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मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद भी समाप्त नहीं हुआ एसएआर कोर्ट

मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद भी समाप्त नहीं हुआ एसएआर कोर्टराजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने जारी नहीं की है अधिसूचना वरीय संवाददाता, रांचीमुख्यमंत्री रघुवर दास की घोषणा के बाद भी एसएआर कोर्ट समाप्त नहीं किया जा सका है. राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग की तरफ से एसएआर कोर्ट को समाप्त करने के लिए अधिसूचना […]

मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद भी समाप्त नहीं हुआ एसएआर कोर्टराजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने जारी नहीं की है अधिसूचना वरीय संवाददाता, रांचीमुख्यमंत्री रघुवर दास की घोषणा के बाद भी एसएआर कोर्ट समाप्त नहीं किया जा सका है. राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग की तरफ से एसएआर कोर्ट को समाप्त करने के लिए अधिसूचना जारी नहीं की गयी है. अधिसूचना जारी होने के बाद इसे समाप्त करने के निर्देश भी संबंधित जिलों के उपायुक्तों को दिया जायेगा. जानकारी के अनुसार, सरकार इस संबंध में विधि विभाग से राय ले रही है. राजस्व, निबंधन और भूमि सुधार मंत्री अमर बाउरी का कहना है कि सभी पहलुओं पर गौर किया जा रहा है. कल्याण सचिव के नेतृत्व में एक उच्च स्तरीय समिति भी बनायी गयी है, जो अादिवासी भूमि हस्तांतरण के मामलों का अध्ययन करेगी. राज्य भर में अवस्थित शिड्यूल एरिया में आदिवासियों के भूमि हस्तांतरण से संबंधित 4727 मामले एसएआर कोर्ट में लंबित हैं. इसमें से सबसे अधिक मामले सिर्फ रांची में हैं. रांची के अलावा रामगढ़, पाकुड़, पूर्वी और पश्चिमी सिंहभूम, पलामू, हजारीबाग, धनबाद, गुमला, गिरिडीह, लोहरदगा, गढ़वा, खूंटी, लातेहार, बोकारो और गोड्डा में आदिवासी जमीन के मामले लंबित हैं. 1969 में बना था एसएआर कोर्ट1969 में एसएआर कोर्ट की स्थापना की गयी थी. इसका उद्देश्य आदिवासी भूमी की खरीद-बिक्री पर रोक लगाना था. राज्य में छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम (सीएनटी) और संताल परगना काश्तकारी अधिनियम (एसपीटी) भी प्रभावी है, पर इन नियमों की आड़ में जनजातीय भूमि की खरीद-बिक्री जारी है. झारखंड अलग राज्य बनने के बाद जनजातीय जमीन की खरीद-बिक्री भी अप्रत्याशित तरीके से बढ़ी है. कहां है पेंचछोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम के तहत ही जनजातीय भूमि की खरीद-बिक्री पर रोक लगाने के नियम बने हैं. सरकार को सीएनटी एक्ट के प्रावधानों में संशोधन कर, उसे संसद से पारित करा कर संशोधित नियम को प्रभावकारी बनाने की पहल करनी होगी. इसके लिए विधानसभा का विशेष सत्र भी आहूत करना होगा. सभी संबंधित जिलों में सरकार की ओर से एसएआर कोर्ट प्रभारी की नियुक्ति की गयी है. इनके नहीं रहने पर भूमि सुधार उप समाहर्ता स्तर के अधिकारी को प्रभार सौंपा जाता है.

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