मेदिनीनगर : 122 वर्ष पुराना जिला. 22 वर्ष हो गये प्रमंडल बने भी. पहले जिला, फिर प्रमंडलीय मुख्यालय का दरजा मिला. आबादी बढ़ी. उस हिसाब से गाड़ियां भी बढ़ीं. पर व्यवस्था वही पुरानी रही. वही बस स्टैंड, जो वर्षो पहले था. पहले जहां खुलने वाले वाहनों की संख्या दर्जनों में होती थी, वह अब सैकड़ों में पहुंच गयी है. बड़े वाहनों की बात छोड़ दी जाये, तो सैकड़ों ही नहीं, बल्कि हजारों की संख्या में तीन पहिया वाहन व जीप हैं. जो विभिन्न मार्गो के लिए मेदिनीनगर से खुलती है.
पर इन छोटे वाहनों के लिए कोई स्टैंड निर्धारित नहीं है. यद्यपि कुछ दिन पहले सरकारी बस डिपो के पास एक अस्थायी स्टैंड की व्यवस्था की गयी है, लेकिन फिर भी टेंपो सड़कों के किनारे खड़े होते हैं. शिवाजी मैदान छोटे वाहनों के लिए अघोषित स्टैंड है. अभी वहां निजी बस स्टैंड है. वहां से करीब 110 बसें खुलती हैं. सड़कों पर दबाव बढ़ा है. वाहनों की संख्या बढ़ी है. नतीजा जाम. यातायात व्यवस्था में सुधार हो, इसके लिए पूर्व में कई कदम उठाये गये, लेकिन इसका अपेक्षित परिणाम सामने नहीं आया.