिक भी कार्यशाला के माध्यम से किसानों को खेती करने के तरीके आदि के बारे में विस्तार से जानकारी देते हैं. जरूरत है कि किसान जागरूक होकर इसका लाभ उठावें. वैज्ञानिकों ने बताया कि वैज्ञानिक पद्धति से खेती करने से अधिक लाभ होगा. समेकित कृषि प्रणाली के तहत खेती करने से किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत रहेगी. किसानों को कभी भी पैसे की कमी नहीं होगी.
खेती कार्य के साथ-साथ आय के स्रोत बढ़ाने के लिए पशुपालन, मुर्गी पालन, बकरी पालन के अलावा मशरूम, लाह, केंचुआ खाद उत्पादन करना चाहिए. इस कार्य में महिलाओं को भी रोजगार मिलता है और गरीबी और पलायन दूर करने में भी यह कारगर साबित होता है. बताया गया कि जिन गांवों में डोभा का निर्माण कराया गया है, उन गांवों में डोभा के किनारे पर पौधरोपण करें. इससे पर्यावरण की भी रक्षा होगी और मिट्टी का कटाव भी नहीं होगा.
कार्यशाला में जिला कृषि पदाधिकारी एडमंड मिंज, जिला उद्यान्न पदाधिकारी उमेश कुमार, क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र के मुख्य वैज्ञानिक डॉ डीएन सिंह, सह वैज्ञानिक अनिल कुमार, कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक संजय कुमार राम, सुनिता कमल, दिलीप पांडेय, आत्मा परियोजना के उप निदेशक प्रवीण सिंह, कनीय पौधा संरक्षण पदाधिकारी इफको के क्षेत्रीय प्रबंधक आदि ने विस्तृत जानकारी दी. कार्यशाला में सभी प्रखंड के बीटीएम, एटीएम, बीएओ, जनसेवक अन्य लोग मौजूद थे.
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement