मेदिनीनगर : मेदिनीनगर नगर निगम की पहली मेयर अरुणा शंकर ने स्पष्ट किया कि जनहित में वह कड़े निर्णय लेने में भी परहेज नहीं करेंगी. क्योंकि मेदिनीनगर नगर निगम को सुंदर व सुव्यवस्थित करते हुए इसे विकास के मामले में बडे शहरों के मुकाबले में खड़ा करना है. इसके लिए यह जरूरी है कि सिस्टम के तहत काम हो. कहां भी गया है कि मैन डज नोट वर्क, सिस्टम वर्क. इसलिए वह बेहतर सिस्टम डेवलप करेंगी. विकास की रूपरेखा तय की जायेगी. तय समय पर विकास की योजनाएं पूरी हो, इसके लिए सक्रियता के साथ काम होगा. एक टीम के रूप में काम किया जायेगा.
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तीन माह में दिखने लगेगा बदलाव
मेदिनीनगर : मेदिनीनगर नगर निगम की पहली मेयर अरुणा शंकर ने स्पष्ट किया कि जनहित में वह कड़े निर्णय लेने में भी परहेज नहीं करेंगी. क्योंकि मेदिनीनगर नगर निगम को सुंदर व सुव्यवस्थित करते हुए इसे विकास के मामले में बडे शहरों के मुकाबले में खड़ा करना है. इसके लिए यह जरूरी है कि सिस्टम […]
डिप्टी मेयर व 35 वार्ड पार्षदों की टीम है. इस टीम में अनुभव संपन्न के साथ-साथ युवा भी हैं. जो शहर को बेहतर बनाने की सोच के साथ आये हैं. सबका एक लक्ष्य है, मेदिनीनगर नगर निगम का सर्वांगीण विकास. तीन माह के अंदर शहर में बदलाव दिखेगा. कार्य योजना तैयार कर काम होगा. शपथ लेने के बाद श्रीमती शंकर गुरुवार को पहली बार कार्यालय पहुंची. उसके बाद उन्होंने नगर निगम के पदाधिकारी व कर्मियों के साथ परिचयात्मक बैठक की.
बिंदुवार नगर निगम की समस्याओं को जाना, कैसे समस्या दूर होगी, इस पर भी चर्चा की. चुने हुए प्रतिनिधियों के साथ-साथ जो पदाधिकारी व कर्मी हैं, सभी एक टीम के रूप में काम करेंगे और जनता को बेहतर सुविधा उपलब्ध करायेंगे.
पत्रकारों से बातचीत में मेयर श्रीमती शंकर ने कहा कि शहर में पेयजल संकट को दूर करने के लिए काम होगा. वैकल्पिक व्यवस्था के तहत टैंकर से जलापूर्ति हो रही है, लेकिन जल संकट से शहरवासियों को स्थायी रूप से मुक्ति मिले, इसके लिए योजनाबद्ध तरीके से काम होगा. इसके पूर्व श्रीमती शंकर ने निगम के कर्मियों की उपस्थिति पंजी की भी जांच की. कहा कि सभी कर्मी ससमय कार्यालय आयें, जिसके जिम्मे जो काम है, उसका ईमानदारी के साथ निर्वहन करें, ताकि जनता का काम ससमय पूरा हो सके. मौके पर कार्यपालक पदाधिकारी अजय कुमार साव, प्रधान सहायक अशोक सिंह, सहायक अभियंता विनय सिंह, जेइ संजीत कुमार, कृष्णमुरारी शर्मा, धीरज, नीरज, संतोष, रविंद्र सिंह, हसनैन खां, गंगासागर, अरशी तब्बसुम, राजन सिंह आदि मौजूद थे.
जानिये नगर पालिका से लेकर निगम तक का सफर
मेदिनीनगर नगर पालिका का गठन 1888 में हुआ था. तब शहर के गणमान्य लोग बैठ कर शहर के विकास व साफ-सफाई के लिए कमेटी बनाते थे. 1920 के बाद जो उपायुक्त होते थे, वह इसके चेयरमैन होते थे. आजादी के बाद चुनाव की प्रक्रिया शुरू हुई. तब अध्यक्ष पद के लिए सीधे चुनाव नहीं होता था, जो वार्ड पार्षद होते थे, वहीं अध्यक्ष का चुनाव करते थे. 1952 से लेकर 1996 तक नगरपालिका अध्यक्ष के पद पर नर्वदेश्वर सिंह उर्फ नरू बाबू अध्यक्ष रहे. 1996 में उनके निधन के बाद उनके पुत्र सुरेंद्र सिंह को अध्यक्ष चुना गया.
1996 से लेकर 1998 तक सुरेंद्र सिंह अध्यक्ष रहे. उसके बाद नगरपालिका का चुनाव 10 वर्षों तक लंबित रहा. झारखंड राज्य गठन के बाद 2008 में जब नगर निकाय का चुनाव हुआ, तब मेदिनीनगर नगर पालिका को नगर पर्षद के रूप में प्रमोट करते हुए अध्यक्ष व उपाध्यक्ष पद के लिए भी सीधा चुनाव हुआ. इसमें सुरेंद्र सिंह नगर पर्षद के अध्यक्ष चुने गये, उपाध्यक्ष मनोज सिंह निर्वाचित हुए. 2013 में नगर पर्षद के अध्यक्ष पद सामान्य महिला के लिए आरक्षित हो गया.
वहीं नगरपालिका अधिनियम में संशोधन हुआ और उपाध्यक्ष का चुनाव सीधे न होकर अप्रत्यक्ष रूप से चुने गये सदस्यों के बीच हुआ. अध्यक्ष पद पर पूनम सिंह निर्वाचित हुई, जबकि वार्ड सदस्यों ने परमेंद्र कुमार को उपाध्यक्ष चुना. 2018 में मेदिनीनगर नगर पर्षद को आसपास के 15 गांवों को मिला कर नगर निगम के रूप में प्रमोट किया गया और पहली बार निगम का चुनाव 2018 में हुआ, जिसमें मेदिनीनगर नगर निगम की पहली मेयर के रूप में अरुणा शंकर निर्वाचित हुई और डिप्टी मेयर राकेश सिंह उर्फ मंगल सिंह बने.
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