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ओके..समय व संपत्ति का सदुपयोग ही योग है : डॉ मश्रिा

अोके..समय व संपत्ति का सदुपयोग ही योग है : डॉ मिश्रा फोटो-16 डालपीएच-3कैप्सन-प्रवचन करते डॉ मदनमोहन मिश्रापाटन(पलामू). पाटन प्रखंड के शकलदीपा दुर्गा बाड़ी में रामचरित मानस नवाह्न परायण पाठ व दुर्गा पूजा का 31 वां अधिवेशन के अवसर पर वाराणसी से पधारे डॉ मदनमोहन मिश्रा ने कहा कि समय, शक्ति व संपत्ति का सदुपयोग ही […]

अोके..समय व संपत्ति का सदुपयोग ही योग है : डॉ मिश्रा फोटो-16 डालपीएच-3कैप्सन-प्रवचन करते डॉ मदनमोहन मिश्रापाटन(पलामू). पाटन प्रखंड के शकलदीपा दुर्गा बाड़ी में रामचरित मानस नवाह्न परायण पाठ व दुर्गा पूजा का 31 वां अधिवेशन के अवसर पर वाराणसी से पधारे डॉ मदनमोहन मिश्रा ने कहा कि समय, शक्ति व संपत्ति का सदुपयोग ही योग है. इसका दुरुपयोग भोग है. शक्ति की आराधना में प्रत्येक व्यक्ति का कर्तब्य है कि सती सीमा और संस्कृति की रक्षा होनी चाहिए. अवसर ही ईश्वर है और विश्वास में ही विश्व का वास है. श्रद्धा की पार्वती और विश्वास के शिव के जीवन में आने से समग्र आध्यात्मिक और भौतिक शक्तियां प्राप्त हो जाती है. मौके पर कृष्णा पांडेय, रामविनय पांडेय, गुप्तेश्वर सिंह, अरुण पांडेय, योगेंद्र पांडेय सहित काफी संख्या में लोग शामिल थे. इधर पाटन के मौर्याटांड़ स्थित शिव मंदिर परिसर में बाबा क्लब द्वारा आयोजित दुर्गा पूजा के अवसर पर नवरात्र प्रवचन चल रहा है. डॉ मदनमोहन मिश्रा ने प्रवचन के दौरान भ्रूण हत्या के खिलाफ लोगों को एकजुट होने पर बल दिया. कहा कि बेटी को बचाने व उसे सुशिक्षित बनाने की जरूरत है. समाज की बेहतरी के लिए भ्रूण हत्या के खिलाफ लोगों को आवाज उठाने की जरूरत है.ऋषि व कृषि संस्कृति का मिलन ही है सीताराम विवाहफोटो-16 डालपीएच-12पड़वा(पलामू). उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ से पधारे पंडित आशुतोष द्विवेदी ने कहा कि श्रृंगी ऋषि द्वारा पुत्रेष्ठी यज्ञ कराने से भगवान राम का जन्म हुआ. इसलिए वे ऋषि संस्कृति के प्रतिक हैं ,जबकि राजा जनक के हल चलाने से सीता की उत्पत्ति हुई. इसलिए वे कृषि संस्कृति की प्रतीक हुई. इस प्रकार ऋषि व कृषि संस्कृति का मिलन ही राम सीता का विवाह है. पंडित श्री द्विवेदी पड़वा प्रखंड के लोहडा में आयोजित रामचरित मानस नवाह्न परायण पाठ महायज्ञ के तीसरे दिन प्रवचन कर रहे थे. उन्होंने कहा कि धनुष की डोरी श्रीराम की ओर आ रही थी, इसलिए डोरी नहीं टूटी. लेकिन दंड दूर जा रहा था, इसलिए टूट गया. धनुष उठा तो राम के हाथों गिरा और राम के चरणों में इस प्रकार जो व्यक्ति अपने जीवन का उत्थान और पतन परमात्मा की कृपा मानता है, उसे हर्ष और विषाद नहीं होता. उन्होंने कहा कि दहेज प्रथा के कारण विवाह का अर्थ भी बदल रहा है. दहेज लोभी के कारण लोग विवाह कर वाहवाही नहीं, बल्कि आह बटोर रहे हैं, ऐसी स्थिति में समाज के युवाओं को आगे आने की जरूरत है.

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