32.5 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Trending Tags:

Advertisement

मेदिनीनगर : साइकिल से करते थे प्रचार, कहीं भी बैठ खा लेते थे सतुआ

अविनाश पलामू के पूर्व सांसद जोरावर राम ने कहा एक हजार में लोकसभा, विधानसभा चुनाव में 500 हुआ था खर्च मेदिनीनगर : आज जब चुनाव की चर्चा शुरू होती है, तो इस बात को लेकर कयास लगाये जाते हैं कि किस दल से किसे टिकट मिल सकता है. संभावित प्रत्याशी कौन होगा. पार्टियों को समर्पित […]

अविनाश
पलामू के पूर्व सांसद जोरावर राम ने कहा एक हजार में लोकसभा, विधानसभा चुनाव में 500 हुआ था खर्च
मेदिनीनगर : आज जब चुनाव की चर्चा शुरू होती है, तो इस बात को लेकर कयास लगाये जाते हैं कि किस दल से किसे टिकट मिल सकता है. संभावित प्रत्याशी कौन होगा. पार्टियों को समर्पित लोगों की तलाश रहती थी. बात 1967 की है. जब सोशलिस्ट पार्टी के प्रत्याशी के रूप में जोरावर राम ने चुनाव लड़ा. चुनाव की बदलाव की जब चर्चा करते हैं, तो वह कहते हैं : काफी कुछ बदल गया है. 1967 में जब उन्हें पलामू से संसदीय क्षेत्र से टिकट मिला था, तो इसके लिए उन्हें कही दौड़ नहीं लगानी पड़ी थी.
तब समाजवादी नेता पूरनचंद (अब स्वर्गीय) से एक दिन बात हुई. वह सामाजिक कार्यों में मेरी रुचि को देख कर प्रभावित थे, और सिंबल दिला दिया. तब चुनाव प्रचार में इतना तामझाम नहीं था. साइकिल से प्रचार के लिए निकलते थे. आठ-दस लोगों की टोली होती थी. खुद सतुआ लेकर निकलते थे. जहां भूख लगती थी लोगों के बीच बैठ कर ही खा लेते थे. तब जो प्रत्याशी होते थे या फिर उनके साथ चलने वाले समर्थक सब में समर्पण का भाव रहता था. किसी प्रकार की कोई अपेक्षा नहीं थी. जाने के बाद लोग भी कोई डिमांड नहीं करते थे. बल्कि सामर्थ्य के अनुसार लोग मदद कर देते थे और प्रचार -प्रसार का जिम्मा भी ले लेते थे. प्रचार में ज्यादा खर्च नहीं था. जो खर्च होता था, परचा व नामांकन दाखिल करने में ही होता था. 1967 में मुश्किल से हजार रुपये खर्च हुए थे. इस चुनाव में वह हार गये थे.
लेकिन प्रचार में तब डॉ राममनोहर लोहिया, जॉर्ज फर्नांडिस आये थे. श्री राम का कहना है कि डॉ लोहिया चुनावी सभा में जैसे तैसे भीड़ जुटाने के प्रबल विरोधी थे. कहते थे कि स्वत: दस लोग ही आये, तो ठीक है. कम से कम वह बात तो सुनेंगे. जबदस्ती लाये गये लोग कुछ नहीं सुनते. इसी तरह 1977 में जोरावर राम ने छतरपुर पाटन से विधानसभा का चुनाव लड़ा. तब के बारे में वह कहते हैं कि 500 रुपये उन्होंने चुनाव में खर्च किया था. चुनाव प्रचार में पांच जीप मथुरा साव ने दिया था.
उसका डीजल – पेट्रोल भी उन्हीं के द्वारा मिला था. केवल परचा छपवा कर लोगों के बीच वितरित किया जाता था. लोग वोट देते थे. 1989 में वह जनता दल के टिकट पर पलामू संसदीय क्षेत्र से सांसद बने. विधायक बनने के बाद एकीकृत बिहार में मंत्री भी रहे थे. पूर्व सांसद श्रीराम कहते हैं कि पहले जनता स्नेहपूर्वक अपने गांव घर में बुला कर नेताओं का स्वागत करती थी.
लेकिन आज की परिस्थिति में आमजनों को ही जुटाने के लिए नेताओं को मशक्कत करनी पड़ रही है. ऐसा इसलिए भी हुआ है कि चुनाव लड़ना महंगा हो गया है. सब कुछ पैसे पर तय हो रहा है. इसलिए जनता भी इसी दृष्टिकोण से नेताओं को देख रही है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें