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मेदिनीनगर : शनिवार को सूखा का जायजा लेने केंद्रीय टीम पलामू पहुंची. केंद्रीय कृषि विभाग के अपर सचिव जलज श्रीवास्तव के नेतृत्व में यह टीम पलामू आयी. सूखे के कारण किसानों की स्थिति क्या है. गांवों में क्या हाल है, किसान कैसे इस परिस्थितियों का सामना कर रहे हैं. इसके बारे में टीम ने किसानों […]

मेदिनीनगर : शनिवार को सूखा का जायजा लेने केंद्रीय टीम पलामू पहुंची. केंद्रीय कृषि विभाग के अपर सचिव जलज श्रीवास्तव के नेतृत्व में यह टीम पलामू आयी. सूखे के कारण किसानों की स्थिति क्या है. गांवों में क्या हाल है, किसान कैसे इस परिस्थितियों का सामना कर रहे हैं. इसके बारे में टीम ने किसानों से सीधा संवाद किया और जमीनी हकीकत जानने का प्रयास किया. अपर सचिव ने स्पष्ट किया कि वे लोग जमीनी हकीकत जानने आये हैं. झारखंड में सूखे से सर्वाधिक प्रभावित इलाका पलामू है, इसलिए वे लोग पलामू की स्थिति को जानने आये हैं.
यहां जो कुछ भी पाया है, उसकी रिपोर्ट सौंपी जायेगी. टीम में पांच सदस्य थे, इसके अलावा डीसी के श्री निवासन, डीआरडीए के निदेशक हैदर अली, बिरसा कृषि अनुसंधान केंद्र के मुख्य वैज्ञानिक डॉ डीएन सिंह, जिला कृषि पदाधिकारी एडवर्ड मिंज सहित कई पदाधिकारी थे. टीम के सदस्य हेलीकॉप्टर से पलामू आये थे. चियांकी हवाई अड्डे पर उपायुक्त श्री निवासन ने टीम के सदस्यों का स्वागत किया.
टीम का सवाल
जब पांच वर्ष से सूखा है, तो खेती कैसे कर रहे हैं: केंद्रीय टीम ने चैनपुर के निमियां गांव की जमीनी हकीकत जानी. किसानों से सीधा संवाद के दौरान इलाके की हकीकत जानकर अपर सचिव श्री श्रीवास्तव हतप्रभ हो गये. उनसे किसानों ने कहा कि पिछले पांच वर्ष से खेती नहीं हो रही है. इस बार बारिश अच्छी हुई थी, लगा खेती होगी, कर्ज लेकर ही खेती कर ली, अब नुकसान में हैं.
इस पर टीम के सदस्यों ने कहा कि जब पांच वर्ष से अपेक्षित बारिश नहीं हो रही है, खेती मारी जा रही है, फिर भी खेती कर रहे हैं? इस पर किसानों ने कहा कि हां सर, यही सही है, करें तो करें क्या? किसान है, मन मानता नहीं, खेती कर बैठते हैं. उसके बाद की स्थिति आप देख रहे हैं. धान की फसल मारी गयी, मुआर मवेशियों को खिला रहे हैं.
डीप बोरवेल और नहर का पानी पहुंचे
निमियां के किसानों से टीम के सदस्यों ने जानना चाहा कि आखिर समस्या का निराकरण कैसे हो, इस पर किसानों ने कहा कि डीप बोरवेल और रानीताल डैम का पानी यदि किसानों के खेतों तक पहुंचे, तो स्थिति बदल सकती है.
लेकिन इस पर अपेक्षित ध्यान नहीं दिया जाता. सरकारी योजनाओं का लाभ किसानों को मिल रहा है या नहीं? इसके बारे में भी टीम ने जानना चाहा. कई किसानों का कहना था कि अपेक्षित लाभ नहीं मिलता. कौन सी योजना है, इसके बारे में भी उनलोगों को जानकारी नहीं होती.

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