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ट्रक के धक्के से युवक की मौत िवरोध में तीन घंटे एनएच जाम

नावाबाजार : मेदिनीनगर-पड़वा-गढ़वा मार्ग पर एनएच-75 राजहरा गांव के पास ट्रक के धक्के से मोटरसाइकिल सवार बबलू विश्वकर्मा की मौत हो गयी. जानकारी के अनुसार पड़वा थाना क्षेत्र के मानआहर गांव का बबलू विश्वकर्मा अपने पिता फेंकन विश्वकर्मा के साथ मोटरसाइकिल से मानआहर से गढ़वा जा रहा था. इसी क्रम में राजहरा के पास गढ़वा […]

नावाबाजार : मेदिनीनगर-पड़वा-गढ़वा मार्ग पर एनएच-75 राजहरा गांव के पास ट्रक के धक्के से मोटरसाइकिल सवार बबलू विश्वकर्मा की मौत हो गयी. जानकारी के अनुसार पड़वा थाना क्षेत्र के मानआहर गांव का बबलू विश्वकर्मा अपने पिता फेंकन विश्वकर्मा के साथ मोटरसाइकिल से मानआहर से गढ़वा जा रहा था.
इसी क्रम में राजहरा के पास गढ़वा की ओर से आ रहे अज्ञात ट्रक ने धक्का मार दिया. इस घटना में बबलू ने घटनास्थल पर ही दम तोड़ दिया. जबकि उसके पिता फेकन विश्वकर्मा की हालत गंभीर बनी हुई है. फेकन को इलाज के लिए सदर अस्पताल लाया गया. चिकित्सकों के अनुसार फेकन की हालत भी गंभीर है. घटना से आक्रोशित ग्रामीणों ने मेदिनीनग-पड़वा- गढ़वा मार्ग को जाम कर दिया.
जाम सुबह छह बजे से नौ बजे तक रहा. तीन घंटे तक जाम के कारण सड़कों पर वाहनों की लंबी कतार लग गयी थी. सूचना मिलने के बाद नावाबाजार थाना प्रभारी अरविंद कुमार सिंह घटनास्थल पर पहुंचे और लोगों को समझाया. जिप सदस्य अनुज राम ने प्रखंड विकास पदाधिकारी अशोक कुमार चोपड़ा से बात कर मृतक के परिजनों को सरकारी प्रावधान के अनुसार मुआवजा देने की मांग की. इस पर बीडीओ ने भरोसा दिलाया कि इसकी प्रक्रिया पूर्ण कर एक दो दिनों के अंदर राशि उपलब्ध करा दी जायेगी. आश्वासन से संतुष्ट होकर ग्रामीणों ने जाम हटा लिया.
मौत का कारण बना बांस
प्रत्यक्षदर्शियों की माने तो बबलू के मौत का कारण बांस बना. सड़क के किनारे बांस लगी हुई है. उसका एक हिस्सा सड़क पर आ गया है. बबलू उससे हटकर निकलना चाहता था, वह निकल भी गया था. लेकिन उसी दौरान विपरीत दिशा से ट्रक आ रही थी. जब तक वह संभल पाता, तब तक ट्रक उसे धक्का मारकर निकल गयी.
बीमार पिता का इलाज कराने जा रहा था बबलू : फेकन विश्वकर्मा भी उस घड़ी को कोस रहे होंगे. आखिर वह बीमार क्यों हुए. बीमारी तो ठीक नहीं हुई, पर इलाज कराने ले जा रहा बेटा इस दुनिया से चला गया. खुद फेकन विश्वकर्मा भी जिंदगी व मौत से जूझ रहे हैं. स्थिति गंभीर बनी हुई है. बबलू विश्वकर्मा का भाई जितेंद्र विश्वकर्मा ने बताया िक बबलू बाहर काम करता था. हाल में ही वह लौटा था. पिता बीमार रहते हैं. किसी ने बताया कि गढ़वा में एक वैद्य रहते हैं, जो असाध्य बीमारियों का भी इलाज करते हैं.
उसी वैद्य से मिलने बबलू पिता के साथ जा रहा था. पर क्या पता था कि पिताजी की बीमारी ठीक कराने जा रहा भाई ही इस दुनिया से चला जायेगा.बबलू की मौत के बाद घरवालों का रो रोकर बुरा हाल है. बबलू विश्वकर्मा बाहर रहकर काम करता था. उसका कहना था कि तीन बेटियां है. यदि कमायेंगें नहीं तो इनकी पढ़ाई व बेहतर जगह पर शादी कैसे कर पायेंगे. वह परिवार को आगे ले जाना चाहता था. लेकिन उसकी मौत ने एक झटके में सारे सपने को तोड़ दिया.

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