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कई दिलकश नजारे हैं मोहम्मदगंज में

मोहम्मदगंज (पलामू) : जिला मुख्यालय से सड़क मार्ग से पड़वा मोड़ होते करीब 80 किमी दूर व रेल मार्ग से 70 किमी दूर बिहार सीमा के दंगवार से करीब 29 किमी दूर मोहम्मदगंज में कई दिलकश नजारे व पयर्टन स्थल गुमनामी के अंधेरे में हैं. यहां नजारे किसी का ध्यान खींचने की सलाहियत रखते हैं. […]

मोहम्मदगंज (पलामू) : जिला मुख्यालय से सड़क मार्ग से पड़वा मोड़ होते करीब 80 किमी दूर व रेल मार्ग से 70 किमी दूर बिहार सीमा के दंगवार से करीब 29 किमी दूर मोहम्मदगंज में कई दिलकश नजारे व पयर्टन स्थल गुमनामी के अंधेरे में हैं. यहां नजारे किसी का ध्यान खींचने की सलाहियत रखते हैं. बस जरूरत हैं इन स्थलों को सजाने-संवारने की.

स्थानीय विधायक कुशवाहा शिवपूजन मेहता पयर्टन विकास के सभापति हैं. तथापि इन स्थलों का विकास नहीं हो पाया है. भीम चूल्हा की कहानी महाभारत काल से जुड़ी बतायी जाती है. कहा जाता है कि पांडवो के वनवास के दौरान इस क्षेत्र में उनके पांव पड़े थे.

भीम ने तीन बड़े पत्थरों के एक जगह एकत्र कर चूल्हा का रूप दिया था. इस लिए इस स्थान का नाम भीम चूल्हा पड़ा है. भीम मे नाम पर ही उत्तर कोयल नदीं मे इसी स्थन पर भीम बराज का निर्माण किया गया है. इसी बराज के ऊपर से पथ का निर्माण पूरा किया जा रहा हैं. जो छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, बिहार व झारखंड को जोड़ता हैं. इस क्षेत्र मे तुरूरिया, सीताचुआ, भौराहा पहाड़ पर बने निरीक्षण भवन से बिहार का कैमूर पर्वत का नजारा काफी दिलकश व पर्यटकों को सुकून देता है.

इस स्थान से से किमी दूर कई पहाड़ों से निकलने वाली नदियों को बांध कर काशीस्रोत बांध का निमार्ण किया गया हैं. काशीस्रोत बांध,भीम चूल्हा , सीताचुआ , तुरूरिया, जलधारा समेत कई स्थान पिकनिक स्पॉट के लिए प्रसिद्ध हैं. यहां प्रतिवर्ष दिसंबर व जनवरी माह मे पिकनिक का आंनद लिया जाता है. कोयल नदी से यहां के सैकड़ों मछुआरों के परिवार जीविका चलाते हैं.

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