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बेकार. खर्च "56 लाख, दो बार पर उदघाटन पाटन की बेलाही जलापूर्ति योजना पर लगा ग्रहण कब दूर होगा, यह आज भी एक सवाल बना है. एकीकृत बिहार के जमाने में इस पर काम शुरू हुआ. तत्कालीन मुख्यमंत्री ने इसकी आधारशिला रखी. इस बीच वर्ष 2000 में झारखंड बना. झारखंड बनने के बाद उम्मीद की […]

बेकार. खर्च "56 लाख, दो बार पर उदघाटन
पाटन की बेलाही जलापूर्ति योजना पर लगा ग्रहण कब दूर होगा, यह आज भी एक सवाल बना है. एकीकृत बिहार के जमाने में इस पर काम शुरू हुआ. तत्कालीन मुख्यमंत्री ने इसकी आधारशिला रखी. इस बीच वर्ष 2000 में झारखंड बना. झारखंड बनने के बाद उम्मीद की गयी कि अब बेलाही के दिन बहुरेंगे. 2006 में झारखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने भी उदघाटन किया. लेकिन परिणाम शून्य रहा.
पाटन(पलामू) : बात उस वक्त की है, जब एकीकृत बिहार था. तब बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री बिंदेश्वरी दुबे ने सात मई 1987 को पाटन के बेलाही में ग्रामीण जलापूर्ति योजना की आधारशिला रखी थी. ग्रामीणों को शुद्ध पेयजल मिले, इसके लिए यह योजना ली गयी थी. 1987 में जिस योजना की आधारशिला मुख्यमंत्री ने रखी थी. उस योजना को पूरा होने में 11 वर्ष लग गये थे.
लगभग 11 वर्ष के बाद राज्य के तत्कालीन पीएचइडी राज्यमंत्री गिरिनाथ सिंह ने 17 अप्रैल 1998 को इसका उदघाटन किया. यह जलापूर्ति योजना बिजली से संचालित थी. लेकिन उदघाटन के बाद एक दिन भी पानी नहीं मिला. जब योजना पर सवाल उठा, तो विभाग ने यह कहा कि बिजली के अभाव में योजना संचालित नहीं हो पा रही है.
उस वक्त यह योजना 36 लाख रुपये की थी. विभाग बिजली के लिए प्रयासरत रहा. ग्रामीण भी परेशान रहे. इस बीच 2000 में अलग झारखंड बना. फिर से इस योजना पर 20 लाख रुपये खर्च हुए. इस बार यह कहा गया कि अब यह योजना डीजल पंप से संचालित होगी. पंप लगने के बाद वर्ष 2006 में झारखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने इसका उदघाटन किया. लेकिन फिर भी पानी नहीं मिला.
योजना के 11 कनेक्शनधारी हैं
इस योजना के तहत पानी मिले, इसके लिए विभाग ने कनेक्शन भी दिया था. 11 लोगों ने कनेक्शन लिया था, लेकिन कनेक्शन के बाद एक दिन भी पानी नहीं मिला. जिन लोगों ने कनेक्शन लिया था, उनलोगों का कहना है कि अब ध्यान देना ही बंद कर दिया. जान गये कि बेलाही जलापूर्ति योजना से पानी नहीं मिलना है. जिन लोगों ने कनेक्शन लिया था, उसमें सतहे के बदरूद्दीन अंसारी,महेंद्र पांडेय, ब्रजमोहन पांडेय, राजकुमार भुइंया, सतनटोला के राजेंद्र प्रसाद, वृजकिशोर यादव, मालदेव यादव, फगुनी यादव, शकलदीपा के बलभद्र पांडेय, श्यामदेव पांडेय, पाटन के वीरेंद्र प्रसाद शामिल है.
कागजों में 2008 से चालू है योजना
बेलाही जलापूर्ति योजना का जो रजिस्टर पंप हाउस में दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी के पास है, उसके मुताबिक 29 नवंबर 2008 से योजना चल रही है. इसका पानी भी मिल रहा है. दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी रामाशीष ठाकुर का कहना है कि पहले चलता था, अभी एक साल से बंद है.
11 गांवों को मिलता शुद्ध पानी
यदि योजना सफल होती तो 11 गांव के लोगों को शुद्ध पेयजल मिलता, अभी कई गांवों में पानी में फ्लोराइड की मात्रा ज्यादा है. इससे परेशानी होती है. इस योजना से पाटन ब्लॉक, थाना और बाजार में भी जलापूर्ति करनी थी.
क्या थी योजना
बेलाही ग्रामीण जलापूर्ति योजना से पाटन के सेमरी, केल्हार, जोडा खुर्द, महुलिया, शकलदीपा, बलगडा, सतहे, सतौआ, सतन टोला,पुरनी पाटन सहित लगभग एक दर्जन गांवों को पानी देना था. इसके लिए पाइपलाइन भी बिछायी गयी थी. ग्रामीण शहाबुदीन अंसारी, अर्जुन भुइयां, शंभु रामा, प्रकाश राम का कहना है कि इस योजना से एक दिन भी पानी नहीं मिला है. बलगडा पहाड़ पर टंकी बनाना था, वह भी नहीं बना है.

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