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आइएफएस अफसर को बरखास्त करने का फैसला

आइएफएस अफसर को बरखास्त करने का फैसला- कोड़ा कांड से भी जुड़ा है आरके सिन्हा का नाम – राज्य सरकार ने केंद्र को भेजा प्रस्ताव क्या-क्या है आरोप आइएफएस अधिकारी आरके सिन्हा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में सदस्य सचिव के रूप में पदस्थापन के दौरान अपने कारनामे और कोड़ा कांड से जुड़े होने की वजह से […]

आइएफएस अफसर को बरखास्त करने का फैसला- कोड़ा कांड से भी जुड़ा है आरके सिन्हा का नाम – राज्य सरकार ने केंद्र को भेजा प्रस्ताव क्या-क्या है आरोप आइएफएस अधिकारी आरके सिन्हा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में सदस्य सचिव के रूप में पदस्थापन के दौरान अपने कारनामे और कोड़ा कांड से जुड़े होने की वजह से चर्चा में आये थे. उनके कार्यकाल में कई प्रकार के गंभीर आरोप लगे. इनमेें अखिल भारतीय सेवा नियमावली 1969 की धारा 16 का उल्लंघन करते हुए सरकार से अपनी वास्तविक संपत्ति छिपाना, निजी लाभ के लिए सरकारी पद का दुरुपयोग करना और गलत तरीके से आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का आरोप शामिल है. गलत तरीके से क्रशरों को दिया था अनापत्ति प्रमाण पत्रआयकर विभाग की अनुसंधान शाखा ने कोड़ा कांड में छापामारी के दौरान आइएफएस अधिकारी आरके सिन्हा के ठिकानों पर भी छापामारी की थी. छापामारी के दौरान मिले दस्तावेज की जांच में आरके सिन्हा द्वारा गलत तरीके से क्रशर आदि को अनापत्ति प्रमाण पत्र देने का मामला पकड़ में आया था. इस बात की जानकारी मिली थी कि इस अधिकारी ने अपनी पत्नी सुषमा सिन्हा के नाम श्री राम रिजेंसी(वर्दवान कंपाउंड) में एक फ्लैट खरीदा था. इसे 18000 रुपये मासिक किराये पर जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड को दे रखा था. इसके अलावा शेयर में भी भारी निवेश किया था. आयकर अधिकारियों की पूछताछ के दौरान आरके सिन्हा ने विनोद सिन्हा से संबंध होने की बात भी स्वीकार की थी. पूछताछ के दौरान अपने बच्चों की पढ़ाई के खर्च के स्रोत की जानकारी भी नहीं दे सके थे. साथ ही प्राॅपर्टी रिटर्न दाखिल नहीं करने की बात स्वीकार की थी.शकील अख्तर रांची : राज्य सरकार ने भारतीय वन सेवा (आइएफएस) के अधिकारी आरके सिन्हा को भ्रष्टाचार के आरोप में बरखास्त करने का फैसला किया है. इससे संबंधित प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेज दिया गया है. केंद्र सरकार की ओर से प्रस्ताव पर मुहर लगते ही आरके सिन्हा राज्य में आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के आरोप में बरखास्त किये जानेवाले अखिल भारतीय सेवा के पहले अधिकारी होंगे. इस अधिकारी का संबंध कोड़ा कांड से भी है.दो बार जारी हुआ था विभागीय कार्यवाही का आदेश इस अधिकारी पर दो बार विभागीय कार्यवाही शुरू की गयी थी. सरकार ने 2005 में विभागीय कार्यवाही चलाने का आदेश दिया था. इससे संबंधित आदेश पांच अक्तूबर 2005 को जारी किया गया था. दूसरी बार 11 अप्रैल 2011 को विभागीय कार्यवाही का आदेश दिया गया. पहली विभागीय कार्यवाही में दंड देने का मामला सरकार के पास विचाराधीन है. दूसरी विभागीय कार्यवाही के दौरान आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने, पद का दुरुपयोग करने और सरकार से अपनी संपत्ति का ब्योरा छिपाने के आरोप सही पाये गये. इन आरोपों के प्रमाणित होने का बाद सरकार ने उन्हें बरखास्त करने का फैसला किया है. इससे संबंधित प्रस्ताव केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय को भेजा है. साथ ही आरोपों को प्रमाणित करनेवाले दस्तावेज भी भेजे गये हैं.

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