मेदिनीनगर : मेदिनीनगर को नगर निगम का दर्जा मिल चुका है. शहर लगातार बढ़ रहा है. आबादी बढ़ रही है. वाहनों की संख्या भी बढ़ रही है, लेकिन स्टैंड की व्यवस्था पुरानी है. मेदिनीनगर का बस स्टैंड अभी भी शहर के बीचों-बीच है. 1940-1945 के बीच शहर के मोहन सिनेमा हॉल के सामने बस स्टैंड बना था, तब से लेकर अभी तक स्टैंड वही है.
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बस स्टैंड हटने से ही मिलेगी जाम से मुक्ति
मेदिनीनगर : मेदिनीनगर को नगर निगम का दर्जा मिल चुका है. शहर लगातार बढ़ रहा है. आबादी बढ़ रही है. वाहनों की संख्या भी बढ़ रही है, लेकिन स्टैंड की व्यवस्था पुरानी है. मेदिनीनगर का बस स्टैंड अभी भी शहर के बीचों-बीच है. 1940-1945 के बीच शहर के मोहन सिनेमा हॉल के सामने बस स्टैंड […]
इसका नतीजा यह है कि पिछले कई वर्षों से मेदिनीनगर शहर जाम की समस्या झेल रहा है. आये दिन जाम के कारण परेशानी होती है. लोगों की यह मांग काफी पुरानी है कि शहर से दूर बस स्टैंड को शिफ्ट किया जाये. इससे शहर को विस्तार भी मिलेगा और जाम से छुटकारा भी.
पुराने लोग बताते हैं पूर्व में मेदिनीनगर (तब डालटनगंज ) के पंचमुहान चौक से बस खुलती थी. उस समय शहर की आबादी बहुत कम थी. वाहनों की संख्या भी कम थी, इसलिए लोगों की सहूलियत को देखते हुए शहर के बीचों- बीच बस ठहराव का स्थान रखा गया था. उस समय पंचमुहान चौक से महुआडांड़, गारू, पांकी, लातेहार, पाटन, छतरपुर, औरंगाबाद मार्ग आदि जगहों के लिए बसें खुलती थीं.
जब आबादी बढ़ने लगी और बसों की संख्या में वृद्धि हुई तब मोहन सिनेमा हाल के समीप खास महाल की जमीन को स्टैंड के रूप में उपयोग किया जाने लगा. बाद में उसे विकसित किया गया. अब जब शहर की आबादी लगभग एक लाख 75 हजार हो गयी है. निजी बस स्टैंड से विभिन्न मार्गों के लिए 150 से अधिक बसें खुलती हैं. इसके अलावा मिनी बस, कमांडर, टेंपो भी विभिन्न स्टैंडों से खुलते हैं.
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