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दो दिन में 10 फीट गिरा जलस्तर
सूख रहे जलस्राोत. तालाबों का लगातार हो रहा है अतिक्रमण मेदिनीनगर : पहली बार झारखंड में कृषि के लिए इस बार अलग से बजट बनाया गया है. कोशिश यह है कि खनिज संपदा से परिपूर्ण झारखंड में कृषि कार्यों को बढ़ावा दिया जाये, ताकि किसान समृद्ध हों और राज्य दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की करे. […]
सूख रहे जलस्राोत. तालाबों का लगातार हो रहा है अतिक्रमण
मेदिनीनगर : पहली बार झारखंड में कृषि के लिए इस बार अलग से बजट बनाया गया है. कोशिश यह है कि खनिज संपदा से परिपूर्ण झारखंड में कृषि कार्यों को बढ़ावा दिया जाये, ताकि किसान समृद्ध हों और राज्य दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की करे. ढाई महीने पहले (एक दिसंबर, 2015 को) कृषि मंत्री रणधीर कुमार सिंह ने रांची के एक कार्यक्रम में कहा कि प्रदेश में गिरते जलस्तर को बनाये रखने के लिए एक लाख तालाबों का सरकार निर्माण करायेगी.
पारंपरिक जलस्रोतों का संरक्षण करेगी. लेकिन, जिला प्रशासन का रवैया इसके उलट है. प्रशासनिक लापरवाही से पलामू के जलस्रोत संकट में हैं. कोयल नदी से लेकर शहर के तीन तालाबों को डंपिंग यार्ड में तब्दील कर दिया गया है. इसके कारण धीरे-धीरे तालाबों की परिधि कम हो रही है.
सबसे बुरी स्थिति बड़ा तालाब की है. इसका अस्तित्व संकट में है, जिन लोगों पर इसके संरक्षण की जिम्मेवारी है, वही इसका अतिक्रमण कर रहे हैं. तालाब किनारे डाले जा रहे कचरे से इसकी परिधि तो कम हो ही रही है, तालाब के बीचोबीच सड़क (दीनदयाल मार्ग) भी बना दी गयी है. पूल और गार्डवाल निर्माण के नाम पर तालाब का लगातार अतिक्रमण हुआ. तालाब पर सब्जी मार्केट का भी निर्माण शुरू हो गया था, लेकिन कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी.
बहरहाल, लोगों का दर्द यह है कि तालाब का पानी सूख जाने की वजह से शहर के कई इलाकों का जलस्तर तेजी से गिरा है. दो दिन में पानी 10 फीट नीचे चला गया है. पेयजल का संकट गहरा रहा है. नगर पर्षद अब पहल करने की बात कह रहा है.
तालाब सूखा, तो सूख गया कुआं भी
बड़ा तालाब के समीप लालकोठा के सामने एक पुराना कुआं है. कहते हैं कि जब तालाब में पर्याप्त पानी होता है, कुआं में भी पानी रहता है. जब तालाब सूख जाता है, कुएं का जलस्तर भी तेजी से गिर जाता है.
…तो बन जाये पर्यटन स्थल
यदि तालाब को संरक्षित किया जाये. इसकी सफाई कर चारों ओर घाट बना कर लाइटिंग की व्यवस्था कर दी जाये, तो यह शहर का बेहतरीन पर्यटन स्थल बन सकता है.
सफाई की होती है सिर्फ चर्चा
कई बार तालाब को साफ करने पर चर्चा हुई, लेकिन गंभीरता से पहल कभी नहीं हुई. तालाबों को अतिक्रमणमुक्त कराने के लिए जुलाई, 2015 में बड़ा अभियान चला. अतिक्रमण हटाये भी गये, लेकिन बाद में यह गंभीरता खत्म हो गयी. फलस्वरूप तालाब का स्वरूप दिन-ब-दिन बिगड़ता चला गया.
नप के अधीन है तालाब
बड़ा तालाब नगर पर्षद के अधीन है. वर्ष 2012 में इसकी सफाई का प्रस्ताव पारित हुआ, लेकिन कहते हैं कि तत्कालीन कार्यपालक पदाधिकारी के कारण सफाई का टेंडर ही नहीं हो सका. फलस्वरूप मामला अटक गया.
बरसात से पहले सफाई का कर रहे है ं प्रयास
बड़ा तालाब की सफाई जरूरी है. यह हमारी प्राथमिकता सूची में है. इस बार बोर्ड की बैठक में इस मामले को लायेंगे. सफाई के लिए सरकार से पैसे की मांग की जायेगी. बरसात के पहले ही इसकी सफाई के प्रयास हम कर रहे हैं.
पूनम सिंह, अध्यक्ष, नगर पर्षद
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