मेदिनीनगर :बात 1985 की है. मेदिनीनगर – औरंगाबाद मार्ग स्थित नावाबाजार में कोई भी उच्च विद्यालय नहीं था. तब नावाबाजार विश्रामपुर का हिस्सा हुआ करता था. विश्रामपुर के अंतिम छोर में होने के कारण यह इलाका उपेक्षा का भी शिकार था, लेकिन उस दौर में भी लोगों की चिंता शिक्षा को लेकर थी. लोग तब के तत्कालीन विधायक विनोद सिंह (अब स्वर्गीय) से मिले थे, लेकिन विद्यालय चलाने के लिए कोई जगह नहीं थी.
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दो लोगों ने दान की थी पांच एकड़ जमीन, तब बना चेगौना धाम उवि
मेदिनीनगर :बात 1985 की है. मेदिनीनगर – औरंगाबाद मार्ग स्थित नावाबाजार में कोई भी उच्च विद्यालय नहीं था. तब नावाबाजार विश्रामपुर का हिस्सा हुआ करता था. विश्रामपुर के अंतिम छोर में होने के कारण यह इलाका उपेक्षा का भी शिकार था, लेकिन उस दौर में भी लोगों की चिंता शिक्षा को लेकर थी. लोग तब […]
ऐसे में किराये के मकान पर पहले विद्यालय शुरू हुआ. लेकिन विद्यालय क्षेत्र की जरूरत थी. इसलिए लोगों की चिंता थी कि किसी तरह गांव में एक विद्यालय बने, लेकिन जमीन कहां से आये यह चिंता का विषय था. ऐसे में शिक्षा का अलख जगाने के लिए गांव के दो लोग आगे आये. इसमें एक महिला थी. रुकमणि देवी और खादिम शाह दोनों दिवंगत हो चुके हैं.
लेकिन आज नावाबाजार में इन दोनों की चर्चा होती है. नावाबाजार भी अब प्रखंड बन चुका है. लोगों का कहना है कि रुकमणि व खादिम शाह ने मिलकर पांच एकड़ जमीन दान दी थी. जिस पर विद्यालय का निर्माण हुआ है. विद्यालय का नाम चेगौना धाम उच्च विद्यालय है. स्व खादिम शाह के पुत्र मो. एहसान शाह व स्व रुकमणि देवी के पुत्र राजेंद्र साव को आज इस बात का मलाल है कि उनके पूर्वजों ने जो उदारता दिखायी थी उसके अनुरूप उन्हें सम्मान नहीं मिला.
विद्यालय के भूमिदाता में उन दोनों का जिक्र तक नहीं है, लेकिन उनलोगों को इस बात का सुकुन है कि उनलोगों ने इलाके के विकास के लिए जो किया वह आत्म संतोष का विषय है. विद्यालय खुलने से बच्चे शिक्षित हो रहे हैं. इससे सबसे अधिक गरीब परिवार के बच्चे व लड़कियों को फायदा हुआ है. प्राचार्य अरविंद पांडेय का कहना है कि अभी इस विद्यालय में 675 विद्यार्थी अध्ययनरत हैं.
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