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बंपर पैदावार, नहीं मिल रहे खरीदार
विडंबना. प्याज के आंसू रो रहे हैं हुसैनाबाद के किसान हुसैनाबाद : अधिक पैदावार हो या कम, प्याज दोनों ही स्थिति में आंखों में आंसू ला देता है. पिछले साल प्याज की कम पैदावार के कारण इसकी कीमतें आसमान छू रही थीं और लोगों की आंखों में आंसू थे. इस बार बंपर पैदावार हुई, तो […]
विडंबना. प्याज के आंसू रो रहे हैं हुसैनाबाद के किसान
हुसैनाबाद : अधिक पैदावार हो या कम, प्याज दोनों ही स्थिति में आंखों में आंसू ला देता है. पिछले साल प्याज की कम पैदावार के कारण इसकी कीमतें आसमान छू रही थीं और लोगों की आंखों में आंसू थे. इस बार बंपर पैदावार हुई, तो कोई खरीदार नहीं मिल रहा और किसान की आंखों में आंसू हैं.
हुसैनाबाद प्रखंड के पोलडीह पंचायत के पोलडीह गांव के किसान उमेश सिंह ने कर्ज लेकर अत्याधुनिक ढंग से प्याज की खेती की थी. उम्मीद थी कि फसल अच्छी होगी, तो अच्छी कमाई भी होगी. इसलिए खेत में काम करनेवाले मजदूरों को घर में रखा अनाज तक दे दिया. यह सोच कर कि प्याज बेच कर फिर अनाज खरीद लेंगे. लेकिन, उमेश की सोच अब उस पर भारी पड़ रही है.
उमेश ने इस बार एक एकड़ में प्याज की खेती की थी. बीज से लेकर निराई तक पैदा करने में 40 हजार रुपये खर्च हो गये. जी-जान से मेहनत की. मेहनत रंग लायी और 50 क्विंटल प्याज की पैदावार हुई.
पैदावार के बारे में जिसने भी सुना, उमेश का लोहा मानने लगा. उमेश प्रखंड ही नहीं, जिले के किसानों के लिए प्रेरणा बन गया. लेकिन, आज उसकी उपलब्धि ही सबसे बड़ी मुसीबत बन गयी है, क्योंकि प्याज की कीमत उसे नहीं मिल रही. खुदरा बाजार में 10-12 रुपये किलो प्याज बिक रहा है, लेकिन उमेश का प्याज कोई पांच-छह रुपये किलो भी खरीदने को तैयार नहीं है.
यदि खुदरा बाजार का मूल्य देखें, तो उमेश अपनी पूरी पैदावार बेच कर 50 हजार रुपये कमा सकता है, जो उसकी लागत के बराबर है. लेकिन, थोक बाजार में प्याज के भाव 700-800 रुपये प्रति क्विंटल है. इस पर भी व्यापारी खरीदारी नहीं कर रहे. वे कीमतों के और गिरने का इंतजार कर रहे हैं. दूसरी तरफ, किसान के घर में हर दिन 10-15 किलो प्याज सड़ रहा है, जो उसकी सबसे बड़ी चिंता है.
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